कुल्लू: सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा का विशेष और महत्व है. इन दोनों ही दिन दान, पूजन के लिए उपयुक्त माने गए हैं. ऐसे में भाद्रपद मास की अमावस्या सोमवार 2 सितंबर को मनाई जाएगी. सोमवार का दिन होने के चलते इसे सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों में लिखा गया है कि जो भी भक्त इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों के निमित दान पूजन करता है तो उसे पितरों का आशीर्वाद मिलता है. ऐसे में 2 सितंबर को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी.
आचार्य दीप कुमार शर्मा का कहना है कि भाद्रपद अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस अमावस्या का समापन 3 सितंबर को सुबह 7 बजकर 24 मिनट पर होगा. ऐसे में शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान और दान उदया तिथि में मान्य होता है. इसलिए भाद्रपद मास की अमावस्या 2 सितंबर को मनाई जाएगी.
उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान सुबह 4 बजकर 38 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 24 मिनट के बीच किया जाएगा. इसके साथ ही पितरों का श्राद्ध कर्म दोपहर 12 बजे के बाद और सूर्यास्त से पहले किया जाएगा. इस दिन भक्त को सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और उसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें. साथ ही अपने परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना करें.
इस दिन पितरों की शांति के लिए पितृ पूजा और पितृ तर्पण करने का भी विधान है. इस दिन दान-पुण्य करना अत्यधिक पुण्यदायी माना गया है, ऐसे में अपनी क्षमता अनुसार दान करें. भक्त इस दिन ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा जरूर दें और इस दिन तामसिक चीजों से पूर्णता दूरी बनाए रखे.
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