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मानसून की दस्तक से पहले दहशत में 3 गांवों के लोग, यहां हर साल बरसात में मचती है तबाही, 1978 से ग्रामीण लगा रहे गुहार - Sirmaur villagers Problem - SIRMAUR VILLAGERS PROBLEM

Sirmaur three villages villagers are scared before Monsoon: हिमाचल प्रदेश में कुछ ही दिनों में मानसून की दस्तक होने वाली है. लेकिन उससे पहले सिरमौर जिले के तीन गांवों के लोग दहशत में हैं. क्योंकि यहां हर साल बरसात में दो स्थानीय खड्ड अपने साथ पानी और तबाही लेकर आता है. ऐसे में इन ग्रामीणों ने डीसी से इस समस्या के समाधान को लेकर गुहार लगाई है.

मानसून की दस्तक से पहले दहशत में 3 गांवों के लोग
मानसून की दस्तक से पहले दहशत में 3 गांवों के लोग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 20, 2024, 4:08 PM IST

Updated : Jun 20, 2024, 5:20 PM IST

मानसून की दस्तक से पहले दहशत में 3 गांवों के लोग (ETV Bharat)

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के विकासखंड तिलोरधार की चांदनी पंचायत के अंतर्गत आने वाले तीन गांवों के ग्रामीण बरसात से पहले सहमे हुए हैं. क्योंकि हर साल बरसात में यहां स्थानीय खड्ड पानी के साथ तबाही लेकर आता है. पिछली बरसात में भी यहां लोगों के घरों सहित फसलों को बड़ा नुक्सान हुआ था. हालात यह है कि ग्रामीण 1978 से समस्या के समाधान की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी फरियाद पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

मानसून से पहले ग्रामीणों ने डीसी से लगाई गुहार: कुछ ही दिनों में हिमाचल प्रदेश में मानसून दस्तक देने वाली है. लिहाजा अंबोण, जांदनिया और खादर गांवों के ग्रामीण एक बार फिर अपनी फरियाद लेकर चांदनी पंचायत प्रधान के नेतृत्व में डीसी सिरमौर सुमित खिमटा के पास पहुंचे और उन्हें एक ज्ञापन सौंप समस्या के समाधान की गुहार लगाई है.

1978 से चली आ रही है समस्या: ग्रामीण रमेश कुमार पुंडीर ने कहा कि गांव अम्बोन, जांदनिया और खादर गांवों में अम्बोन और घुंडाना खड्ड ही समस्या 1978 से चली आ रही है. हर वर्ष बरसात के मौसम में 4 से 5 घर बेघर हो जाते हैं. लिहाजा बरसात के मौसम में लोगों को टैंट लगाकर सड़क या सुरक्षित जगहों पर रहना पड़ता है. बरसात के मौसम में पशुओं को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

हर साल बरसात में होता है नुकसान: इन तीनों गांव के ग्रामीणों के पास खेती और पशुधन से दूध बेचने के सिवाए आजीविका का भी कोई साधन नहीं है. पिछली बरसात में कई पशु खड्ड में भी चले गए. लोगों का भी काफी नुकसान हुआ है. 3-4 घर मलबे की चपेट में आ गए थे. जमीन बर्बाद होने के कारण रोजी रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है. पिछले वर्ष की हालत को देखते हुए इस बार काफी लोगों ने अपनी फसलें भी नहीं बिजी है. यदि बीजते भी है, तो खड्ड का पानी इतना अधिक आता है कि सब कुछ बहाकर ले जाता है.

ग्रामीणों ने की स्थायी समाधान की मांग: लिहाजा इस बार भी बरसात के मौसम को देखते हुए अभी से लोगों में डर बना हुआ है. उन्होंने जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा कि समस्या को लेकर स्थायी समाधान किया जाए, तो अच्छा रहेगा. यदि इसमें समय लगता है, तो कम से कम गांवों के बीच में खड्डों के पानी के लिए अस्थायी तौर पर चैनलाइजेशन की जाए, ताकि गांवों को नुकसान न पहुंचे.

पिछली बरसात में तीनों गांवों को हुआ था नुकसान: वहीं, अन्य ग्रामीणों ने भी कहा कि पिछली बरसात में भी तीनों गांवों को बहुत नुकसान पहुंचा था और इस बार भी ग्रामीण सहमे हुए हैं. हर बरसात में यहां बहुत नुकसान हो रहा है. कम से कम बरसात के मौसम को देखते हुए अंबोण और घुंडाना खड्ड का अस्थायी तौर पर चैनलाइजेशन किया जाए. इसके बाद समस्या का स्थायी समाधान करने की भी जरूरत है.

