शिमला: जैसा कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल विधानसभा के मानसून सेशन में कहा था, ठीक वैसा ही अमल में भी लाया है. एक रुपए की सब्सिडी खत्म करने से सुक्खू सरकार ने एक साल में खजाने के लिए 600 करोड़ रुपए से अधिक का इंतजाम कर लिया है. राज्य सरकार ने बड़े उद्योगों को दी जाने वाली एक रुपए की बिजली सब्सिडी खत्म कर दी है. इससे सरकार के खजाने में सालाना 600 करोड़ रुपए आएंगे.
सीएम सुक्खू ने विधानसभा में कहा था कि हिमाचल में 14 तरह की बिजली सब्सिडी दी जा रही है. इससे बिजली बोर्ड पर घाटे का बोझ बढ़ रहा है. सरकार चरणबद्ध तरीके से बिजली सब्सिडी खत्म करेगी. इसी कड़ी में पिछले कल अधिसूचना जारी कर बड़े उद्योगों को बिजली पर दी जाने वाली एक रुपए की सब्सिडी खत्म कर दी गई है. हालांकि इतना करने पर भी हिमाचल में उद्योगों को पंजाब व हरियाणा से सस्ती बिजली होगी. वहीं, राज्य सरकार ने छोटे उद्योगों के लिए राहत जारी रखी है. इस संदर्भ में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिजली बोर्ड व राज्य सरकार के अफसरों के साथ कई राउंड की मीटिंग की थी. इस मीटिंग में बिजली की सब्सिडी से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अफसरों से प्रेजेंटेशन व आंकड़े मांगे गए थे. उसके बाद ये फैसला लिया गया है.
छोटे उद्योगों को जारी रहेगी राहत
राज्य में छोटे उद्योग निरंतर काम कर पाएं, इसके लिए सरकार ने उन पर बोझ नहीं डाला है. कुल 22 केवी बिजली उपयोग करने वाले स्माल यूनिट्स की एक रुपए वाली सब्सिडी जारी रहेगी. यही नहीं, छोटे उद्योगों को सहारा देने के लिए सरकार ने इन पर लागू इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को भी 16.5 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. यानी सीधे साढ़े छह प्रतिशत की कमी की गई है. हिमाचल में बिजली के सबसे बड़े उपभोक्ता उद्योग ही हैं. बीबीएन सहित अन्य इंडस्ट्रियल एरिया में बिजली की खपत कुल राज्य की खपत की 70 फीसदी है. इन सभी उद्योगों को सस्ती बिजली के लिए राज्य सरकार सब्सिडी देती है. इस पर सालाना 900 करोड़ रुपए तक का खर्च होता है. ये खर्च राज्य सरकार उठाती है. अब बड़े उद्योगों को एक रुपए सब्सिडी खत्म करने से खजाने में कम से कम 600 करोड़ रुपए सालाना आएंगे. हिमाचल सरकार के ऊर्जा सचिव राकेश कंवर ने इस सब्सिडी को वापस लेने की पुष्टि की है.