धौलपुर. जिले के बाड़ी उपखंड में शहर के ऐतिहासिक श्री बारह भाई मेले का बुधवार को ध्वज स्थापना के साथ पुराना बाजार में विधिवत आगाज हो गया. मेला अध्यक्ष सतीश प्रजापति ने मेले की ध्वज को अपनी कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ कार्यालय की छत पर विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद स्थापित कर दिया. सात रंगों की बनी यह ध्वज अब मेला समापन पर ही उतारी जाएगी. ऐसे में मेले के आगाज के साथ अब मेले की तैयारी शुरू कर दी गई है.
1857 की क्रांति से जुड़ा इतिहास : सन् 1859 में शुरू हुआ ऐतिहासिक मेला प्राचीन इतिहास को समेटे हुए हैं. मेले के आयोजन को लेकर पंडित त्रिलोकीनाथ कन्नुआ, उमाशंकर कपरेले, ज्ञानसिंह प्रजापति और इससे जुड़े अन्य बुजुर्ग बताते हैं कि 1857 से पूर्व जब अंग्रेजों की 'फूट डालो राज करो' नीति सफल हो रही थी और देश टुकड़ों में बिखर रहा था तो मंगल पांडे ने धार्मिक भावनाओं से छेड़छाड़ करने पर क्रांति की शुरुआत की थी. अग्रेजो ने उस क्रांति को तो समाप्त कर दिया लेकिन उसका असर भारत के हर कोने में लंबे समय तक रहा. ऐसे में यहां के लोगों ने भी भगवान राम के अयोध्या आगमन की तर्ज पर मेला लगाने और लोगों को एकजुट करने का संकल्प लिया, जिसमें 36 कौमों के लोग शामिल थे. ऐसे में पुराना बाजार में 12 जातियों के भाइयों ने मेले की शुरुआत की, जिसकी परंपरा आज भी कायम है.
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अष्ट दिवसीय मेले का होगा आयोजन : चैत्र कृष्ण पक्ष द्वितीया यानी होली की दौज से शुरू हुआ यह मेला आठ दिवसीय आयोजन होगा. बुधवार को मेले की सतरंगी ध्वज की स्थापना के साथ होली पर राधा-कृष्ण की झांकी निकाली गई, जिसमें हुलियरों की ओर से पुष्प की होली की गई. इस आयोजन के तहत 31 मार्च को पुराना बाजार में मेला बैठक होगी, एक अप्रैल को शहर में दिव्य और भव्य झांकी निकाली जाएगी. 2 अप्रैल को राम की राजगद्दी का आयोजन होगा, इसके बाद मेले का समापन हो जाएगा.
21 झांकियां 11 बैंड लेंगे हिस्सा : मेला अध्यक्ष सतीश प्रजापति ने बताया कि मेले को दिव्य और भव्य बनाने के लिए मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से 21 झांकियां और 11 बैंड बाहर से मंगाए गए हैं. इसके अलावा बाड़ी शहर और आसपास के क्षेत्र के जितने भी बैंड और झाकियां हैं, वो भी मेले की शोभा बढ़ाएंगे.