देहरादून: भारत सरकार ने एनपीएस की जगह यूनिफाइड पेंशन स्कीम(UPS)को लागू करने का निर्णय है. जिस पर हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुहर लगाई है. यूपीएस एक अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगा. एनपीएस और हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से लागू की गई यूपीएस का विरोध देश भर में किया जा रहा है. उत्तराखंड के तमाम विभागों के कर्मचारी यूपीएस, एनपीएस का विरोध कर रहे हैं. सभी कर्मचारी ओपीएस की बहाली को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी क्रम में तमाम विभागों के करीब सवा लाख कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे हैं.
उत्तराखंड में करीब ढाई लाख कर्मचारी हैं, जिनमें सचिवालय कर्मचारी, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, नलकूप, शिक्षा विभाग समेत तमाम अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल हैं. इनमें से करीब सवा लाख कर्मचारी ऐसे हैं जिन पर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू नहीं हो रही है. जिसके चलते ये कर्मचारी पिछले कई सालों में ओपीएस की बहाली को लेकर मांग कर रहे है, लेकिन इसी बीच भारत सरकार में यूपीएस को लागू करने का निर्णय लिया है. ऐसे में सचिवालय, शिक्षा विभाग समेत तमाम विभागो के कर्मचारी एनपीएस और यूपीएस के विरोध में सांकेतिक रूप से विरोध करने कर रहे हैं. ये कर्मचारी काली पट्टी बांधकर कर 6 सितंबर तक सांकेतिक रूप से विरोध जताएंगे.
पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन के प्रदेश अध्यक्ष जीतमणी पैन्यूली ने कहा पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन बैनर के तले पिछले सात सालों से 2005 के बाद से नियुक्त हुए अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षकों के लिए ओपीएस बहाली का संघर्ष कर रहे हैं. पहले सरकार एनपीएस योजना लेकर आई, जिसे कर्मचारियों ने नकार दिया. ऐसे में अब सरकार यूपीएस योजना लेकर आई है.
कर्मचारी बोले- एनपीएस और यूपीएस में सुरक्षित नहीं भविष्य: एनपीएस और यूपीएस योजना से कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है. ऐसे में ओपीएस बहाली को लेकर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया जा रहा है. उन्होंने कहा अगर ओपीएस योजना की बहाली नहीं होती है तो 26 सितंबर को प्रदेश मुख्यालयों और जिला मुख्यालयों में कर्मचारी और शिक्षक विरोध प्रदर्शन करेंगे.
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