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बाड़मेर में बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद, कई किलोमीटर का फासला तय महिलाएं लाती हैं पानी, जानें असल परेशानी - Water Crisis In Barmer

Water Crisis In Barmer, राजस्थान के बाड़मेर जिले के कई गांवों में लोग आज भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि महिलाएं कई किलोमीटर का फासला तय कर मटके बरसात का गंदा पानी लेकर आती हैं, जिसे पीने से बीमारियों का खतरा बना रहता है.

Water Crisis In Barmer
महिलाओं ने सुनाई पीड़ा (ETV BHARAT Barmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 5, 2024, 7:20 PM IST

बाड़मेर में बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद (ETV BHARAT Barmer)

बाड़मेर. राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर के कई सीमांत गांवों में लोग आज भी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि पानी के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है. साथ ही अपने घरों से 4 से 5 किलोमीटर दूर से महिलाएं सिर पर मटका उठाकर बरसात का गंदा पानी लेकर आती हैं. जिले के शिवकर गांव के दूधोई नाडी के निवासियों का कहना है कि आजादी के बाद कई सरकारी आईं और चली गईं, लेकिन उनके क्षेत्र में पानी की समस्या आज भी बनी हुई है. पहले भीषण गर्मी में ऊंट और गधों से कपड़े की बनी पखाल से पानी लाकर वो किसी तरह से गुजर बसर करते थे, लेकिन आज महिलाएं सिर पर मटका लेकर 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाती हैं और वो भी गंदा बरसाती पानी.

ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि घर का काम करने के बाद वो 4 से 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर आती हैं और वहां से मटके में पानी भरकर आती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने नल तो लगवा दिया है, लेकिन उसमें पानी नहीं आता है, जिसकी वजह से उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें - बाड़मेरः पानी की किल्लत से परेशान लोगों का प्रदर्शन, अधिकारियों को सुनाई खरी-खोटी

गंदा पानी पीने से बना रहता है बीमारियों का खतरा : पुराने जमाने में जो पानी के तालाब और नाडियां थी, वो आज सफाई न होने के कारण गंदी हो चुकी हैं. वहीं, इसमें बरसात का गंदा पानी एकत्रित होता है. हालांकि, पानी की किल्लत के कारण ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर है, क्योंकि महंगे दामों पर पानी के टैंकर डलवाना हर किसी के बस की बात नहीं है. ऐसे में गंदा पानी पीने से बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.

गांव के लोग मिलकर करते हैं तालाब और नाडियों की सफाई : ग्रामीणों ने बताया कि हम ग्रामीण मिलकर नाडियों की सफाई करते हैं, ताकि हमें स्वच्छ पानी मिल सके. जल स्रोतों संरक्षण और साफ-सफाई को लेकर सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए.

बाड़मेर में बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद (ETV BHARAT Barmer)

बाड़मेर. राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर के कई सीमांत गांवों में लोग आज भी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि पानी के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है. साथ ही अपने घरों से 4 से 5 किलोमीटर दूर से महिलाएं सिर पर मटका उठाकर बरसात का गंदा पानी लेकर आती हैं. जिले के शिवकर गांव के दूधोई नाडी के निवासियों का कहना है कि आजादी के बाद कई सरकारी आईं और चली गईं, लेकिन उनके क्षेत्र में पानी की समस्या आज भी बनी हुई है. पहले भीषण गर्मी में ऊंट और गधों से कपड़े की बनी पखाल से पानी लाकर वो किसी तरह से गुजर बसर करते थे, लेकिन आज महिलाएं सिर पर मटका लेकर 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाती हैं और वो भी गंदा बरसाती पानी.

ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि घर का काम करने के बाद वो 4 से 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर आती हैं और वहां से मटके में पानी भरकर आती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने नल तो लगवा दिया है, लेकिन उसमें पानी नहीं आता है, जिसकी वजह से उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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गंदा पानी पीने से बना रहता है बीमारियों का खतरा : पुराने जमाने में जो पानी के तालाब और नाडियां थी, वो आज सफाई न होने के कारण गंदी हो चुकी हैं. वहीं, इसमें बरसात का गंदा पानी एकत्रित होता है. हालांकि, पानी की किल्लत के कारण ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर है, क्योंकि महंगे दामों पर पानी के टैंकर डलवाना हर किसी के बस की बात नहीं है. ऐसे में गंदा पानी पीने से बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.

गांव के लोग मिलकर करते हैं तालाब और नाडियों की सफाई : ग्रामीणों ने बताया कि हम ग्रामीण मिलकर नाडियों की सफाई करते हैं, ताकि हमें स्वच्छ पानी मिल सके. जल स्रोतों संरक्षण और साफ-सफाई को लेकर सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए.

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