वहीं, सिरमौर डीसी सुमित खिमटा ने ग्रामीणों को इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है और मामले में संबंधित विभाग को उचित दिशा निर्देश जारी किए हैं. ताकि बरसात में लोगों को परेशानी न उठानी पड़े.

ये भी पढ़ें: बिलासपुर सर्किट हाउस के पास फायरिंग, सौरभ पटियाल उर्फ फांदी को लगी गोली, पकड़ में आया एक आरोपी

मानसून की दस्तक से पहले दहशत में 3 गांवों के लोग (ETV Bharat)

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के विकासखंड तिलोरधार की चांदनी पंचायत के अंतर्गत आने वाले तीन गांवों के ग्रामीण बरसात से पहले सहमे हुए हैं. क्योंकि हर साल बरसात में यहां स्थानीय खड्ड पानी के साथ तबाही लेकर आता है. पिछली बरसात में भी यहां लोगों के घरों सहित फसलों को बड़ा नुक्सान हुआ था. हालात यह है कि ग्रामीण 1978 से समस्या के समाधान की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी फरियाद पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

मानसून से पहले ग्रामीणों ने डीसी से लगाई गुहार: कुछ ही दिनों में हिमाचल प्रदेश में मानसून दस्तक देने वाली है. लिहाजा अंबोण, जांदनिया और खादर गांवों के ग्रामीण एक बार फिर अपनी फरियाद लेकर चांदनी पंचायत प्रधान के नेतृत्व में डीसी सिरमौर सुमित खिमटा के पास पहुंचे और उन्हें एक ज्ञापन सौंप समस्या के समाधान की गुहार लगाई है.

1978 से चली आ रही है समस्या: ग्रामीण रमेश कुमार पुंडीर ने कहा कि गांव अम्बोन, जांदनिया और खादर गांवों में अम्बोन और घुंडाना खड्ड ही समस्या 1978 से चली आ रही है. हर वर्ष बरसात के मौसम में 4 से 5 घर बेघर हो जाते हैं. लिहाजा बरसात के मौसम में लोगों को टैंट लगाकर सड़क या सुरक्षित जगहों पर रहना पड़ता है. बरसात के मौसम में पशुओं को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

हर साल बरसात में होता है नुकसान: इन तीनों गांव के ग्रामीणों के पास खेती और पशुधन से दूध बेचने के सिवाए आजीविका का भी कोई साधन नहीं है. पिछली बरसात में कई पशु खड्ड में भी चले गए. लोगों का भी काफी नुकसान हुआ है. 3-4 घर मलबे की चपेट में आ गए थे. जमीन बर्बाद होने के कारण रोजी रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है. पिछले वर्ष की हालत को देखते हुए इस बार काफी लोगों ने अपनी फसलें भी नहीं बिजी है. यदि बीजते भी है, तो खड्ड का पानी इतना अधिक आता है कि सब कुछ बहाकर ले जाता है.

ग्रामीणों ने की स्थायी समाधान की मांग: लिहाजा इस बार भी बरसात के मौसम को देखते हुए अभी से लोगों में डर बना हुआ है. उन्होंने जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा कि समस्या को लेकर स्थायी समाधान किया जाए, तो अच्छा रहेगा. यदि इसमें समय लगता है, तो कम से कम गांवों के बीच में खड्डों के पानी के लिए अस्थायी तौर पर चैनलाइजेशन की जाए, ताकि गांवों को नुकसान न पहुंचे.

पिछली बरसात में तीनों गांवों को हुआ था नुकसान: वहीं, अन्य ग्रामीणों ने भी कहा कि पिछली बरसात में भी तीनों गांवों को बहुत नुकसान पहुंचा था और इस बार भी ग्रामीण सहमे हुए हैं. हर बरसात में यहां बहुत नुकसान हो रहा है. कम से कम बरसात के मौसम को देखते हुए अंबोण और घुंडाना खड्ड का अस्थायी तौर पर चैनलाइजेशन किया जाए. इसके बाद समस्या का स्थायी समाधान करने की भी जरूरत है.

वहीं, सिरमौर डीसी सुमित खिमटा ने ग्रामीणों को इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है और मामले में संबंधित विभाग को उचित दिशा निर्देश जारी किए हैं. ताकि बरसात में लोगों को परेशानी न उठानी पड़े.

ये भी पढ़ें: बिलासपुर सर्किट हाउस के पास फायरिंग, सौरभ पटियाल उर्फ फांदी को लगी गोली, पकड़ में आया एक आरोपी

Last Updated : Jun 20, 2024, 5:20 PM IST
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