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अपनी जेब से रुपये खर्च कर टीचर ने बनाया कोरबा के आदिवासी गांव में स्मार्ट स्कूल - Teachers Day Special - TEACHERS DAY SPECIAL

Teachers Day Special, Smart School in Tribal Village टीचर्स डे पर ETV Bharat छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के वनांचल गांव के एक स्कूल के बारे में बता रहा है. कहने को तो ये स्कूल वनांचल गांव में है. लेकिन इस स्कूल में बच्चों की पढ़ाई स्मार्ट तरीके से होती है. ये कमाल कर दिखाया है यहां के टीचर गोकुल प्रसाद मार्बल ने. साल 2010 में उनकी पोस्टिंग कोरबा के चाकामार स्कूल में हुई. तब से ही उन्होंने स्कूल को बदलने की ठान ली. इसके लिए उन्होंने अपनी जेब से रुपये खर्च किए. Happy Teachers Day, School Teacher Built Smart School

Happy Teachers Day
कोरबा के आदिवासी गांव में स्मार्ट स्कूल (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 5, 2024, 11:51 AM IST

Updated : Sep 5, 2024, 1:31 PM IST

कोरबा: पुरानी कहावत है कि सिर्फ एक व्यक्ति यदि ठान ले, तो बदलाव लाने के लिए काफी होता है. इसे कोरबा के वनांचल क्षेत्र इलाके में मौजूद प्राइमरी स्कूल के शिक्षक गोकुल ने सच कर दिखाया है. ट्राइबल गांव के नौनिहालों तक शिक्षा का उजाला फैलाने के जुनून में शिक्षक गोकुल ने अपनी सेविंग्स के लाखों रुपए खर्च कर दिये. सरकार से मिलने वाला फंड बेहद सीमित होता है. जिससे किसी सरकारी स्कूल को निजी स्कूल के तर्ज पर नहीं बदला जा सकता, इसलिए गोकुल ने अपने जेब से 7 से 8 लाख रुपए लगाकर स्कूल का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया.

कोरबा के आदिवासी गांव में स्मार्ट स्कूल (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोरबा के आदिवासी गांव में स्मार्ट क्लास: आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए गांव के एक स्कूल में स्मार्ट क्लास लगाई. प्रयासों को तब और पंख लग गए जब गोकुल को राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पीएम श्री विद्यालय के मापदंडों पर खरा उतरने के बाद इस स्कूल को कोरबा ब्लॉक के सैकड़ों स्कूलों में से पीएम श्री विद्यालय के तौर पर चुना गया.

Teachers Day Special
पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा (ETV Bharat Chhattisgarh)

पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा विकासखंड के वनांचल गांव में संचालित है. लगभग शत प्रतिशत आदिवासी ही यहां निवास करते हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चे भी समाज के बेहद निचले तबके से आते हैं, जिनके लिए निजी स्कूलों की तरह शिक्षा हासिल करना आज भी किसी सुनहरे सपने के जैसा है. लेकिन पीएम श्री विद्यालय चाकामार की तस्वीर बिल्कुल अलग है. स्कूल के प्रवेश द्वार से एंट्री लेते ही ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगेगा कि यह समस्याओं से घिरा हुआ सरकारी स्कूल है. प्रवेश द्वार पर सरस्वती माता का मंदिर है. दाएं तरफ बढ़ने पर एक आदमकद भारत माता की प्रतिमा लगाई गई है. हरे भरे स्कूल में इंपोर्टेड घास लगाया गया है. स्कूल के बाउंड्री वॉल में स्वामी विवेकानंद और अब्दुल कलाम जैसे महापुरुषों के कोट लिखे गए हैं.

Teachers Day Special
आदिवासी गांव में स्मार्ट क्लास (ETV Bharat Chhattisgarh)

एक–एक कोने का उपयोग, स्कूल के कण-कण में सीख : क्लासरूम की दीवारों पर क, ख, ग और गणित का ज्ञान लिखा गया है. स्कूल के गार्डन में भी जियोमेट्रिक आकृतियां बनाकर मैथ्स गार्डन बनाया गया है, ताकि बच्चे जब खेलने भी जाएं, तब कुछ न कुछ सीख कर आएं. पहली से लेकर पांचवी तक के सभी कक्षाओं में एलईडी मॉनिटर लगे हुए हैं और बच्चे स्मार्ट क्लास के जरिए पढ़ाई करते हैं. स्कूल के हर कोने में हर दीवार पर कुछ न कुछ लिखा है. जिससे बच्चों को खेल खेल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके. स्कूल में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां बच्चे को पढ़ने और सीखने को कुछ ना मिले.

