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सीनियर डॉक्टरों का AIIMS से हो रहा मोह भंग, तीन साल में पूर्व निदेशक समेत 10 से ज्यादा डॉक्टरों ने लिया वीआरएस - Senior doctors leave Delhi AIIMS

Delhi AIIMS: इन दिनों सीनियर डॉक्टरों का वीआरएस लेकर दिल्ली एम्स छोड़ना चिंता का विषय बना हुआ है. पिछले तीन साल में पूर्व निदेशक समेत 10 से ज्यादा डॉक्टरों ने एम्स से वीआरएस लिया है. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या है है मुख्य कारण और काम कर रहे डॉक्टरों का क्या कहना है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 19, 2024, 3:41 PM IST

Updated : Jul 20, 2024, 4:58 PM IST

सीनियर डॉक्टरों का AIIMS छोड़ना जारी
सीनियर डॉक्टरों का AIIMS छोड़ना जारी (Etv Bharat)

नई दिल्ली: देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान दिल्ली एम्स में नौकरी या यहां से पढ़ाई करने का हर मेडिकल स्टूडेंट का सपना होता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार सीनियर डॉक्टर रिटायरमेंट से पहले दिल्ली एम्स को छोड़कर जा रहे हैं. वह प्राइवेट अस्पतालों में जाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है. देश के इतने बड़े प्रीमियर इंस्टीट्यूट से अगर अनुभवी और वरिष्ठ डॉक्टर इसी तरह छोड़ कर जाते रहेंगे तो संस्थान की साख पर सवाल उठना लाजमी है.

जानकारी के मुताबिक, डॉक्टरों के पलायन को लेकर एम्स प्रशासन की ओर से भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा हैं. हाल में एम्स के दो वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर संदीप अग्रवाल ने एम्स को छोड़कर मणिपाल हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया है. इनके रिटायरमेंट में अभी काफी समय बाकी था. इसके अलावा सर्जन डॉक्टर वी सीनू ने भी एम्स से वीआरएस ((स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया. इनके रिटायरमेंट में अभी एक साल बाकी था. हालांकि, उन्होंने अभी कहीं ज्वाइन नहीं किया है. लेकिन, उनके जल्द अमेरिका में सेटल होने की बात कही जा रही है.

इन डॉक्टरों ने AIIMS से लिया वीआरएस: कार्डियक सर्जन डॉक्टर शिव चौधरी और डॉक्टर मिलिंद, कार्यकाल होने के बावजूद एम्स छोड़ कर जा चुके हैं और वह प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस शुरू कर चुके हैं. वहीं डॉक्टर संदीप अग्रवाल, जिनके बारे में बताया जाता है कि वह एम्स में बैरिएट्रिक सर्जरी (मोटापे की सर्जरी) शुरू करने वाले सर्जनों में से एक थे, जिनके जाने के बाद इस सर्जरी की प्रक्रिया प्रभावित हुई है. हालांकि दूसरे डॉक्टर्स ने शुरू कर दिया है और वे दो सर्जरी कर भी चुके हैं. उधर न्यूरोसर्जन डॉक्टर मनमोहन सिंह भी एम्स छोड़ चुके हैं.

डॉक्टरों ने बताई एम्स छोड़ने की वजह: एम्स छोड़ने वाले एक सर्जन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एम्स में अब पहले जैसा माहौल नहीं है. पहले जो अकादमिक माहौल होता था वह नहीं है. सीनियर की वैल्यू बिल्कुल खत्म हो चुकी है और मेरिट की कोई पूछ नहीं है. असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर का डॉक्टर यह तय करता है कि सीनियर डॉक्टर को सर्जरी का सामान दिया जाए या नहीं. उन्होंने बताया कि वहीं पहले जब कोई डॉक्टर एम्स छोड़कर जाने की बात करता था तो मैनेजमेंट उनसे पूछता था कि क्या समस्या है? आप क्यों छोड़ रहे हैं? तब उनकी समस्या दूर की जाती थी और वे लोग रुक जाते थे. लेकिन अब कोई यह पूछने वाला ही नहीं है.

