इंदौर। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सियासी घमासान के साथ-साथ कम मतदान प्रतिशत भी चर्चा का विषय बना है. इन चुनावों में औसत मतदान 60 फीसदी से भी कम आंका गया है जो मतदान के प्रति जागरूकता के तमाम अभियानों पर सवालिया निशान लगा रहा है. मतदान का आखिरी चरण अभी बाकी है, यही वजह है कि इंदौर के राजनीतिक सलाहकार अतुल मालिक राम ने पहली बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के कारगर उपाय सुझाए हैं. माना जा रहा है कि निर्वाचन के स्तर पर इस तरह के उपाय अपनाने से मतदान प्रतिशत प्रभावी रूप से बढ़ सकता है.
इन उपायों को करने से बढ़ सकता है मतदान प्रतिशत
एक चुनाव संपन्न कराने में हजारों करोड़ रुपये का खर्च आता है फिर ऐसी कुछ व्यवस्थाओं में कुछ करोड़ और खर्च करके यदि मतदान प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है तो क्यों न ऐसे कुछ उपायों पर गंभीरता से विचार किया जाये.
- देश का कोई भी वयस्क नागरिक कहीं से भी मतदान करने के लिए स्वतंत्र हो, इसके लिए व्यवस्था आसानी से की जा सकती है.
- 75 वर्ष से ऊपर या बीमार व्यक्तियों के लिए एक विशेष मोबाइल बूथ की व्यवस्था हो, जिससे कि वह सुविधाजनक तरीके से मतदान केंद्र तक लाया जाकर मतदान कर सके.
- पर्यटन या जरुरी कामों से सफर कर रहे मतदाता भी अपने मताधिकार का उपयोग कहीं से भी करने में सक्षम हो सकें.
- ऐसे मतदाता जो किसी भी कारण भले रोजगार हो, व्यवसाय हो, पर्यटन हो या मेडिकल इमरजेंसी से अपने निर्वाचित क्षेत्र में मतदान वाले दिन उपलब्ध नहीं हैं तो इन मतदाताओं के लिए प्रत्येक शहर में किसी भी निजी या सरकारी भवन में मतदान की व्यवस्था की जा सकती है.
- एक टेक्नोलॉजी बेस्ड सिस्टम हो, यदि इंदौर का कोई मतदाता कानपुर में हो तो वह कानपुर में ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल ऑनलाइन माध्यम से कर सके तथा इसका रिकॉर्ड इंदौर पोलिंग स्टेशन में दर्ज हो.
- जिस प्रकार सेना, सुरक्षा बलों या चुनाव ड्यूटी में लगाए गए कर्मचारियों को अपने मतदान केंद्र पर जाने की जरूरत नहीं होती और वे अपने कार्य स्थल से ही बैलेट पेपर से वोट डाल सकते हैं, ऐसी ही कुछ व्यवस्था उन लोगों के लिए भी हो जो विभिन्न जायज कारणों से अपने पोलिंग स्टेशन पर उपलब्ध नहीं हो पाते.
- इस बार 100 साल से ज्यादा के 2.18 लाख वोटर हैं, क्यों न ऐसे वोटर्स के लिए एक विशेष मोबाइल बूथ की व्यवस्था हो. हर शहर में कुछ ऐसे मोबाइल बूथ कार्यरत हों जो चिन्हित मतदाताओं के एरिया में मौजूद हों. उनके घरों के पास हों जिससे उन्हें अपने मत का उपयोग करने में आसानी हो.
- इसी तरह प्रत्येक पोलिंग स्टेशन पर मोबाइल हेल्थ केयर वैन, पीने के पानी आदि सुरक्षात्मक व्यवस्थाओं की पहल भी की जा सकती है, जिससे लोगों में व्यवस्थाओं को लेकर भी विश्वास पैदा हो और वह मतदान के प्रति उत्साहित महसूस करें.