चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट रामघाट से सटे मध्य प्रदेश के बॉर्डर में स्थित है रामगिरी शिवानी माता शक्तिपीठ. यह शक्तिपीठ भारत में स्थापित 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. इस शक्तिपीठ में नवरात्रि ही नहीं, बल्कि 12 महीने भक्तों का ताता लगा रहता है. भक्त यह मानते हैं कि उनका व्रत रखने और मन्नत मांगने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
कैसे बने ये यह शक्तिपीठ: जब महादेव शिव जी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति शिव जी का अपमान सहन नहीं कर पाई, तब उसी यज्ञ में कूदकर अपनी आहुति दे दी. शिव जी को जब यह सूचना मिली तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया. बाद में शिव जी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए तांडव करने लगे. तांडव से धरती कांप उठी और देवताओं के सिंहासन डोल उठे.
सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचकर अपनी अर्जी लगाई. तब भगवान विष्णु ने अपना चक्र छोड़ा और माता सती के 52 टुकड़े हो गए. यह अंग और आभूषण जहां जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए. हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे. वही चित्रकूट में देवी सती का दाहिना वक्ष गिरा और यहां पर भी शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी.देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है. साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं. तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है.
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रामगिरि शिवानी शक्ति पीठ की क्या है मानता: रामगिरी शिवानी शक्तिपीठ पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया, कि देवी मां का प्रताप ऐसा है कि सच्चे दिल और भक्ति से मांगी हुई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. उनके अनुसार इस देवी स्थान पर आकर कई अंधों को आंख मिल चुकी है, जिसके सैकड़ो जीते जाते उदाहरण हैं. यही नहीं चित्रकूट के मध्य प्रदेश में स्थित जानकी कुंड आंखों के अस्पताल एक डॉक्टर की बेटी बोलने में सामर्थ्य थी. जब उन्होंने माता के पास अपनी अर्जी लगाई, तब वह बोलने लगी और डॉक्टर ने बीती सप्तमी को शक्तिपीठ में चांदी की जीभ चढ़ाई है.
कुछ भक्तों और मंदिर के पुजारी ने बताया, जिन भक्तों को चेचक होती है, वह माता से अपनी अर्जी लगाते हैं. देखते ही देखते वह चेचक भक्तों के शरीर से हटकर माता के शरीर में पहुंच जाती है. जिसका उदाहरण उन्होंने मूर्ति में फोड़े के रूप में उभरे दागों को दिखाया है.
इस शक्तिपीठ में नहीं है छत: रामगिरी शिवानी शक्तिपीठ के पुजारी ने बताया, कि सभी मंदिरों में छत और गुम्बज होते हैं. पर इस शक्तिपीठ में छत नहीं है. माता खुले में रहना चाहती हैं. भक्तों और मंदिर की ओर से कई बार कोशिश की गई की इस शक्तिपीठ में भी छत हो. लेकिन किसी न किसी कारणवश आज तक छत नहीं बन पाई है. कभी माता मंदिर की पुजारी तो कभी भक्तों को सपने में छत ना डलवाने की चेतावनी देता है. कहती हैं, मैं सबको छत देती हूं तुम कैसे मेरी छत बनवा सकते हो. सिर्फ एक नीम के पेड़ की छाया के नीचे रामगिरी शिवानी शक्तिपीठ स्थित है.
(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं, ईटीवी भारत किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है)