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बाबा को आया सपना, खुदाई की तो मिली 10वीं सदी की दुर्लभ विष्णु-शिव प्रतिमा, सपना सच

शहडोल में मशहूर काली मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान प्राचीन व अद्भुत प्रतिमा निकली है. जानिए इस प्रतिमा की क्या हैं विशेषताएं. बमुरा में काली मंदिर पुजारी ने सपना देखने के बाद अकेले 10 दिन की खुदाई. मुकुट पहने भगवान शंकर और विष्णु की प्रतिमा निकली. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने शुरु किया रिसर्च.

Shahdol ancient amazing statue
काली मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान निकली प्राचीन प्रतिमा (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 12, 2024, 12:09 PM IST

Updated : Nov 12, 2024, 12:37 PM IST

शहडोल। शहडोल संभाग में इन दिनों एक बाबा चर्चा के केंद्र में हैं. शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर बमुरा गांव. इस गांव में मशहूर काली मंदिर है. यहीं पर कई सालों से एक बाबा रहते हैं, जिनका नाम है छोटेलाल बाबा. ये बाबा यहां कई सालों से माता की सेवा कर रहे हैं. इस स्थल पर जमीन से निकले हुए कई देवी-देवता विराजमान हैं. मंदिर के पीछे के कलकल करती हुई नदी है, जिसे बमुरा गांव के लोग नर्मदा माता के नाम से पुकारते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस नदी की खासियत ये है कि साल के 12 महीने ये कभी सूखती नहीं है. मंदिर परिसर काफी मनोरम है. इसी मंदिर में एक ऐसा आश्चर्य हुआ है, जिस कारण बमुरा गांव का मंदिर प्रसिद्ध हो गया है. दूर-दूर से लोग मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

काली मंदिर के बाबा को आया सपना, इसके बाद हुआ चमत्कार

काली मंदिर के बाबा छोटेलाल बताते हैं "हाल ही में सुबह 9 बजे का समय था. इसी दौरान चाय पीने के दौरान उनको नींद लग गई. नींद लगने के बाद अचानक उन्हें ऐसा लगा कि कोई बुला रहा है और कह रहा है कि मुझे बाहर निकालो और उन्हें उठाने की कोशिश कर रहा है. वह तुरंत वहां से उठते हैं और जिस स्थल पर उन्हें पुकारने का आभास होता है वहां जाकर हाथ से ही मिट्टी कुरेदने लगते हैं. इसके बाद यहां खुदाई करने की ठानी. 10 दिन तक लगातार खुदाई की गई." खुदाई के दौरान बाबा को एक मूर्ति नजर आई. जब बाबा ने उसे उठाया तो वहां जो एक दो-लोग खड़े थे, वे जयकारे लगाने लगे कि हमारे मंदिर में भगवान आए हैं. इसके बाद एक व्यक्ति प्रसाद लाया और चढ़ाया. फिर उस मूर्ति को वहां से निकाल कर स्नान कराया गया और इसी मंदिर परिसर में रख दिया.

खुदान के दौरान मिली 10वीं सदी की दुर्लभ प्रतिमा (ETV BHARAT)

प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे लोग

जैसे ही ये प्रतिमा जमीन के अंदर से निकली है तो क्षेत्र में ये खबर फैल गई. अन्य गांवों से लोग अब वहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. बाबा छोटेलाल कहते हैं कि दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं यहां दर्शन करने वालों का तांता लगा हुआ है. बुढार से आए भक्त संतोष कुमार मिश्रा कहते हैं "वह करीब 20 साल से यहां आ रहे हैं और अक्सर यहां भंडारा करते रहते हैं लेकिन उन्हें जैसे ही बाबा ने बताया कि ऐसा कुछ हुआ है तो वह अब सुबह-शाम यहां दर्शन के लिए सपरिवार पहुंच रहे हैं."

