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शारदीय नवरात्रि: जानिए कितने साल की लड़की का करें कन्या पूजन

1 से 9 साल की लड़कियों को मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व माना जाता है. आइये जानते हैं पूजन से जुड़ी खास बातें

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1 से 9 साल की लड़कियों को मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व माना जाता है (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 7, 2024, 6:37 PM IST

नई दिल्ली: सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है. यह 9 दिनों का उत्सव माता दुर्गा की अर्जुन शक्ति का प्रतीक है. शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2023 को महाष्टमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन होगा. यह दिन मां दुर्गा के व्रत के दौरान श्रद्धालियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र होता है.

कन्या पूजन का महत्व: कन्या पूजन का प्रचलन नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष रूप से देखा जाता है. इस दिन मां दुर्गा की श्रद्धा में कन्याओं को देवी स्वरूप माना जाता है. पंडित सुनील शास्त्री के अनुसार, महाष्टमी के दिन कन्या पूजन करने से माता रानी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. यह एक पवित्र आस्था का प्रतीक है, जिसके माध्यम से भक्त अपनी इच्छाओं को मां दुर्गा के समक्ष प्रस्तुत करते हैं. शास्त्रों के अनुसार, कन्याओं की पूजा से समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है.

किस उम्र तक की लड़कियों का होता है पूजन: कन्या पूजन के लिए एक महत्वपूर्ण नियम है, जिसे शास्त्रों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है. पुजारी सुनील शास्त्री के अनुसार, केवल 9 वर्ष तक की कन्याओं का ही पूजन करना चाहिए. वे शास्त्रों के अनुसार विभिन्न देवी रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं.

जानिए कितने साल की लड़की का करें कन्या पूजन
जानिए कितने साल की लड़की का करें कन्या पूजन (ETV Bharat)

इन रूपों के माध्यम से कन्याओं का पूजन किया जाता है. 9 वर्ष की आयु पूरी होते ही कन्या शादी योग्य मानी जाती है, और इस दौरान उनके पूजन की मान्यता समाप्त हो जाती है. इसलिए, नवरात्रि में 9 वर्ष से अधिक की कन्याओं का पूजन मान्य नहीं होता.

कन्या पूजन की विधि: कन्या पूजन के दौरान, श्रद्धालु विशेष रूप से शुद्धता का ध्यान रखते हैं. कन्याओं को खाद्य पदार्थ जैसे पूड़ी, हलवा, चने इत्यादि का भोग अर्पित किया जाता है, और उनके पांवों को धोकर उन्हें स्थान दिया जाता है. यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक परंपराओं को भी सहेजने में सहायक है.

यह भी पढ़ें- नवरात्र का पांचवा दिन: कालकाजी मंदिर में लगी भक्तों की भारी भीड़, झंडेवालान मंदिर में हुई भव्य आरती

घर में दरिद्रता दूर करने का उपाय: जो भक्त नौ दिनों तक लगातार कन्या पूजन करते हैं, उनके घर में दरिद्रता नहीं आती. यह एक आध्यात्मिक मान्यता है, जो न केवल धार्मिक विश्वास को मजबूत करती है, बल्कि पारिवारिक एकता और सुख-समृद्धि के लिए भी फायदेमंद होती है. इसके साथ ही, शारदीय नवरात्रि में लक्ष्मी पूजन का आयोजन भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है, जो जीवन में धन और ऐश्वर्य को बढ़ाता है.

निष्कर्ष: शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूत बनाता है. कन्या पूजन का महत्व और इसकी विधि हमें आत्मिक साधना और धार्मिकता के महत्व का आभास कराती है. इसलिए, इस नवरात्रि को हमें इन बातों का ध्यान रखते हुए सही तरीके से मनाना चाहिए और माता रानी की कृपा प्राप्त करनी चाहिए.

यह भी पढ़ें- दिल्ली में 40 स्कूलों के बच्चे रामलीला में अलग-अलग किरदार का कर रहे मंचन

नई दिल्ली: सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है. यह 9 दिनों का उत्सव माता दुर्गा की अर्जुन शक्ति का प्रतीक है. शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2023 को महाष्टमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन होगा. यह दिन मां दुर्गा के व्रत के दौरान श्रद्धालियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र होता है.

कन्या पूजन का महत्व: कन्या पूजन का प्रचलन नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष रूप से देखा जाता है. इस दिन मां दुर्गा की श्रद्धा में कन्याओं को देवी स्वरूप माना जाता है. पंडित सुनील शास्त्री के अनुसार, महाष्टमी के दिन कन्या पूजन करने से माता रानी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. यह एक पवित्र आस्था का प्रतीक है, जिसके माध्यम से भक्त अपनी इच्छाओं को मां दुर्गा के समक्ष प्रस्तुत करते हैं. शास्त्रों के अनुसार, कन्याओं की पूजा से समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है.

किस उम्र तक की लड़कियों का होता है पूजन: कन्या पूजन के लिए एक महत्वपूर्ण नियम है, जिसे शास्त्रों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है. पुजारी सुनील शास्त्री के अनुसार, केवल 9 वर्ष तक की कन्याओं का ही पूजन करना चाहिए. वे शास्त्रों के अनुसार विभिन्न देवी रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं.

जानिए कितने साल की लड़की का करें कन्या पूजन
जानिए कितने साल की लड़की का करें कन्या पूजन (ETV Bharat)

इन रूपों के माध्यम से कन्याओं का पूजन किया जाता है. 9 वर्ष की आयु पूरी होते ही कन्या शादी योग्य मानी जाती है, और इस दौरान उनके पूजन की मान्यता समाप्त हो जाती है. इसलिए, नवरात्रि में 9 वर्ष से अधिक की कन्याओं का पूजन मान्य नहीं होता.

कन्या पूजन की विधि: कन्या पूजन के दौरान, श्रद्धालु विशेष रूप से शुद्धता का ध्यान रखते हैं. कन्याओं को खाद्य पदार्थ जैसे पूड़ी, हलवा, चने इत्यादि का भोग अर्पित किया जाता है, और उनके पांवों को धोकर उन्हें स्थान दिया जाता है. यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक परंपराओं को भी सहेजने में सहायक है.

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घर में दरिद्रता दूर करने का उपाय: जो भक्त नौ दिनों तक लगातार कन्या पूजन करते हैं, उनके घर में दरिद्रता नहीं आती. यह एक आध्यात्मिक मान्यता है, जो न केवल धार्मिक विश्वास को मजबूत करती है, बल्कि पारिवारिक एकता और सुख-समृद्धि के लिए भी फायदेमंद होती है. इसके साथ ही, शारदीय नवरात्रि में लक्ष्मी पूजन का आयोजन भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है, जो जीवन में धन और ऐश्वर्य को बढ़ाता है.

निष्कर्ष: शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूत बनाता है. कन्या पूजन का महत्व और इसकी विधि हमें आत्मिक साधना और धार्मिकता के महत्व का आभास कराती है. इसलिए, इस नवरात्रि को हमें इन बातों का ध्यान रखते हुए सही तरीके से मनाना चाहिए और माता रानी की कृपा प्राप्त करनी चाहिए.

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