Teachers Day Special
पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा (ETV Bharat Chhattisgarh)

कई बच्चे ऐसे जिनके घर में टीवी तक नहीं : प्राथमिक स्कूल चाकामार पूरी तरह से ट्राइबल इलाके से घिरा हुआ है. आसपास के कई बच्चे ऐसे हैं, जो दूसरे के घरों में टीवी देखने जाते हैं. उनके खुद के घर में टीवी तक नहीं है. शनिवार के दिन स्कूल में बैगलेस डे होता है. इस दिन बच्चों को टीवी पर कार्टून या ऐसे कई ज्ञानवर्धक मनोरंजक कार्यक्रम दिखाए जाते हैं, जिससे कि उनका मानसिक विकास हो. मनोरंजन के साथ ही वह कुछ अच्छा सीख सकें. स्कूल का पूरा फोकस बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर है. स्कूल की भव्यता और यहां के वातावरण को देखकर लगातार यहां की दर्ज संख्या भी बढ़ी है. जो बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़ देते थे, वह भी वापस स्कूल आने लगे हैं. वर्तमान में पहली से पांचवी तक की कक्षा में लगभग 70 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.

Teachers Day Special
किताबों के साथ स्क्रीन पर भी क्लास (ETV Bharat Chhattisgarh)

2010 में पदस्थापना के बाद से ही बदलाव की शुरुआत : पीएम श्री प्राइमरी स्कूल चाकामार पहुंचकर ETV भारत की टीम ने राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक गोकुल प्रसाद मार्बल से खास बातचीत की. गोकुल ने बताया कि "मेरी पदस्थापना यहां 2010 में हुई थी. तभी से मैंने बदलाव की शुरुआत कर दी थी. शासन से जो फंड मिलता है, वह बेहद सीमित होता है. मैंने देखा कि आदिवासी क्षेत्र के बच्चे बेहद जरूरतमंद है. मैंने सोचा कि इन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देनी चाहिए और इन बच्चों को भी शहर के किसी निजी स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा हासिल करने का पूरा अधिकार है."

पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा
आदिवासी गांव में स्मार्ट स्कूल के कोने कोने से बच्चों को मिलती है शिक्षा (ETV Bharat Chhattisgarh)
गोकुल प्रसाद मार्बल आगे बताते हैं-" धीरे-धीरे स्कूल में अपने जेब से पैसे खर्च करके संसाधनों का विकास किया. 2018 में चाकामार को जिले का पहला डिजिटल प्राइमरी स्कूल बनाया. रंग रोगन कर दीवारों पर ज्ञानवर्धक जानकारी उकेरी. सरस्वती माता और भारत माता का मंदिर बनवाया. सर्व सुविधायुक्त टॉयलेट, किचन शेड और हर वह संसाधन यहां विकसित किया गया, जो शहर के किसी निजी स्कूलों में होते हैं. अपने जेब से अब तक मैं लगभग 7 से 8 लाख रुपए खर्च कर चुका हूं. इस स्कूल की तस्वीर बदलने में मुझे लगभग 10 साल लग गए. मुझे राज्यपाल पुरस्कार भी मिला और हाल ही में पीएम श्री स्कूल के सभी मापदंडों पर खरा उतरने के बाद स्कूल का चयन पीएम श्री विद्यालय के लिए किया गया है. इस योजना का फायदा भी स्कूल को मिल रहा है. धीरे-धीरे संसाधनों का और भी विकास हो रहा है."
Smart School in Tribal Village
स्मार्ट स्कूल के कारण बच्चों की बढ़ रही संख्या (ETV Bharat Chhattisgarh)

बच्चों को संपूर्ण नागरिक बनाना है एक मात्र लक्ष्य : चाकामार की प्रधान पाठक खगेश्वरी कहती हैं "हमारे स्कूल की तस्वीर अन्य स्कूलों से काफी अलग है. इसके लिए मैं हमारे शिक्षक मार्बल सर का धन्यवाद करना चाहूंगी. यही उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि आज स्कूल की ख्याति जिले भर में है. स्कूल आने वाले अभिभावक भी काफी खुश रहते हैं. वह देखते हैं कि कैसे हमारा स्कूल दूसरे स्कूलों से अलग है. हमें सभी का सहयोग मिलता है. अभिभावक हो या स्थानीय लोग सभी हमें सपोर्ट करते हैं."

