शिमला: हिमाचल में लोगों को पिछली बरसात में मिले जख्म अभी भी भरे नहीं हैं, इतने में मानसून ने 27 जून को दस्तक दे दी है. मगर पिछली बरसात में मची भारी तबाही से सबक लेते हुए सरकार मानसून सीजन के लिए तैयार है. मानसून सीजन में घटने वाली प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए पहले ही विशेष प्रबंध किए गए हैं. इसको लेकर 13 जून की मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों की बैठक की थी. जिसमें अधिकारियों को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत अपनी दायित्वों को निभाने के आदेश दिए गए हैं. वहीं, लोगों की सुविधा के लिए 1077 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. इसके अलावा आपदा के वक्त लोग 1100 नंबर पर भी अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं. जिस पर प्रशासन की तरफ से तुरंत प्रभाव से एक्शन लिया जाएगा.
पानी की निकासी व अवैध डंपिंग पर अलर्ट सरकार
हिमाचल में मानसून सीजन में सबसे अधिक तबाही पानी की सही तरह से निकासी न होने और जंगलों में होने वाली अवैध डंपिंग की वजह से होती है. इस समस्या से निपटने के लिए लोक निर्माण विभाग ने सड़कों से लगती नालियों की सफाई कर दी है. बारिश के पानी की निकासी के लिए बंद पड़े कलवर्ट को खोला गया है. वहीं, शिमला शहर में भी नगर निगम ने मानसून सीजन को देखते हुए पानी की निकासी के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. इसके अलावा जंगलों में की जाने वाली अवैध डंपिंग पर भी नजर रखने के निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि मलवा बारिश के पानी के तेज बहाव के साथ नालों में बहकर तबाही न मचा सके.
मैन पॉवर और मशीनरी तैनात
प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान होने वाली मूसलाधार बारिश हर बार अपने साथ तबाही लाती है. प्रदेश भर में भारी बारिश से होने वाले लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड से पैदा होने वाले हालातों से निपटने के मैनपॉवर और मशीनरी की तैनाती की जा चुकी है. सरकार ने लोक निर्माण विभाग के डिविजनों के तहत 206 जेसीबी, 110 बुल्डोजर, 28 रोबो मशीन, 17 बेली ब्रिज और 13 हजार से अधिक श्रमशक्ति को विभिन्न स्थानों पर पहले ही तैनात कर दिया है, ताकि मानसून सीजन के दौरान किसी भी आपात कालीन स्थिति में बहाली एवं राहत कार्य तुरंत प्रभाव से सुनिश्चित किए जा सके.
इन जिलों में सबसे अधिक नुकसान
हिमाचल में पिछली बरसात में अत्याधिक बारिश ने कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन व चंबा में सबसे अधिक तबाही मचाई थी. भारी बारिश से आई भीषण बाढ़ व लैंडस्लाइड से हजारों करोड़ की संपत्ति तबाह होने के साथ सैंकड़ों बहुमूल्य जिंदगियां प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ गई थी. बरसात में सबसे अधिक प्राकृतिक आपदा मंडी और कुल्लू में आई थी. ऐसे में लोकसभा चुनाव में भी मंडी में प्राकृतिक आपदा का मुद्दा खूब गुंजा था.
500 से अधिक लोगों की गई थी जान
हिमाचल में पिछली भारी बरसात में 509 लोगों का बहुमूल्य जीवन समाप्त हो गया था. वहीं, 10 हजार करोड़ की संपत्ति आपदा की भेंट चढ़ गई थी. नदी नालों में आई भीषण बाढ़ और लैंडस्लाइड से 2545 मकान पूरी तरह और 10,853 मकान आंशिक रूप क्षतिग्रस्त हो गए थे. इसी तरह से 317 दुकानें और ढाबे नष्ट हुए थे. प्रदेश में भारी बरसात से 10,140 पशु मारे गए थे. हिमाचल में लगातार सबसे अधिक बारिश 8 से 11 जुलाई, 13 से 15 अगस्त और 23 और 24 अगस्त को हुई थी. ऐसे में लगातार कई घंटों तक बारिश का क्रम जारी रहने से सबसे अधिक तबाही मची थी.
सरकार ने नियमों में किया संशोधन
हिमाचल में बरसात से मची तबाही के बाद लोग जीवन के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस कठिन समय में सुक्खू सरकार ने आम जनता की पीड़ा को समझा. जिसके लिए राहत राशि के नियमों में संशोधन किया गया, ताकि आम लोगों का जीवन फिर से पटरी पर लौट सके. इसके लिए पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए मकान के फिर से निर्माण के लिए 1 लाख की राशि को बढ़ाकर 7 लाख किया गया. इसी तरह से आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त मकान के लिए दी जाने वाली राहत राशि को 6 हजार से बढ़ाकर 1 लाख किया गया है. इसके अलावा दुकानों और दुकानों को होने वाले नुकसान की राशि को 25 हजार से बढ़ाकर 1 लाख किया गया.
पिछली बरसात से लिया है सबक
अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व ओंकार शर्मा का कहना है कि मानसून आने से पहले 13 जून को मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की थी. जिसमें सभी अधिकारियों को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत अपनी जिम्मेदारी निभाने के निर्देश जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बरसात से सबक लेते हुए पहले ही विभिन्न स्थानों पर मैन पॉवर मेटिरियल और मशीनरी तैनात की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि इस मानसून में सामान्य या इससे नीचे बारिश हो सकती है. पिछली साल भी सामान्य से कुछ अधिक बारिश हुई थी, लेकिन लगातार भारी बारिश होने से सबसे अधिक नुकसान होता है. उसके लिए सरकार और प्रशासन तैयार है.
बरसात के लिए कितना तैयार शिमला?
नगर निगम शिमला के मेयर सुरेन्द्र चौहान का कहना है कि शिमला में पिछली बरसात में भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने अपने जीवन में कभी इतनी तबाही नहीं देखी थी. उन्होंने कहा कि इस बार नगर निगम शिलमा, लोक निर्माण विभाग और नेशनल हाइवे सभी मिलकर नालों और कलवर्ट को खोल रहे हैं, ताकि पानी की सही तरह से निकासी हो सके. इसके अलावा नालों के लिए एक 77 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई है. इसी तरह से नालों को खोलने के लिए शॉर्ट टर्म टेंडर भी लगाया गया है. उन्होंने कहा कि पिछली बरसात में नगर निगम परिधि में 50 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ था.
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