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सर्जरी कराए बिना सिकुड़ जाएंगे छोटे ट्यूमर, कैंसर संस्थान में 37 करोड़ रुपये से लगेगा SRS और SBRT सिस्टम

स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी सिस्टम (SRS) और स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरेपी (SBRT) के लिए 37 करोड़ रुपये का बजट मंजूर.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Photo Credit- ETV Bharat
बेहद छोटे आकार के कैंसर वाले ट्यूमर का बिना सर्जरी ही इलाज हो सकेगा (Photo Credit- ETV Bharat)

लखनऊ: कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में अब बेहद छोटे आकार के कैंसर वाले ट्यूमर का बिना सर्जरी ही इलाज हो सकेगा. इसके लिए स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी सिस्टम (एसआरएस) और स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरेपी (एसबीआरटी) की व्यवस्था होने जा रही है. संस्थान को इसके लिए 37 करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं.

एसआरएस का नाम भले ही स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी सिस्टम है, लेकिन इसमें सर्जरी नहीं की जाती है. इस तकनीक में मस्तिष्क और गले में मौजूद कैंसर वाले छोटे-छोटे ट्यूमर का रेडिएशन की हाई डोज देकर इलाज होता है. इसमें 3D तकनीक के इस्तेमाल से सिर्फ ट्यूमर पर ही रेडिएशन का प्रभाव पड़ता है. यह रेडिएशन सिर्फ एक बार दिया जाता है. ऐसे में मरीज को बार-बार अस्पताल के चक्कर भी नहीं काटने पड़ते हैं.

एसबीआरटी सिस्टम में मस्तिष्क और रीढ़ को छोड़कर पूरे शरीर में ट्यूमर का रेडिएशन से इलाज किया जाता है. इस तकनीक में भी सर्जरी नहीं की जाती है. रेडिएशन के डोज से ही ट्यूमर का उपचार होता है. यह रेडिएशन करीब पांच बार दिया जाता है, जिससे छोटे ट्यूमर पूरी तरह खत्म हो जाते हैं.

कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार कैंसर के इलाज को लेकर बेहद गंभीर है. यही वजह है कि कैंसर संस्थान को विशेष रूप से बजट दिया गया है. इससे संस्थान में मरीजों को और बेहतर इलाज मिल सकेगा.

ये भी पढ़ें- कानपुर में KDA ने आवंटियों को दिए 794 फ्लैट्स; न्यू कानपुर सिटी हाउसिंग प्रोजेक्ट ने भी पकड़ी रफ्तार, मिलेंगे प्लॉट और दुकानें

लखनऊ: कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में अब बेहद छोटे आकार के कैंसर वाले ट्यूमर का बिना सर्जरी ही इलाज हो सकेगा. इसके लिए स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी सिस्टम (एसआरएस) और स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरेपी (एसबीआरटी) की व्यवस्था होने जा रही है. संस्थान को इसके लिए 37 करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं.

एसआरएस का नाम भले ही स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी सिस्टम है, लेकिन इसमें सर्जरी नहीं की जाती है. इस तकनीक में मस्तिष्क और गले में मौजूद कैंसर वाले छोटे-छोटे ट्यूमर का रेडिएशन की हाई डोज देकर इलाज होता है. इसमें 3D तकनीक के इस्तेमाल से सिर्फ ट्यूमर पर ही रेडिएशन का प्रभाव पड़ता है. यह रेडिएशन सिर्फ एक बार दिया जाता है. ऐसे में मरीज को बार-बार अस्पताल के चक्कर भी नहीं काटने पड़ते हैं.

एसबीआरटी सिस्टम में मस्तिष्क और रीढ़ को छोड़कर पूरे शरीर में ट्यूमर का रेडिएशन से इलाज किया जाता है. इस तकनीक में भी सर्जरी नहीं की जाती है. रेडिएशन के डोज से ही ट्यूमर का उपचार होता है. यह रेडिएशन करीब पांच बार दिया जाता है, जिससे छोटे ट्यूमर पूरी तरह खत्म हो जाते हैं.

कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार कैंसर के इलाज को लेकर बेहद गंभीर है. यही वजह है कि कैंसर संस्थान को विशेष रूप से बजट दिया गया है. इससे संस्थान में मरीजों को और बेहतर इलाज मिल सकेगा.

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