वाराणसी : हिंदू पंचांग के अनुसार आज का दिन खास है. आज शनि जयंती है. सृष्टि के संचालक प्रत्यक्षदेव भगवान सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव की आराधना की विशेष महिमा है. वैसे तो शनिदेव की पूजा प्रत्येक शनिवार को विधि-विधान से की जाती है, लेकिन शनि जयंती पर की गई पूजा खास फलदायी होती है. शनि जयंती प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि के दिन धूमधाम से मनाई जाती है. आज यह जयंती मनाई जा रही है. ऐसे में आज के दिन शनिदेव को खुश करना बेहद जरूरी हो जाता है. आज के दिन राशियों पर भी खास प्रभाव पड़ता है.
ज्योतिर्विद विमल जैन ने बताया कि ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि 5 जून, बुधवार को सायं 7 बजकर 56 मिनट पर लग चुकी है. यह 6 जून, गुरुवार को सायं 6 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. रोहिणी नक्षत्र 5 जून, बुधवार की रात्रि 9 बजकर 17 मिनट से 6 जून, गुरुवार की रात्रि 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. इसके फलस्वरूप 6 जून, गुरुवार को शनि जयंती का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. आज के दिन पितृदोष का भी निवारण होता है.
इस विधि से करें पूजा : ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि शनि जयन्ती के पावन पर्व पर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की पूजा अर्चना करने से कठिनाइयों का निवारण होता है. साथ ही सुख-समृद्धि व खुशहाली भी मिलती है. श्रद्धालु व्रतकर्ता को प्रातः काल स्नान ध्यान व अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के बाद शनिव्रत का संकल्प लेना चाहिए. संपूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत रखना चाहिए.
शनिदेव को ये चीजें करें अर्पित : शाम के समय फिर से स्नान करके शनिदेव का श्रृंगार कर उनकी विधि-विधान से पूजा करने के पश्चात काले रंग की वस्तुएं जैसे-काला वस्त्र, काला साबुत उड़द, काला तिल, सरसों का तेल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएं अर्पित करना लाभकारी रहता है. इस दिन शनिदेव के मंदिर में सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करना, तेल की अखंड ज्योति जलाना उत्तम फलदायी माना गया है. सायंकाल शनिदेव के मंदिर में पूजा करके दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए.
शाम के समय संबंधित वस्तुओं का दान करने का विधान है. जयंती के बाद पूरे दिन पूजा-अर्चना और दान करने का विधान है. दान करने से शनिजनित कष्टों का निवारण होता है. शनि भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर व्रत्त की मनोकामना को पूर्ण कर सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि करते हैं.
जिन्हें जन्मकुंडली के अनुसार शनिग्रह प्रतिकूल हों या शनिग्रह की महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर दशा या शनिग्रह की अदैया अथवा साढ़ेसाती हो, उन्हें आज के दिन व्रत रखकर शनिदेव की पूजा का संकल्प लेकर शनिदेव की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करके लाभान्वित होना चाहिए.
किस पाठ और मंत्र से प्रसन्न होंगे शनिदेव : शनि भगवान से संबंधित राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र, शनि चालीसा का पाठ व शनिदेव की आरती करनी चाहिए. इस दिन काले उड़द के दाल की खिचड़ी गरीबों में अवश्य वितरित करनी चाहिए. साथ ही काले रंग की वस्तुओं का दान भी करना चाहिए. शनिग्रह से संबंधित मंत्रों का जप विशेष लाभकारी रहता है.
शनिदेव के मंत्र : 1- ॐ शं शनैश्चराय नमः, 2- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनि, 3-ॐ प्रां प्रीं प्रौं से शनिश्चराय नमः, 4-ॐ नमो भगवते शनिचर्याय सूर्यपुत्राय नमः, 5- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनिचर्याय नमः
शनिग्रह की अढैया व साढ़ेसाती : ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वर्तमान समय में शनिग्रह कुम्भ राशि में विराजमान हैं. इसके फलस्वरूप कर्क एवं वृश्चिक राशि वालों को शनिग्रह की अढैया तथा मकर, कुम्भ एवं मीन राशि वालों को शनिग्रह की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा. जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार शनिग्रह की साढ़ेसाती या अढैया का प्रभाव हो अथवा शनिग्रह की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यंतर दशा का उत्तम फल न मिल रहा हो, उन्हें शनि जयंती के पावन पर्व पर शनिदेव की व्रत उपवास रखकर पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए.
शनि जयंती पर राशियों का प्रभाव
मेष- धनागम का सुअसवर, नवसम्पर्क लाभदायक, शत्रु परास्त, लाभार्जन का मार्ग प्रशस्त. आरोग्य सुख की प्राप्ति.
वृषभ - कठिनाइयों में कमी, सफलता के लिए प्रयत्नशील, परिवार में मंगल आयोजन सम्पन्न, जनकल्याण की भावना जागृत.
मिथुन-लाभार्जन का मार्ग प्रशस्त. नवसम्पर्क लाभदायक. धनागम का सुअसवर. शत्रु परास्त. आरोग्य सुख की प्राप्ति.
कर्क- ग्रह स्थिति भाग्य के विपरीत, भौतिक सुख सुविधा में कमी. प्रतिष्ठा पर आघात. व्यापार में हानि. यात्रा निष्फल.
सिंह- नवयोजना का शुभारम्भ, ग्रहस्थिति पक्ष में. उपहार या सम्मान का लाभ, राजकीय पक्ष से लाभान्वित, बौद्धिक क्षमता में वृद्धि.
कन्या-नवीन योजना का श्रीगणेश, व्यवसाय में विस्तार के लिए विचार-विमर्श, विवादास्पद मसला हल, जीवन साथी से सामंजस्य.
तुला- धन संचय की ओर प्रवृत्ति, व्यक्तिगत परेशानी कम, जनकल्याण की भावना जागृत, आत्मीयजनों से अपेक्षित सहयोग.
वृश्चिक-कार्यसिद्धि का प्रयास असफल, क्रोध से हानि, वाद-विवाद को सम्भव, विश्वासघात की आशंका, वाहन से कष्ट.
धनु-लाभ का मार्ग प्रशस्त, सफलता का सुअवसर, बुद्धि विवेक से तनाव में कमी, नव समाचार से प्रसन्नता, राजकीय लाभ.
मकर- व्यावसायिक प्रगति में अड़चनें, स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता, पारिवारिक मतभेद उजागर, शारीरिक मानसिक कष्ट.
कुम्भ-अभिलाषा की पूर्ति में बाधा, समय आशा के विपरीत, मित्रों से अनबन, लेन-देन में जोखिम, अनावश्यक भ्रमण.
मीन-पारिवारिक अशान्ति, मानसिक कष्ट, आर्थिक पक्ष में निराशा. क्रोध की अधिकता. नेत्र विकार. प्रतिष्ठा पर आघात.
यह भी पढ़ें : सपा के साथ गठबंधन से यूपी में कांग्रेस को मिला ऑक्सीजन, खास रणनीति से भाजपा के कई किले भेद डाले