Shahdol ancient amazing statue
अद्भुत प्रतिमा इसमें समाये हैं भगवान विष्णु और शिव (ETV BHARAT)

यह मूर्ति कलचुरीकालीन, लोग भी आश्चर्यचकित

जमीन के अंदर से निकली ये मूर्ति बहुत ही भव्य है और जीवंत है. ऐसा लग रहा है कि जिसने भी इस मूर्ति का निर्माण किया है, वह बहुत ही बड़ा कलाकार होगा. ग्रामीणों का मानना है यहां विष्णु जी खुद अवतरित हुए हैं लेकिन यह मूर्ति कलचुरी कालीन लगती है. इसमें कई विशेषताएं हैं, जिसमें एक अलग स्वरूप में भगवान शिव भी नज़र आ रहे हैं. इस बारे में पुरातत्वविद् रामनाथ परमार ने मूर्ति का अवलोकन किया तो विस्तार से इसके बारे में बताया. उन्होंने ऐसी बातें बताई जिसे जानकर आप भी आश्चर्यचकित रह जाएंगे.

Shahdol ancient amazing statue
यहां पर खुदाई के दौरान निकली प्रतिमा (ETV BHARAT)
Shahdol ancient amazing statue
शहडोल में मशहूर काली मंदिर परिसर (ETV BHARAT)

क्या कहते हैं पुरातत्वविद् रामनाथ परमार

पुरातत्वविद् रामनाथ परमार कहते हैं "ये प्रतिमा संयुक्त पैनल है. कायदे से इसमें सदाशिव तो सम्मुख दिख रहे हैं, लेकिन उसके साथ विष्णु प्रतिमा का भी अंश अवशेषित हैं. ये श्री हरि विष्णु और सदाशिव दोनों का संयुक्त प्रतिमा लग रही है. जिसका विष्णु वाला भाग खंडित हो चुका है. कुछ अंश उनके अवतारों के शेष हैं, लेकिन जो साबुत पूरी प्रतिमा है ये ये सदा शिव की है, जो विष्णु के साथ पैनल में बने होने के कारण इन्हें परम वैष्णव स्वरूप में सदा शिव की प्रतिमा कह सकते हैं." पुरातत्वविद् रामनाथ परमार कहते हैं "ये प्रतिमा बहुत दुर्लभ है, जिस कलाकार ने उस दौर में बनाई होगी, उसने पूरी कलाकारी इसमें उड़ेल दी है. भगवान शिव की ये प्रतिमा लगभग 10वीं-11वीं सदी की है. इसकी कलाकृति कल्चुरीकालीन प्रतिमा है. ये है सदाशिव की प्रतिमा है पहली नजर में भगवान विष्णु दिखते हैं."

शहडोल। शहडोल संभाग में इन दिनों एक बाबा चर्चा के केंद्र में हैं. शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर बमुरा गांव. इस गांव में मशहूर काली मंदिर है. यहीं पर कई सालों से एक बाबा रहते हैं, जिनका नाम है छोटेलाल बाबा. ये बाबा यहां कई सालों से माता की सेवा कर रहे हैं. इस स्थल पर जमीन से निकले हुए कई देवी-देवता विराजमान हैं. मंदिर के पीछे के कलकल करती हुई नदी है, जिसे बमुरा गांव के लोग नर्मदा माता के नाम से पुकारते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस नदी की खासियत ये है कि साल के 12 महीने ये कभी सूखती नहीं है. मंदिर परिसर काफी मनोरम है. इसी मंदिर में एक ऐसा आश्चर्य हुआ है, जिस कारण बमुरा गांव का मंदिर प्रसिद्ध हो गया है. दूर-दूर से लोग मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

काली मंदिर के बाबा को आया सपना, इसके बाद हुआ चमत्कार

काली मंदिर के बाबा छोटेलाल बताते हैं "हाल ही में सुबह 9 बजे का समय था. इसी दौरान चाय पीने के दौरान उनको नींद लग गई. नींद लगने के बाद अचानक उन्हें ऐसा लगा कि कोई बुला रहा है और कह रहा है कि मुझे बाहर निकालो और उन्हें उठाने की कोशिश कर रहा है. वह तुरंत वहां से उठते हैं और जिस स्थल पर उन्हें पुकारने का आभास होता है वहां जाकर हाथ से ही मिट्टी कुरेदने लगते हैं. इसके बाद यहां खुदाई करने की ठानी. 10 दिन तक लगातार खुदाई की गई." खुदाई के दौरान बाबा को एक मूर्ति नजर आई. जब बाबा ने उसे उठाया तो वहां जो एक दो-लोग खड़े थे, वे जयकारे लगाने लगे कि हमारे मंदिर में भगवान आए हैं. इसके बाद एक व्यक्ति प्रसाद लाया और चढ़ाया. फिर उस मूर्ति को वहां से निकाल कर स्नान कराया गया और इसी मंदिर परिसर में रख दिया.

