रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसान इन दिनों स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती के दौरान कई खास बातों का ध्यान रखना पड़ता है. अगर ध्यान से खेती नहीं की गई तो काफी नुकसान हो सकता है, जबकि खेती के दौरान की गई थोड़ी सी सावधानी आपको मुनाफा दे सकती है. दरअसल, छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए स्ट्रॉबेरी नया फल है, लेकिन शौकिया तौर पर स्ट्रॉबेरी प्रदेश के कुछ किसान लगा रहे हैं. स्ट्रॉबेरी फसल सीजनल होता है.
जानिए क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक: ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान रनर के माध्यम से स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर सकते हैं. प्रदेश के मैनपाट इलाके में लंबे समय तक ठंड का प्रभाव रहता है. वहां पर स्ट्रॉबेरी की खेती किसान आसानी से कर सकते हैं. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ घनश्याम दास साहू से बातचीत की. उन्होंने बताया कि "छत्तीसगढ़ के किसान अगर चाहे तो सभी जगह पर नवंबर से फरवरी के बीच स्ट्रॉबेरी की खेती कर सकते हैं. प्रदेश के किसान अगर स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं तो चिलिंग किस्म, जिसे नाभिला और स्वीट चार्ली के नाम से भी जाना जाता है, इस किस्म के स्ट्रॉबेरी को प्रदेश के किसान लगा सकते हैं. यह किस्म प्रदेश के लिए उपयुक्त भी है. इसके अलावा रनर के माध्यम से स्ट्रॉबेरी लगा सकते हैं."
इन बातों का रखें विशेष ध्यान: स्ट्रॉबेरी लगाते समय प्रदेश के किसानों को कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. जैसे कि चटाई मैथड यानी कि मेड नाली पद्धति से आसानी से खेती करना. इसके लिए किसानों को पौधे से पौधे की दूरी 30-30 सेमी और कतार से कतार की दूरी 30-30 सेमी रखनी होगी. किसानों को स्ट्रॉबेरी लगाने के बाद फिर से स्ट्रॉबेरी के पौधे तैयार करना है, उन किसानों को फैलते हुए स्ट्रॉबेरी लगाना चाहिए. इसमें रनर प्रोडक्शन अधिक होता है. इसके लिए जमीन फील्ड में नमी की मात्रा बनी रहनी चाहिए, जिन किसानों को स्ट्रॉबेरी का फल उत्पादन करके बेचना है, उन किसानों को पलवार का उपयोग करते हुए स्ट्रॉबेरी का उत्पादन ले सकते हैं.