PULSES CULTIVATION IN WINTER SEASON: ठंड का मौसम चल रहा है और खरीफ सीजन की फसल अपने आखिरी चरण पर है. शहडोल जिले के ज्यादातर क्षेत्रों में धान की खेती की जाती है. इन दिनों धान की कटाई-गहाई का दौर तेजी के साथ चल रहा है. अब किसान रवि सीजन की खेती में जुटा हुआ है. उसकी तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है. ऐसे में अगर आप विंटर सीजन की खेती करना चाह रहे हैं, तो चने की खेती आपके लिए काफी लाभकारी हो सकती है.
विंटर सीजन में चने की खेती बेस्ट
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि 'विंटर सीजन में चने की खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी हो सकता है. चने की खेती सिंचित-असिंचित दोनों क्षेत्रों में इसकी खेती की जा सकती है. इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी बहुत अच्छी होती है. वैसे तो ये सभी तरह के भूमि में हो सकती है. बस इसमें पानी के निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. मृदा में जीवाश्म कार्बन प्रचुर मात्रा में होना चाहिए.'
चने के किस्मों का चयन
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि 'चने की खेती से पहले किस्मों का चयन सही तरीके से और सोच समझकर करें. चने के बीज के किस्मों का चयन हमारे शासकीय संस्था से प्रमाणित जो बीज होते हैं, उन्हीं का उपयोग करना चाहिए. उनमें से जो प्रमुख बीज हैं, उनमें जवाहर चना 24, ये हार्वेस्टर से कटिंग होने वाला चना है. ये दो फीट ऊंचाई पर होता है. इसकी फली जो है, ऊपर की ओर बनते हैं. मजदूर न मिलने की स्थिति में चने के इस किस्म की कटाई हार्वेस्टर से भी कर सकते हैं.
ये 110 से 115 दिन की फसल होती है. इसमें उत्पादन लगभग 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आपको मिलेगा. इसके अलावा चने की और भी किस्में हैं, जिसमें JG24, 36, 12, 14, RVG 202, 204, 205, JG 12 चने की किस्म छोटे दाने की फसल है, जो दाल में प्रयुक्त होती है.
चने की खेती में ये काम जरूर कर लें
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि चने की खेती में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखें. चने की फसल 105 से 110 दिन की होती है. चने के फसल की बुवाई निश्चित तौर पर नवंबर माह तक जरूर कर लें. इसके बाद जब आपके चने की फसल 25 दिन की हो जाये तो फसल से भाजी जरूर तुड़वाएं. जिससे चने की फसल में और शाखाएं बढ़ेंगी.'
चने की बुवाई में इन बातों का ध्यान रखें
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि चने के फसल की बुवाई 8 सेंटीमीटर गहराई में करना होता है. प्रयास करें कि इसमें सीड ड्रिल मशीन से बुवाई करवाएं तो और बेहतर होगा. चने की फसल बुवाई से पहले दो बार कल्टीवेटर से खेत की जुताई करवा लें. एक बार रोटावेटर चलवा लें, जिससे खेत के डीले फूट जाएं और फिर उसमें सीड ड्रिल से बुवाई करें. 20 किलो प्रति एकड़ 75 किलो प्रति हेक्टेयर बीज बुवाई के लिए लगेगा.'
बीज बुवाई से पहले बीज को उपचारित जरूर कर लें, जिससे बीज जनित रोग नहीं लगेंगे. बीज उपचार के लिए जैविक और रासायनिक हर तरह की दवा आती है. जिससे कई रोग से आपकी फसल बच जाती है.
पोषक तत्वों का ऐसे करें इस्तेमाल
भूमि की जांच के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवा लें. फिर उसके आधार पर जिन भी पोषक तत्व की कमी होती है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के हिसाब से पोषक तत्व डालें. चने की फसल में सामान्यत 20 KG नाइट्रोजन, 50 से 60 किग्रा फास्फोरस, 20 से 40 किग्रा पोटाश की आवश्यकता होती है. खाद के रूप में 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद हमें खेत में उपयोग करना चाहिए. बुवाई के तुरंत बाद अगर नमी हो तो अच्छी बात है. नमी न होने पर स्प्रिंकलर से सिंचाई करें.
इस मशीन से डायरेक्ट करें बुवाई
चने की बुवाई आप हैप्पी सीडर और सुपर सीडर मशीन से भी डायरेक्ट कर सकते हैं. इससे आपकी लागत बचेगी, खेत के सफाई की जरूरत नहीं पड़ेगी. पुराने फसल की जो पराली, नरवाई है, उसी में ये मशीन बुवाई कर देती हैं.
कितने पानी की जरूरत
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि वैसे तो चने की फसल में पानी की जरूरत मिट्टी के हिसाब से होती है. जिस तरह की मिट्टी वेसा पानी. हालांकि इस फसल के लिए दो पानी बहुत उपयुक्त माना जाता है. पलावा देकर अगर फसल बुवाई करते हैं, तो नमी बनी रहती है. फसल जम जाती है, जब पलावा नहीं देते हैं, तो बुवाई के बाद पानी दें, फिर शाखा बनते समय पानी दें, फसल जब क्रांतिक अवस्था में हो तब पानी जरूर दें.
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बाजार में महंगा है चना दाल
व्यापारी अभिषेक गुप्ता बताते हैं कि चने की दाल वर्तमान में बाजार में ₹100 प्रति किलो बिक रही है, तो वहीं अगर चने की बात करें तो चना ₹70 प्रति किलो बिक रहा है. इस तरह से अगर कोई किसान चने की खेती करता है और अगर उसकी फसल अच्छी होती है. तो वो उसके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि अभी भी बाजार में चने की दाल और चने की अच्छी डिमांड है. ये अच्छे दामों में बिक भी रहा है.'