उन्होंने कहा कि अब तो यह मान लिया जाता है यह मान लिया जाता है की ठीक है यह छोड़ रहे हैं तो उनके जाने से उनकी जगह किसी और को मौका मिलेगा. इसलिए एम्स छोड़ कर जाने वाले वरिष्ठ प्रोफेसरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. एम्स छोड़ने वाले डॉक्टरों का कहना है कि आज भी एम्स डॉक्टरों के लिए सबसे बेहतर जगह है. बस कुछ व्यवस्थाओं को ठीक करने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि सीनियर लोग सिर्फ इसलिए एम्स नहीं छोड़ रहे हैं कि उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में ज्यादा पैसा मिल रहा है.

पूर्व AIIMS निदेशक गुलेरिया ने लिया था वीआरएस: दिल्ली एम्स के निदेशक पूर्व निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी वीआरएस लिया था. उनका कार्यकाल दो बार बार बढ़ाया गया. हालांकि उन्होंने दूसरा कार्यकाल पूरा होने के पहले स्वैच्छिक सेवानिवृती ले ली थी. उन्होंने 2017 में एम्स निदेशक पदभार संभाला था. इसके बाद वे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल से जुड़ गए. वे देश के जाने-माने पल्मोनोलॉजिस्ट (श्वसन तंत्र में विशेषज्ञता रखने वाले चिकित्सक) हैं. कोरोनाकाल के दौरान वह सरकार की प्रतिक्रिया का नेतृत्व करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे, जिन्होंने महामारी संबंधी पहलुओं पर जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई. उन्हें इस क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.

डॉ. गुलेरिया के एम्स छोड़ने के बाद न्यूरो विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉक्टर एमवी पद्मा श्रीवास्तव ने भी एम्स को अलविदा कह दिया था. डॉ. पद्मा श्रीवास्तव ने गुरुग्राम के ही एक निजी अस्पताल में जाकर के प्रैक्टिस शुरू कर दी. इसके बाद ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा ने भी एम्स को अलविदा कहकर एक निजी अस्पताल अपोलो को ज्वाइन कर लिया. उस समय इन दोनों के एम्स छोड़ने की वजह यह बताई गई कि यह दोनों लोग एम्स का निदेशक बनने की दौड़ में शामिल थे, लेकिन जब इन्हें निदेशक नहीं बनाया गया तो उन्होंने वीआरएस ले लिया.

एम्स प्रशासन ने कही ये बात: कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संदीप मिश्रा, कैंसर सर्जन डॉक्टर एसवीएस देव, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अतुल शर्मा छोड़कर जा चुके हैं. वहीं एम्स प्रशासन से इन डॉक्टरों के एम्स छोड़ने की वजह पूछी गई, तो उन्होंने सिर्फ यह कहा कि इन डॉक्टरों की जगह पर दूसरे डॉक्टरों ने काम संभाल लिया है और फिलहाल कोई भी काम प्रभावित नहीं है.

नई दिल्ली: देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान दिल्ली एम्स में नौकरी या यहां से पढ़ाई करने का हर मेडिकल स्टूडेंट का सपना होता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार सीनियर डॉक्टर रिटायरमेंट से पहले दिल्ली एम्स को छोड़कर जा रहे हैं. वह प्राइवेट अस्पतालों में जाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है. देश के इतने बड़े प्रीमियर इंस्टीट्यूट से अगर अनुभवी और वरिष्ठ डॉक्टर इसी तरह छोड़ कर जाते रहेंगे तो संस्थान की साख पर सवाल उठना लाजमी है.

जानकारी के मुताबिक, डॉक्टरों के पलायन को लेकर एम्स प्रशासन की ओर से भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा हैं. हाल में एम्स के दो वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर संदीप अग्रवाल ने एम्स को छोड़कर मणिपाल हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया है. इनके रिटायरमेंट में अभी काफी समय बाकी था. इसके अलावा सर्जन डॉक्टर वी सीनू ने भी एम्स से वीआरएस ((स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया. इनके रिटायरमेंट में अभी एक साल बाकी था. हालांकि, उन्होंने अभी कहीं ज्वाइन नहीं किया है. लेकिन, उनके जल्द अमेरिका में सेटल होने की बात कही जा रही है.

