शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल आईजीएमसी शिमला में इंजेक्शन समय पर ना मिलने से मरीज की मौत का मामला सामने आया है. प्रदेश सरकार ने मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाए जाने का दावा किया है. प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला में उपचाराधीन मरीज देवराज शर्मा की मृत्यु के बारे में तथ्यहीन आरोप लगाए जा रहे हैं. वास्तविकता यह है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और इस मामले को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है.
सरकार के प्रवक्ता ने कहा, "किसी भी परिवार के सदस्य का बिछुड़ जाना वेदनापूर्ण होता है. देवराज शर्मा के निधन से उनके परिवार को अपूर्णीय क्षति हुई है. प्रदेश सरकार की संवेदनाएं देवराज शर्मा के परिवार के साथ हैं. 57 वर्षीय देवराज शर्मा का इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के ऑन्कोलॉजी विभाग में कार्सिनोमा पैलेट का उपचार चल रहा था. अस्पताल प्रशासन द्वारा लोगों को गुणवत्तापूर्ण व बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा करवाने की प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप देवराज शर्मा को बेहतरीन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं और दवाइयां दी जा रही थीं. उनका कीमो रेडिएशन से उपचार किया गया और वह स्वस्थ हो गए".
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से बीमारी की पुनरावृत्ति होने पर पैलिएटिव कीमोथेरेपी से उनका पुनः उपचार आरंभ किया गया, लेकिन मरीज पर यह प्रभावी नहीं रहा. इसके उपरांत उन्हें इम्यूनोथेरेपी आधारित इंजेक्शन का परामर्श दिया गया. यह इम्यूनोथेरेपी तीन चरणों में दी जानी थी. मरीज को पहली इम्यूनोथेरेपी 22 अक्टूबर, 2024 को की गई, लेकिन अगली इम्यूनोथेरेपी के शेड्यूल से पूर्व ही उनका देहांत हो गया.
प्रवक्ता ने कहा कि इंदिरा गाधी चिकित्सा महाविद्यालय को हिमकेयर के तहत समुचित धनराशि उपलब्ध करवाई जा रही है. इस वित्त वर्ष के दौरान आईजीएमसी को हिमकेयर के तहत 49.70 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. देवराज शर्मा हिमकेयर योजना के लाभार्थी थे. इस वित्त वर्ष के दौरान उनके निशुल्क उपचार पर एक लाख 79 हजार रुपये व्यय किए गए. इसके बाद उनका हिमकेयर कार्ड संख्या 02080387666071123 को 13 नवंबर, 2024 को पुनः सक्रिय किया गया. जन औषधि दुकान के फार्मासिस्ट ने मरीज के अटेंडेंट (परिचारक) से तीन या चार दिनों में इंजेक्शन नीमोटूजूमाव (बायोमाव) की उपलब्धता के बारे में पता करने का आग्रह किया था. आपूर्तिकर्ता को इसका आपूर्ति आदेश जारी किया जा चुका था. लेकिन मरीज व उनके परिजन इस दवा की दुकान पर इंजेक्शन या दवाइयां लेने नहीं आए. यह इंजेक्शन काफी महंगा होता है, इसलिए यह चिकित्सक के परामर्श पर ही वेंडर्स से लिया जाता है.
उन्होंने कहा कि उपरोक्त तथ्यों से यह प्रमाणित होता है कि उक्त मामले को भ्रामक बनाकर प्रस्तुत किया गया है. देवराज शर्मा को आईजीएमसी में गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गई. प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लोगों को गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतरीन जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. सरकार द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि लोगों को उनके घर द्वार के समीप ही गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएं.
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