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इस राज्य से भगवान श्रीकृष्ण का है 3 अटूट रिश्ता, यहीं मिली थी शिक्षा, शस्त्र और पत्नी रुक्मिणी - Krishna Connection With MP

देशभर में नटखट लाल कृष्ण कन्हैया के आगमन की तैयारियां जोरो-शोरों से चल रही है. मध्य प्रदेश में तो मोहन यादव सरकार ने कलेक्टरों को 14 स्थानों पर मंदिरों में तैयारियों के आदेश तक जारी कर दिए हैं. आज हम आपको बताते हैं भगवान श्री कृष्ण का मध्य प्रदेश से नाता. यह पहला ऐसा राज्य है, जहां श्री कृष्ण को शिक्षा, संगिनी और शस्त्र मिले थे.

KRISHNA CONNECTION WITH MP
यहां इन 3 स्थानों पर श्री कृष्ण को मिली थी शिक्षा, शस्त्र और संगिनी (ETV BHarat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 23, 2024, 4:05 PM IST

Updated : Aug 23, 2024, 5:22 PM IST

KRISHNA CONNECTION WITH MP: इस साल 26 अगस्त को भगवान कृष्ण के जन्म का महापर्व जन्माष्टमी मध्य प्रदेश में व्यापक पैमाने पर मनाया जा रहा है. दरअसल, मध्य प्रदेश ही ऐसा इकलौता राज्य है, जहां भगवान कृष्ण को शिक्षा, शस्त्र और संगिनी तीनों मिले थे. आइये जानते हैं यह तीन स्थान कौन से हैं और भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े पौराणिक प्रसंग किस तरह आज भी विद्यमान है.

जन्माष्टमी की तैयारियों में जुटा प्रशासन (ETV Bharat)

अमझेरा में हुआ था रुक्मणी का हरण

राजकुमारी रुक्मिणी के संदेश व उनके अनुरोध पर भगवान कृष्ण द्वारिका से चलकर तत्कालीन विदर्भ राज्य के कुंदनपुर गांव पहुंचे थे. इसी कुंदनपुर गांव को आज धार जिले के अमझेरा गांव के नाम से जाना जाता है. श्रीमद् भागवत में उल्लेख है कि 'रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने भोपावर में दोनों यानि श्री कृष्ण और रुक्मिणी का पीछा किया और उन्हें रोक लिया. वर्तमान में अमझेरा से 15 किलोमीटर दूर यह स्थान है. यहां राजकुमार रुक्मी भगवान कृष्ण से हार गए थे. इसके बाद भगवान कृष्ण रुक्मिणी को साथ लेकर द्वारिका चले गए. इस स्थान पर आज भी अमका-झमका मंदिर मौजूद है. जहां मंदिर के पीछे भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा बनवाया गया सीमेंट से बना घोड़े का प्रतीकात्मक रथ आज भी मौजूद है.

Shri Krishna Janmashtami 2024
धार में अमका झमका मंदिर (ETV Bharat)

किवंदती के अनुसार भगवान कृष्ण के रथ के घोड़े ने जैसे ही गति पकड़ी तो रथ आगे बढ़ गया, लेकिन रथ के पहियों के निशान वहीं रहे. वर्तमान में यह स्थान सरदारपुर तहसील के धार मनावर रोड पर मौजूद है. जो पहाड़ गुफा झील और तालाब और प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है.

Krishna Shikha in Ujjain Sandipani
संदीपनी आश्रम में कृष्ण, बलराम और सुदामा ने ली शिक्षा (ETV Bharat)

उज्जैन का सांदीपनि आश्रम

उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर पांच हजार साल से ज्यादा पुराना गुरुकुल ऋषि सांदीपनि आश्रम आज भी मौजूद है. यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने पढ़ाई की थी. श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 विद्याएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित कुल 64 दिन में 64 अलग-अलग कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था. भगवान कृष्ण के साथ में बलराम और सुदामा जी भी 64 दिन तक शिक्षा-दिक्षा हासिल की थी. इस स्थान पर आज भी जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं.

