नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के तबादले पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने ऐतराज जताया है. शिक्षा मंत्री आतिशी ने 5,000 शिक्षकों के ट्रांसफर को रोकने के प्रभारी मंत्री के आदेश न मानने के लिए शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. दरअसल उन्होंने एक जुलाई को लिखित आदेश में निर्देश दिया था कि किसी भी शिक्षक को केवल इसलिए स्थानांतरित नहीं किया जाएगा, क्योंकि उसने किसी विशेष स्कूल में 10 वर्ष से अधिक समय पूरा कर लिया है.
संविधान के अनुच्छेद 239 एए का हवाला देते हुए शिक्षा मंत्री ने उल्लेख किया है कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार राज्य सूची और समवर्ती सूची में सूचीबद्ध मामलों के संबंध में कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करती है. उन्होंने सवाल उठाया कि प्रभारी मंत्री के आदेशों की अवहेलना करके संविधान के अनुच्छेद 239AA का उल्लंघन करने के लिए शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशालय को कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं दिया जाना चाहिए.
वहीं, इस मुद्दे पर आप नेता व विधायक दिलीप पांडेय का कहना है कि दिल्ली में केजरीवाल के शिक्षा मॉडल को खत्म करने की कोशिश कर रही है. भाजपा और एलजी साहब ने आपसी सांठगांठ कर दिल्ली सरकार के स्कूलों में तैनात पांच हजार से ज्यादा शिक्षकों का तबादला कर दिया है. भाजपा ने एलजी के जरिए इतने बड़े पैमाने पर शिक्षकों का तबादला करके दिल्ली शिक्षा मॉडल की कमर तोड़ने की साजिश रची है, लेकिन हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे.
उन्होंने कहा कि कि शिक्षक संघों के जरिए जब यह मामला शिक्षा मंत्री आतिशी के संज्ञान में आया, तब उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया और तबादले को रद्द करने का निर्देश दिया. इसके बाद भी तबादले का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया. इससे साफ है कि भाजपा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य के खिलाफ है और नहीं चाहती है कि ये बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें.
बता दें, गत दिनों प्रगतिशील शिक्षक न्याय मंच और लोकतांत्रिक अध्यापक मंच ने दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी से मुलाकात कर ट्रांसफर के आदेश की जानकारी दी थी. आदेश के क्रमांक संख्या 16 में लिखा है कि किसी टीचर के एक स्कूल में 10 साल पूरे हो जाने पर उसे पोर्टल पर जाकर खुद ट्रांसफर के लिए आवेदन करना होगा. अन्यथा उसका जबरन किसी भी स्कूल में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
दिलीप पांडे ने कहा कि यह शिक्षक संघ दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के हितों का पक्ष रखते हैं और समय-समय पर उनके हक और इंसाफ के लिए आवाज उठाते हैं. इनकी कई महत्वपूर्ण मांगों में से एक जायज मांग यह थी कि सरकारी संस्थानों में ट्रांसफर और पोस्टिंग का नियम इसलिए बनाया गया है ताकि एक पद और स्थान पर बने रहकर कोई भी अधिकारी अपना एक ऐसा नेक्सस न विकसित कर सके, जिससे उसे आर्थिक या अन्य प्रकार के लेन-देन से लाभ मिले.
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अन्य सरकारी महकमों और संस्थानों में कर्मचारियों के पास भले ही भ्रष्टाचार करने का अवसर मिलता हो, लेकिन शिक्षकों के मामले में इसका उल्टा होना चाहिए. किसी स्कूल में जाने के बाद शिक्षक धीरे-धीरे वहां के बच्चों और अन्य शिक्षकों के साथ घुल-मिल जाता है. पेरेंट्स टीचर मीटिंग के दौरान बच्चों के अभिभावकों के साथ भी अपना सामंजस्य स्थापित करता है. लंबे प्रयासों के बाद जब एक बार बच्चे और उनके माता-पिता के साथ शिक्षक का सामंजस्य स्थापित हो जाता है, तो वह और बेहतर तरीके से पढ़ा पाते हैं और बच्चों के रिजल्ट पर ध्यान दे पाते हैं इसलिए देश की नई शिक्षा नीति भी इस तरह से शिक्षकों के ट्रांसफर का समर्थन नहीं करती है.
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