चंडीगढ़: पेरिस ओलंपिक में भारत का कुश्ती में 50 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने का सपना 100 ग्राम अधिक वजन से टूट गया. हम बात कर रहे हैं विनेश फोगाट की, जिनको 100 ग्राम अधिक वजन की वजह से फाइनल में खेलने से पहले ही डिसक्वालिफाई कर दिया गया. जैसे ही इसकी खबर सार्वजनिक हुई, इस मामले में राजनीति भी जमकर शुरू हो गई. राजनीति भी इतनी की हर शख्स इस पर अपनी अपनी राय सोशल मीडिया पर हो या अन्य माध्यम से, जाहिर करने लगा. किसी को इसमें साजिश नज़र आई तो कोई विनेश के नाम पर सियासी दांव चलने लगा. यहां तक कि उन्हें राज्यसभा का हरियाणा से उम्मीदवार बनाए जाने की भी बात होने लगी.
विनेश फोगाट मामला और सजा सियासी अखाड़ा: विनेश मामले में विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े हरियाणा ही नहीं, बल्कि देशभर से अलग अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिली. वह शायद इसलिए भी ज्यादा हुई क्योंकि कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण के खिलाफ यौन उत्पीडन की लड़ाई लड़ने वाली विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित किया गया. जिसकी वजह से इस पूरे मामले में इस खेल के नियमों को न जानने वाले भी अपनी अपनी राय देने लग गए. कई लोग इस मामले में संदेह की सुइयां बृज भूषण शरण की तरफ भी घूमाने लग गए.
हरियाणा का राजनीतिक पारा हाई: हरियाणा में तो इसको लेकर राजनीतिक पारा इतना चढ़ गया कि सभी दलों की तरफ से इस पर प्रतिक्रियाएं आने लगी. क्या नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा, क्या आम आदमी पार्टी के नेता, क्या इनेलो और जननायक जनता पार्टी, सभी इस मामले में हमलावर हो गए. वहीं हरियाणा सरकार ने यह घोषणा कर दी कि ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले का जो सम्मान होता है, वही सम्मान सरकार विनेश फोगाट को देगी.
विनेश फोगाट मामले में विपक्ष के सियासी तीर: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के साथ ही एक राज्यसभा सीट के लिए भी चुनाव होना है. ऐसे में विनेश फोगाट के मामले ने प्रदेश के सियासी माहौल को गरमा दिया. इसमें सबसे पहले राजनीतिक बयान नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का आया. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विनेश फोगाट को राज्यसभा भेजने की बात कही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास पूरे विधायक होते तो विनेश को राज्यसभा भेजते. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार से मांग की कि विनेश फोगाट को गोल्ड मेडल विजेता वाला सम्मान दिया जाए.
सीएम ने दी हुड्डा के बयान पर प्रतिक्रिया: जब नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विनेश फोगाट को राज्यसभा भेजने वाला बयान दिया तो इस पर रिएक्शन आना लाजमी था. हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने इस मामले में कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे लोग हर वर्ग में राजनीति करने की कोशिश करते हैं. खिलाड़ियों के नाम पर भी सियासत कर रहे हैं. मैं कहना चाऊंगा कि इस तरह की राजनीति से दूर रहें. वहीं हरियाणा के खेल मंत्री संजय सिंह ने भी विनेश मामले में हुड्डा पर राजनीति करने का आरोप लगाया.
इनेलो और जेजेपी ने भी कर डाली मांग: इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि मुख्यमंत्री का विनेश फोगाट को ओलंपिक में सिल्वर मेडल वाला सम्मान और ईनाम देने वाला बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. वहीं भूपेन्द्र हुड्डा के विनेश को राज्यसभा में भेजने की मांग को भी राजनीति से प्रेरित बताया. पिछले ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने जब गोल्ड जीतकर देश को गर्वित किया उस समय भी राज्यसभा चुनाव थे तब हुड्डा ने नीरज को राज्यसभा में भेजने की बजाए अपने बेटे को राज्यसभा क्यों भेजने का कार्य किया? क्या भूपेंद्र हुड्डा को उस समय खिलाड़ी या उनसे जुड़ा सम्मान नजर नहीं आया? इधर जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा कि "मैं सभी विधायकों से आग्रह करूंगा कि हम सभी को उनको राज्यसभा भेजकर सम्मान देना चाहिए. अगर उनकी राज्यसभा उम्मीदवार बनने की उम्र सीमा है तो उनसे बेहतर सामूहिक उम्मीदवार हमारे बीच कोई और नहीं होगा. यह खिलाड़ियों और बेटियों का सम्मान होगा".
