नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले छह लाख से ज्यादा बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत लाभ महज बैंक खाता नहीं होने की वजह से नहीं मिल रहे हैं. याचिका सोशल जूरिस्ट संस्था की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने की है.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मिलने वाली सुविधाएं जैसे यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि नहीं मिल पा रही हैं. याचिका में कहा गया है कि राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट, दिल्ली राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी रुल्स और दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट के नियमों के मुताबिक बच्चों को शिक्षण सत्र के शुरू में ही उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री इत्यादि सुविधाएं मिलनी चाहिए.
यह भी पढ़ें- न्यूज क्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को सरकारी गवाह बनने की अनुमति मिली
याचिका में कहा गया है दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले 2,69,488 छात्र और दिल्ली नगर निगम में पढ़ने वाले 3,83,203 छात्र शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मिलने वाले वैधानिक सुविधाओं से वंचित हैं. याचिका में 14 नवंबर 2023 के ऑडिट मेमो का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि 2016-17 से शिक्षण सत्र से दिल्ली नगर निगम के छात्रों को वैधानिक वित्तीय सुविधा नहीं दी जाती हैं.
कमोबेश यही हालत दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की भी है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम को दिशानिर्देश जारी किए जाएं कि वे अपने स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों का बैंक खाता होना सुनिश्चित करें. साथ ही शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मिलने वाली वैधानिक राशि को उनके बैंक खाते में समय पर ट्रांसफर करें.
याचिका में कहा गया है कि जिन बच्चों का खाता है उनके बैंक खातों में भी वैधानिक धन का ट्रांसफर समय नहीं किया जा रहा है. कई छात्रों के खातों में ये रकम शिक्षण सत्र के अंत में पहुंचती है. याचिका में कहा गया है कि 2023-24 का शिक्षण सत्र समाप्ति पर है उसके बावजूद कई छात्रों के बैंक खातों में अभी तक ये रकम नहीं पहुंची है.
ये भी पढ़ें : दिल्ली दंगों के मामले में पूर्व कांग्रेस पार्षद समेत 13 लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश और दंगा करने के आरोप तय