खुदान के दौरान मिली 10वीं सदी की दुर्लभ प्रतिमा (ETV BHARAT)

प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे लोग

जैसे ही ये प्रतिमा जमीन के अंदर से निकली है तो क्षेत्र में ये खबर फैल गई. अन्य गांवों से लोग अब वहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. बाबा छोटेलाल कहते हैं कि दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं यहां दर्शन करने वालों का तांता लगा हुआ है. बुढार से आए भक्त संतोष कुमार मिश्रा कहते हैं "वह करीब 20 साल से यहां आ रहे हैं और अक्सर यहां भंडारा करते रहते हैं लेकिन उन्हें जैसे ही बाबा ने बताया कि ऐसा कुछ हुआ है तो वह अब सुबह-शाम यहां दर्शन के लिए सपरिवार पहुंच रहे हैं."

Shahdol ancient amazing statue
अद्भुत प्रतिमा इसमें समाये हैं भगवान विष्णु और शिव (ETV BHARAT)

यह मूर्ति कलचुरीकालीन, लोग भी आश्चर्यचकित

जमीन के अंदर से निकली ये मूर्ति बहुत ही भव्य है और जीवंत है. ऐसा लग रहा है कि जिसने भी इस मूर्ति का निर्माण किया है, वह बहुत ही बड़ा कलाकार होगा. ग्रामीणों का मानना है यहां विष्णु जी खुद अवतरित हुए हैं लेकिन यह मूर्ति कलचुरी कालीन लगती है. इसमें कई विशेषताएं हैं, जिसमें एक अलग स्वरूप में भगवान शिव भी नज़र आ रहे हैं. इस बारे में पुरातत्वविद् रामनाथ परमार ने मूर्ति का अवलोकन किया तो विस्तार से इसके बारे में बताया. उन्होंने ऐसी बातें बताई जिसे जानकर आप भी आश्चर्यचकित रह जाएंगे.

Shahdol ancient amazing statue
यहां पर खुदाई के दौरान निकली प्रतिमा (ETV BHARAT)
Shahdol ancient amazing statue
शहडोल में मशहूर काली मंदिर परिसर (ETV BHARAT)

क्या कहते हैं पुरातत्वविद् रामनाथ परमार

पुरातत्वविद् रामनाथ परमार कहते हैं "ये प्रतिमा संयुक्त पैनल है. कायदे से इसमें सदाशिव तो सम्मुख दिख रहे हैं, लेकिन उसके साथ विष्णु प्रतिमा का भी अंश अवशेषित हैं. ये श्री हरि विष्णु और सदाशिव दोनों का संयुक्त प्रतिमा लग रही है. जिसका विष्णु वाला भाग खंडित हो चुका है. कुछ अंश उनके अवतारों के शेष हैं, लेकिन जो साबुत पूरी प्रतिमा है ये ये सदा शिव की है, जो विष्णु के साथ पैनल में बने होने के कारण इन्हें परम वैष्णव स्वरूप में सदा शिव की प्रतिमा कह सकते हैं." पुरातत्वविद् रामनाथ परमार कहते हैं "ये प्रतिमा बहुत दुर्लभ है, जिस कलाकार ने उस दौर में बनाई होगी, उसने पूरी कलाकारी इसमें उड़ेल दी है. भगवान शिव की ये प्रतिमा लगभग 10वीं-11वीं सदी की है. इसकी कलाकृति कल्चुरीकालीन प्रतिमा है. ये है सदाशिव की प्रतिमा है पहली नजर में भगवान विष्णु दिखते हैं."

Last Updated : Nov 12, 2024, 12:37 PM IST
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