नई दिल्ली: जेएनयू छात्र संघ द्वारा कुलपति शांति श्री पंडित के खिलाफ अपनी मांगे पूरी न करने को लेकर की जा रही भूख हड़ताल के छठे दिन शनिवार को जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय एवं जेएनयू छात्र रणविजय, शुभम और गगन की तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई, जिसके चलते चारों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. शुक्रवार को पांचवें दिन जब डॉक्टरों ने इन सभी की स्वास्थ्य जांच की थी तो करीब 6 छात्रों का वजन दो से तीन किलो कम पाया गया था. लेकिन उसके बावजूद इन लोगों ने अपनी हड़ताल जारी रखी और उसके चलते आज उनकी तबीयत बिगड़ने पर इन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.
हड़ताल पर बैठे कई छात्रों की हालत गंभीर
ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आआइसा) दिल्ली की सचिव नेहा तिवारी का कहना है, "कि हड़ताल के 130 घंटे बीतने के बाद भी बेशर्म जेएनयू प्रशासन ने अभी तक भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों से मिलना भी जरूरी नहीं समझा है. नेहा ने बताया कि कॉमरेड नीतीश (एसएसएस पार्षद और आइसा जेएनयू सचिव), कॉमरेड रणविजय (आइसा जेएनयू अध्यक्ष), कॉमरेड शुभम (ताप्ती छात्रावास अध्यक्ष), कॉमरेड गगन और पुष्पराज भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. रणविजय को बहुत कमजोरी, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द की शिकायत है. वह अब खुद से चल भी नहीं पा रहा है. उसकी हालत इतनी गंभीर हो गई है कि वह पानी भी नहीं पी पा रहा है. उसके शरीर में पानी की कमी होने का खतरा मंडरा रहा है. इससे उसके अंगों पर स्थायी और नुकसानदेह असर पड़ सकता है."
यह भी पढ़ें- कोलकाता रेप केसः JNU छात्रों का फूटा गुस्सा, रात 11 बजे AIIMS के बाहर किया प्रदर्शन
नेहा तिवारी ने बताया कि, "शुभम को पिछले तीन दिनों से टाइफाइड बुखार है. उसके पूरे शरीर पर दाने निकल आए हैं. उसका रक्तचाप बहुत कम हो गया है. उसे अस्पताल में भर्ती कर दवा देने की जरूरत है. नीतीश को भी बहुत कमजोरी है. उसकी नाड़ी की गति 100 से अधिक हो गई है. गगन को कमजोरी के साथ-साथ पूरे शरीर पर दाने निकल आए हैं. पुष्पराज में लीवर खराब होने के शुरुआती लक्षण दिखाई दिए हैं. रणविजय और शुभम को अपनी भूख हड़ताल बंद करने की सख्त सलाह दी गई है. लेकिन वे तब तक भूख हड़ताल जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, जब तक जेएनयू के कुलपति छात्रों की मांगें पूरी नहीं कर देते."
'किसी भी अप्रिय घटना के लिए कुलपति जिम्मेदार'
नेहा तिवारी का कहना है अगले कुछ दिनों तक अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं बंद रहेंगी. अगर भूख हड़ताल करने वालों में से किसी को कुछ हो जाता है, तो इलाज के लिए भी जगह नहीं बचेगी. अगर ऐसी कोई घटना होती है तो इसके लिए जेएनयू के कुलपति पूरी तरह जिम्मेदार होंगी. आइसा जेएनयू कुलपति के खिलाफ अपनी लड़ाई में दृढ़ रहेगी, जिनके पास आरएसएस के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दुनिया भर का समय है, लेकिन अपने ही छात्रों की मांगों को सुनने के लिए नहीं.
ये है छात्रों की मांग
प्रदर्शन में शामिल छात्रों की मांग है कि छात्रों के खिलाफ प्रॉक्टोरियल पूछताछ बंद की जानी चाहिए, मेरिट कम मींस छात्रवृत्ति कम से कम पांच हजार की जानी चाहिए. इंजीनियरिंग छात्रों को भी एमसीएम का लाभ दिया जाना चाहिए. जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरसमेंट फिर से बनाई जानी चाहिए. बराक छात्रावास को जल्द से जल्द खोला जाए, जिसके खुलने का लंबे समय से इंतजार हो रहा है.
यह भी पढ़ें- दिल्ली यूनिवर्सिटी में 97,387 स्टूडेंट्स को मिला एडमिशन का मौका, जानें- कब आएगी दूसरी लिस्ट