आम आदमी पार्टी ने पकड़ी अलग राह: एक तरफ जहां इस मामले के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने विनेश के ताऊ महावीर फोगाट से मुलाकात की तो अनुराग ढांडा ने कहा कि "बीजेपी और मोदी सरकार हरियाणा के लोगों से नफरत करती है. जब हरियाणा की बेटी विनेश देश के लिए गोल्ड मेडल के लिए बढ़ रही थी, तो लोग सिल्वर मेडल जीतने की बधाइयां दे रहे थे. लेकिन, मोदी जी का कोई बधाई का संदेश नहीं आया".
महावीर फोगाट ने क्या कहा ?: नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बयान पर महावीर फोगाट ने कहा कि "2010 में जब कॉमनवेल्थ खेलों में गीता फोगाट ने गोल्ड मेडल लिया, सिल्वर मेडल बबीता ने लिया उस वक्त जो खेल नीति थी उसके मुताबिक दोनों को डीएसपी बनना था लेकिन हुड्डा ने डीएसपी नहीं बनाया. जिसके बाद कोर्ट जाने के बाद गीता को डीएसपी बनाया गया. विनेश को राज्यसभा भेजने की बात कर रहे हैं तो उस वक्त गीता को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा. वह राजनीति कर रहे हैं".
विनेश फोगाट के नाम पर हो रही सियासत पर क्या कहते हैं जानकार?:
खिलाड़ियों के मामले में लग रहे इस राजनीतिक तड़के पर खेल से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सौरभ दुग्गल कहते हैं कि खिलाड़ियों का हमारे समाज पर बड़ा प्रभाव रहता है. ऐसे में उनकी पॉपुलैरिटी को भुनाने की कोशिशें अकसर राजनीतिक दलों के लोग करते हैं. जोकि सही नहीं है. वे कहते हैं कि खेल और सियासत का मिश्रण किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता.
वे इस बात पर एक उदहारण देते हुए कहते हैं कि यह अच्छी बात है कि पंजाब के सीएम भगवंत मान सहनुभूति जताने विनेश फोगाट के गांव बलाली पहुंच गए। लेकिन सवाल तब खड़ा होता है कि जब वे चंडीगढ़ में रहते हुए भी उनके सरकारी आवास से कुछ किलोमीटर दूर मोहाली में रहने वाले ओलंपिक में चौथे नंबर पर रहे शूटर अर्जुन बाबुता के घर अभी तक उनका मनोबल बढ़ाने नही गए, जबकि वे एक अगस्त को मोहाली पहुंच चुके हैं. वे कहते हैं कि शायद हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं तो मान साहब वहां तो पहुंच गए, लेकिन मोहाली नहीं.
हरियाणा के राजनीतिक दल भी विनेश को राज्यसभा भेजने की बात कर रहे हैं. यह अच्छी बात है. लेकिन ऐसी मांग करने वाले खुद की सरकार के वक्त खिलाड़ियों के लिए क्या किया यह देखते तो अच्छा होता. खिलाड़ियों के लिए सरकारें अच्छा काम करें यह जरूरी है, लेकिन उनको राजनीतिक मुद्दा न बनाएं.
वहीं इस पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि खेल और सियासत का मिश्रण सही नहीं है. वे कहते हैं कि खिलाड़ियों की लोकप्रियता को सियासत के नाम पर इस्तेमाल करने का कल्चर पहले से रहा है. लेकिन इससे बचना जरूरी है. वे कहते हैं कि अगर हरियाणा में चुनाव न होते तो शायद इस मुद्दे को पार्टियां इस स्तर पर न ले जाती. सभी राजनीतिक दल अपने अपने राज्यों में खिलाड़ियों के लिए क्या कर रहे हैं? इस पर चर्चा करने के बजाए किसी व्यक्ति विशेष के कंधे पर अपनी बंदूक रखकर खुद को खिलाड़ियों का हितेषी बनाने की कोशिश करने में लगे हुए है जो सही नही है. यह ठीक है कि हम सबको अपने खिलाड़ियों के साथ खड़े रहना चाहिए, ताकि उनका मनोबल बना रहे, लेकिन खिलाड़ियों का सियासी इस्तेमाल करने से सभी को बचना चाहिए.