इन डॉक्टरों ने AIIMS से लिया वीआरएस: कार्डियक सर्जन डॉक्टर शिव चौधरी और डॉक्टर मिलिंद, कार्यकाल होने के बावजूद एम्स छोड़ कर जा चुके हैं और वह प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस शुरू कर चुके हैं. वहीं डॉक्टर संदीप अग्रवाल, जिनके बारे में बताया जाता है कि वह एम्स में बैरिएट्रिक सर्जरी (मोटापे की सर्जरी) शुरू करने वाले सर्जनों में से एक थे, जिनके जाने के बाद इस सर्जरी की प्रक्रिया प्रभावित हुई है. हालांकि दूसरे डॉक्टर्स ने शुरू कर दिया है और वे दो सर्जरी कर भी चुके हैं. उधर न्यूरोसर्जन डॉक्टर मनमोहन सिंह भी एम्स छोड़ चुके हैं.

डॉक्टरों ने बताई एम्स छोड़ने की वजह: एम्स छोड़ने वाले एक सर्जन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एम्स में अब पहले जैसा माहौल नहीं है. पहले जो अकादमिक माहौल होता था वह नहीं है. सीनियर की वैल्यू बिल्कुल खत्म हो चुकी है और मेरिट की कोई पूछ नहीं है. असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर का डॉक्टर यह तय करता है कि सीनियर डॉक्टर को सर्जरी का सामान दिया जाए या नहीं. उन्होंने बताया कि वहीं पहले जब कोई डॉक्टर एम्स छोड़कर जाने की बात करता था तो मैनेजमेंट उनसे पूछता था कि क्या समस्या है? आप क्यों छोड़ रहे हैं? तब उनकी समस्या दूर की जाती थी और वे लोग रुक जाते थे. लेकिन अब कोई यह पूछने वाला ही नहीं है.

उन्होंने कहा कि अब तो यह मान लिया जाता है यह मान लिया जाता है की ठीक है यह छोड़ रहे हैं तो उनके जाने से उनकी जगह किसी और को मौका मिलेगा. इसलिए एम्स छोड़ कर जाने वाले वरिष्ठ प्रोफेसरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. एम्स छोड़ने वाले डॉक्टरों का कहना है कि आज भी एम्स डॉक्टरों के लिए सबसे बेहतर जगह है. बस कुछ व्यवस्थाओं को ठीक करने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि सीनियर लोग सिर्फ इसलिए एम्स नहीं छोड़ रहे हैं कि उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में ज्यादा पैसा मिल रहा है.

पूर्व AIIMS निदेशक गुलेरिया ने लिया था वीआरएस: दिल्ली एम्स के निदेशक पूर्व निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी वीआरएस लिया था. उनका कार्यकाल दो बार बार बढ़ाया गया. हालांकि उन्होंने दूसरा कार्यकाल पूरा होने के पहले स्वैच्छिक सेवानिवृती ले ली थी. उन्होंने 2017 में एम्स निदेशक पदभार संभाला था. इसके बाद वे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल से जुड़ गए. वे देश के जाने-माने पल्मोनोलॉजिस्ट (श्वसन तंत्र में विशेषज्ञता रखने वाले चिकित्सक) हैं. कोरोनाकाल के दौरान वह सरकार की प्रतिक्रिया का नेतृत्व करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे, जिन्होंने महामारी संबंधी पहलुओं पर जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई. उन्हें इस क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.

डॉ. गुलेरिया के एम्स छोड़ने के बाद न्यूरो विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉक्टर एमवी पद्मा श्रीवास्तव ने भी एम्स को अलविदा कह दिया था. डॉ. पद्मा श्रीवास्तव ने गुरुग्राम के ही एक निजी अस्पताल में जाकर के प्रैक्टिस शुरू कर दी. इसके बाद ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा ने भी एम्स को अलविदा कहकर एक निजी अस्पताल अपोलो को ज्वाइन कर लिया. उस समय इन दोनों के एम्स छोड़ने की वजह यह बताई गई कि यह दोनों लोग एम्स का निदेशक बनने की दौड़ में शामिल थे, लेकिन जब इन्हें निदेशक नहीं बनाया गया तो उन्होंने वीआरएस ले लिया.

एम्स प्रशासन ने कही ये बात: कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संदीप मिश्रा, कैंसर सर्जन डॉक्टर एसवीएस देव, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अतुल शर्मा छोड़कर जा चुके हैं. वहीं एम्स प्रशासन से इन डॉक्टरों के एम्स छोड़ने की वजह पूछी गई, तो उन्होंने सिर्फ यह कहा कि इन डॉक्टरों की जगह पर दूसरे डॉक्टरों ने काम संभाल लिया है और फिलहाल कोई भी काम प्रभावित नहीं है.

Last Updated : Jul 20, 2024, 4:58 PM IST
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