प्रधान पाठक खगेश्वरी कहती है "हमारे स्कूल आने वाले लोग एक बार तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं कि इतने अंदरूनी क्षेत्र में इस तरह का एक सुविधायुक्त स्कूल कैसे संचालित हो रहा है, हमारे स्कूल का चयन पीएम श्री विद्यालय के तौर पर किया गया है. जिसका फायदा भी अब छात्रों को मिल रहा है. हमारा प्रयास है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए और उन्हें एक संपूर्ण नागरिक बनाया जाए."

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कोरबा: पुरानी कहावत है कि सिर्फ एक व्यक्ति यदि ठान ले, तो बदलाव लाने के लिए काफी होता है. इसे कोरबा के वनांचल क्षेत्र इलाके में मौजूद प्राइमरी स्कूल के शिक्षक गोकुल ने सच कर दिखाया है. ट्राइबल गांव के नौनिहालों तक शिक्षा का उजाला फैलाने के जुनून में शिक्षक गोकुल ने अपनी सेविंग्स के लाखों रुपए खर्च कर दिये. सरकार से मिलने वाला फंड बेहद सीमित होता है. जिससे किसी सरकारी स्कूल को निजी स्कूल के तर्ज पर नहीं बदला जा सकता, इसलिए गोकुल ने अपने जेब से 7 से 8 लाख रुपए लगाकर स्कूल का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया.

कोरबा के आदिवासी गांव में स्मार्ट स्कूल (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोरबा के आदिवासी गांव में स्मार्ट क्लास: आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए गांव के एक स्कूल में स्मार्ट क्लास लगाई. प्रयासों को तब और पंख लग गए जब गोकुल को राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पीएम श्री विद्यालय के मापदंडों पर खरा उतरने के बाद इस स्कूल को कोरबा ब्लॉक के सैकड़ों स्कूलों में से पीएम श्री विद्यालय के तौर पर चुना गया.

Teachers Day Special
पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा (ETV Bharat Chhattisgarh)

पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा विकासखंड के वनांचल गांव में संचालित है. लगभग शत प्रतिशत आदिवासी ही यहां निवास करते हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चे भी समाज के बेहद निचले तबके से आते हैं, जिनके लिए निजी स्कूलों की तरह शिक्षा हासिल करना आज भी किसी सुनहरे सपने के जैसा है. लेकिन पीएम श्री विद्यालय चाकामार की तस्वीर बिल्कुल अलग है. स्कूल के प्रवेश द्वार से एंट्री लेते ही ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगेगा कि यह समस्याओं से घिरा हुआ सरकारी स्कूल है. प्रवेश द्वार पर सरस्वती माता का मंदिर है. दाएं तरफ बढ़ने पर एक आदमकद भारत माता की प्रतिमा लगाई गई है. हरे भरे स्कूल में इंपोर्टेड घास लगाया गया है. स्कूल के बाउंड्री वॉल में स्वामी विवेकानंद और अब्दुल कलाम जैसे महापुरुषों के कोट लिखे गए हैं.

Teachers Day Special
आदिवासी गांव में स्मार्ट क्लास (ETV Bharat Chhattisgarh)

एक–एक कोने का उपयोग, स्कूल के कण-कण में सीख : क्लासरूम की दीवारों पर क, ख, ग और गणित का ज्ञान लिखा गया है. स्कूल के गार्डन में भी जियोमेट्रिक आकृतियां बनाकर मैथ्स गार्डन बनाया गया है, ताकि बच्चे जब खेलने भी जाएं, तब कुछ न कुछ सीख कर आएं. पहली से लेकर पांचवी तक के सभी कक्षाओं में एलईडी मॉनिटर लगे हुए हैं और बच्चे स्मार्ट क्लास के जरिए पढ़ाई करते हैं. स्कूल के हर कोने में हर दीवार पर कुछ न कुछ लिखा है. जिससे बच्चों को खेल खेल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके. स्कूल में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां बच्चे को पढ़ने और सीखने को कुछ ना मिले.

