शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू बेशक हर मंच से एक महीने में दो बार वेतन देने के साथ-साथ चार फीसदी डीए की किश्त जारी करने की बात कहकर वाहवाही लूटने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार के समक्ष आर्थिक संकट मुंह बाए खड़ा है. सरकार को दिसंबर महीने में वेतन और पेंशन की अदायगी सहित सामान्य खर्च के लिए धन जुटाने की चिंता सता रही है. हकीकत ये है कि हिमाचल की आर्थिक गाड़ी कर्ज के सहारे चल रही है.
राज्य सरकार ने अक्टूबर महीने में 28 तारीख को दिवाली से पहले सरकारी कर्मियों व पेंशनर्स को क्रमश: वेतन तथा पेंशन का भुगतान किया था. अक्टूबर महीने में सितंबर का वेतन पहली तारीख को दिया गया था. पेंशन के लिए नौ तारीख तक इंतजार करना पड़ा था. फिर अक्टूबर महीने में दिवाली से पहले ही सरकार ने न केवल वेतन व पेंशन दिया, बल्कि चार फीसदी डीए की किश्त भी जारी कर दी.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया और मीडिया के समक्ष बताया कि कैसे सरकार दिवाली से पहले 2600 करोड़ रुपए के करीब वेतन-पेंशन व डीए की एक किश्त जारी कर रही है. इस तरह नवंबर महीने में सरकार को वेतन व पेंशन पर खर्च नहीं करना पड़ा, क्योंकि अक्टूबर में दो बार वेतन-पेंशन दे दिया गया था. यानी अक्टूबर महीने का नवंबर में देय वेतन 28 अक्टूबर को ही जारी कर दिया गया था. खैर, दिवाली का पर्व खुशी से निपट गया और अब राज्य सरकार को दिसंबर महीने की चिंता है. आखिरकार दिसंबर महीने में क्या है ? देनदारियां और कैसे होगा इंतजाम, इस पर एक नजर डालते हैं.
12 नवंबर को आएगा 500 करोड़, लिमिट बचेगी 517 करोड़
कर्ज के सहारे चल रही आर्थिक गाड़ी को एक धक्का 12 नवंबर को लगेगा. राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपए का लोन उठाने की अधिसूचना जारी की है. इसकी ऑक्शन 12 नवंबर को होगी. फिर राज्य सरकार के पास कर्ज की लिमिट 517 करोड़ रुपए बचेगी. जनवरी से मार्च तक आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग से लोन लिमिट सेंक्शन होगी. ये तय नियमों के अनुसार जीडीपी की तीन फीसदी होगी. संभवत ये लिमिट 2000 करोड़ रुपए तक होगी.
अब मौजूदा स्थिति के अनुसार राज्य सरकार को अगले महीने में 740 करोड़ रुपए केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में मिलेंगे. अभी सरकार ने पांच सौ करोड़ रुपए का लोन लिया हुआ है. अगले महीने में फिर से बची हुई लोन लिमिट अवेल कर ली जाएगी. फिर रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट का 520 करोड़ रुपया आएगा. राज्य सरकार के खुद के टैक्स व नॉन टैक्स रेवेन्यू के 1200 करोड़ रुपए के करीब आएंगे. ऐसे में नवंबर महीने का सामान्य खर्च पूरा करने के बाद दिसंबर महीने के लिए कम से कम 2000 करोड़ रुपए वेतन व पेंशन के लिए चाहिए.
कुछ ऐसा होगा दिसंबर महीने का हिसाब
दिसंबर महीने में 740 करोड़ केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, 520 करोड़ रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट व 1200 करोड़ रुपए टैक्स व नॉन टैक्स रेवेन्यू के होंगे. नवंबर महीने के आखिरी दिन में ट्रेजरी की हालत पता चल जाएगी. ऐसे में यदि ट्रेजरी एग्जॉस्ट भी हो गई तो 2500 करोड़ रुपए दिसंबर महीने के लिए जुट जाएंगे. चूंकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की रकम देरी से आती है और रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी महीने की पांच तारीख के आसपास आती है, लिहाजा ये देखना दिलचस्प होगा कि दिसंबर में पेंशनर्स को भुगतान किस तारीख को होगा. फिलहाल, ये राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति का मोटा-मोटा आंकड़ा व परिदृश्य है.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा ने कहा, "दिसंबर महीना किसी तरह निकल जाएगा. आखिरी तिमाही के लिए भी लोन लिमिट सेंक्शन हो जाने के बाद स्थितियां थोड़ी-बहुत संभल जाएंगी, लेकिन मार्च 2025 के बाद हालात गंभीर हो सकते हैं".
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