नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की है, जिसमें सरकारी स्कूलों के छात्र जर्मनी में दोहरे व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर पाएंगे. यह कार्यक्रम उनका तकनीकी कौशल विकसित करने के साथ-साथ उन्हें अमूल्य कार्य अनुभव प्रदान करेगा. हाल में जारी एक बयान में बताया गया कि यह पहल गोएथे इंस्टीट्यूट और प्रमुख जर्मन उद्योगों के सहयोग से शुरू की गई है, और यह कक्षा 12 पास करने वाले छात्रों के लिए आयोजित की जा रही है. दिल्ली सरकार के स्कूलों के लगभग 30 से 40 छात्रों का पहला बैच 2025 में प्रसिद्ध एपीएएल प्रोजेक्ट में शामिल होने जा रहा है.
एपीएएल प्रोजेक्ट: एक नया अध्याय: इस कार्यक्रम का नाम 'APAL' है, जिसमें लैटिन अमेरिका, भारत और उज्बेकिस्तान के स्कूलों के साथ प्रशिक्षण साझेदारी की गई है. इस पहल का उद्देश्य चुनिंदा युवाओं को जर्मनी में प्रमुख जर्मन उद्योगों के साथ 3.5 साल का व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है.
सकारात्मक भविष्य की ओर: मंगलवार को वेस्ट विनोद नगर स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय में एक ओरिएंटेशन सत्र के दौरान, दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस पहल की महत्ता को उजागर किया. उन्होंने कहा, "मुझे गर्व है कि हमने दो साल पहले जर्मन दूतावास के साथ जो कदम उठाया था, वह अब इस स्तर तक पहुंच गया है कि जर्मन उद्योग हमारे छात्रों को आमंत्रित करने के लिए तैयार है. यह विश्व स्तरीय प्रशिक्षण सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और उनके लिए वैश्विक अवसर खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."
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बयान के अनुसार, पहले समूह में लगभग 30-40 छात्रों को 'APAL' परियोजना में शामिल होने का मौका दिया जाएगा. यह परियोजना दो साल पहले एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से औपचारिक रूप से स्थापित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य 'स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस' में जर्मन भाषा का समावेश करना है.
वर्तमान में, दिल्ली के 30 सरकारी स्कूलों में जर्मन भाषा का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है, जिससे लगभग 4,500 छात्र लाभान्वित हो रहे हैं. यह पहल न केवल छात्रों की भाषा कौशल को बढ़ावा देती है, बल्कि साथ ही उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रक्षिप्त करने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है.
इस तरह की पहलों से न केवल छात्रों का निजी विकास होगा, बल्कि यह दिल्ली सरकार की शिक्षा प्रणाली में एक नई दिशा भी प्रदान करेगी. उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण और कार्य अनुभव से लैस होकर, ये छात्र भविष्य में वैश्विक मापदंडों पर खरे उतरने के लिए तैयार होंगे. इस तरह की पहलें शिक्षा के क्षेत्र में सामर्थ्य और अवसरों के द्वार खोलती हैं, जो कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम है.
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