Teachers Day Special
पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा (ETV Bharat Chhattisgarh)

कई बच्चे ऐसे जिनके घर में टीवी तक नहीं : प्राथमिक स्कूल चाकामार पूरी तरह से ट्राइबल इलाके से घिरा हुआ है. आसपास के कई बच्चे ऐसे हैं, जो दूसरे के घरों में टीवी देखने जाते हैं. उनके खुद के घर में टीवी तक नहीं है. शनिवार के दिन स्कूल में बैगलेस डे होता है. इस दिन बच्चों को टीवी पर कार्टून या ऐसे कई ज्ञानवर्धक मनोरंजक कार्यक्रम दिखाए जाते हैं, जिससे कि उनका मानसिक विकास हो. मनोरंजन के साथ ही वह कुछ अच्छा सीख सकें. स्कूल का पूरा फोकस बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर है. स्कूल की भव्यता और यहां के वातावरण को देखकर लगातार यहां की दर्ज संख्या भी बढ़ी है. जो बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़ देते थे, वह भी वापस स्कूल आने लगे हैं. वर्तमान में पहली से पांचवी तक की कक्षा में लगभग 70 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.

Teachers Day Special
किताबों के साथ स्क्रीन पर भी क्लास (ETV Bharat Chhattisgarh)

2010 में पदस्थापना के बाद से ही बदलाव की शुरुआत : पीएम श्री प्राइमरी स्कूल चाकामार पहुंचकर ETV भारत की टीम ने राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक गोकुल प्रसाद मार्बल से खास बातचीत की. गोकुल ने बताया कि "मेरी पदस्थापना यहां 2010 में हुई थी. तभी से मैंने बदलाव की शुरुआत कर दी थी. शासन से जो फंड मिलता है, वह बेहद सीमित होता है. मैंने देखा कि आदिवासी क्षेत्र के बच्चे बेहद जरूरतमंद है. मैंने सोचा कि इन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देनी चाहिए और इन बच्चों को भी शहर के किसी निजी स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा हासिल करने का पूरा अधिकार है."

पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय चाकामार कोरबा
आदिवासी गांव में स्मार्ट स्कूल के कोने कोने से बच्चों को मिलती है शिक्षा (ETV Bharat Chhattisgarh)
गोकुल प्रसाद मार्बल आगे बताते हैं-" धीरे-धीरे स्कूल में अपने जेब से पैसे खर्च करके संसाधनों का विकास किया. 2018 में चाकामार को जिले का पहला डिजिटल प्राइमरी स्कूल बनाया. रंग रोगन कर दीवारों पर ज्ञानवर्धक जानकारी उकेरी. सरस्वती माता और भारत माता का मंदिर बनवाया. सर्व सुविधायुक्त टॉयलेट, किचन शेड और हर वह संसाधन यहां विकसित किया गया, जो शहर के किसी निजी स्कूलों में होते हैं. अपने जेब से अब तक मैं लगभग 7 से 8 लाख रुपए खर्च कर चुका हूं. इस स्कूल की तस्वीर बदलने में मुझे लगभग 10 साल लग गए. मुझे राज्यपाल पुरस्कार भी मिला और हाल ही में पीएम श्री स्कूल के सभी मापदंडों पर खरा उतरने के बाद स्कूल का चयन पीएम श्री विद्यालय के लिए किया गया है. इस योजना का फायदा भी स्कूल को मिल रहा है. धीरे-धीरे संसाधनों का और भी विकास हो रहा है."
Smart School in Tribal Village
स्मार्ट स्कूल के कारण बच्चों की बढ़ रही संख्या (ETV Bharat Chhattisgarh)

बच्चों को संपूर्ण नागरिक बनाना है एक मात्र लक्ष्य : चाकामार की प्रधान पाठक खगेश्वरी कहती हैं "हमारे स्कूल की तस्वीर अन्य स्कूलों से काफी अलग है. इसके लिए मैं हमारे शिक्षक मार्बल सर का धन्यवाद करना चाहूंगी. यही उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि आज स्कूल की ख्याति जिले भर में है. स्कूल आने वाले अभिभावक भी काफी खुश रहते हैं. वह देखते हैं कि कैसे हमारा स्कूल दूसरे स्कूलों से अलग है. हमें सभी का सहयोग मिलता है. अभिभावक हो या स्थानीय लोग सभी हमें सपोर्ट करते हैं."

प्रधान पाठक खगेश्वरी कहती है "हमारे स्कूल आने वाले लोग एक बार तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं कि इतने अंदरूनी क्षेत्र में इस तरह का एक सुविधायुक्त स्कूल कैसे संचालित हो रहा है, हमारे स्कूल का चयन पीएम श्री विद्यालय के तौर पर किया गया है. जिसका फायदा भी अब छात्रों को मिल रहा है. हमारा प्रयास है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए और उन्हें एक संपूर्ण नागरिक बनाया जाए."

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Last Updated : Sep 5, 2024, 1:31 PM IST
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