KRISHNA SUDARSHAN CHAKRA IN JANAPAV
जानापाव तीर्थ स्थल (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

जन्माष्टमी पर रास रचैया किशन कन्हैया 14 शहरो में आ रहे, स्वागत में जुटेंगे मध्य प्रदेश के कलेक्टर

एमपी में इस बार सरकार मनाएगी कृष्ण जन्माष्टमी, मथुरा द्वारका की तरह होगा इन जगहों पर उत्सव

जानापाव जहां मिला था सुदर्शन चक्र

भगवान कृष्ण से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस चक्र को भगवान शिव ने भगवान विष्णु को, श्रीविष्णु ने अग्नि देव को, अग्नि देव ने वरुण देव, वरुण देव ने भगवान परशुराम को और परशुराम ने भगवान कृष्ण को यह अमोघ अस्त्र ‘सुदर्शन चक्र’ जानापाव में प्रदान किया था. जिसके उल्लेख भगवान कृष्ण से जुड़े शास्त्रों में आज भी मिलते हैं. इंदौर के पास मौजूद यह धार्मिक स्थल भगवान परशुराम की जन्मस्थली के नाम से भी चर्चित है.

KRISHNA CONNECTION WITH MP: इस साल 26 अगस्त को भगवान कृष्ण के जन्म का महापर्व जन्माष्टमी मध्य प्रदेश में व्यापक पैमाने पर मनाया जा रहा है. दरअसल, मध्य प्रदेश ही ऐसा इकलौता राज्य है, जहां भगवान कृष्ण को शिक्षा, शस्त्र और संगिनी तीनों मिले थे. आइये जानते हैं यह तीन स्थान कौन से हैं और भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े पौराणिक प्रसंग किस तरह आज भी विद्यमान है.

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अमझेरा में हुआ था रुक्मणी का हरण

राजकुमारी रुक्मिणी के संदेश व उनके अनुरोध पर भगवान कृष्ण द्वारिका से चलकर तत्कालीन विदर्भ राज्य के कुंदनपुर गांव पहुंचे थे. इसी कुंदनपुर गांव को आज धार जिले के अमझेरा गांव के नाम से जाना जाता है. श्रीमद् भागवत में उल्लेख है कि 'रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने भोपावर में दोनों यानि श्री कृष्ण और रुक्मिणी का पीछा किया और उन्हें रोक लिया. वर्तमान में अमझेरा से 15 किलोमीटर दूर यह स्थान है. यहां राजकुमार रुक्मी भगवान कृष्ण से हार गए थे. इसके बाद भगवान कृष्ण रुक्मिणी को साथ लेकर द्वारिका चले गए. इस स्थान पर आज भी अमका-झमका मंदिर मौजूद है. जहां मंदिर के पीछे भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा बनवाया गया सीमेंट से बना घोड़े का प्रतीकात्मक रथ आज भी मौजूद है.

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धार में अमका झमका मंदिर (ETV Bharat)

किवंदती के अनुसार भगवान कृष्ण के रथ के घोड़े ने जैसे ही गति पकड़ी तो रथ आगे बढ़ गया, लेकिन रथ के पहियों के निशान वहीं रहे. वर्तमान में यह स्थान सरदारपुर तहसील के धार मनावर रोड पर मौजूद है. जो पहाड़ गुफा झील और तालाब और प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है.

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उज्जैन का सांदीपनि आश्रम

उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर पांच हजार साल से ज्यादा पुराना गुरुकुल ऋषि सांदीपनि आश्रम आज भी मौजूद है. यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने पढ़ाई की थी. श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 विद्याएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित कुल 64 दिन में 64 अलग-अलग कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था. भगवान कृष्ण के साथ में बलराम और सुदामा जी भी 64 दिन तक शिक्षा-दिक्षा हासिल की थी. इस स्थान पर आज भी जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं.

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Last Updated : Aug 23, 2024, 5:22 PM IST
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