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महासमुंद में छत्तीसगढ़ के एकलव्य गंदा पानी पीने को मजबूर, जिम्मेदारों की नहीं टूट रही है नींद

Drinking Dirty water in Mahasamund: महासमुंद में एकलव्य आवासीय विद्यालय के बच्चे नहर का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. इसी पानी से बच्चे निस्तारी भी करते हैं, यही पानी पीकर बच्चे बीमार भी पड़ रहे हैं.

School students drinking dirty water in Mahasamund
नहर का गंदा पानी पीने को मजबूर बच्चे
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 29, 2024, 4:56 PM IST

Updated : Jan 29, 2024, 6:12 PM IST

महासमुंद में छत्तीसगढ़ के एकलव्य गंदा पानी पीने को मजबूर

महासमुंद: महासमुंद के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के बच्चे इन दिनों पानी की किल्लत झेल रहे हैं. ये बच्चे निस्तारी के लिए भी विद्यालय के बाहर जाकर नहर का पानी ही इस्तेमाल कर रहे हैं. विद्यालय के चार दीवारी से बाहर जाकर नहर से पानी लाकर निस्तारी करने को ये बच्चे मजबूर हैं. आलम यह है कि इन बच्चों का आधा से अधिक समय पानी लाने में ही चला जाता है. स्कूल में सुविधा न होने से बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. वहीं, विद्यालय की प्राचार्या ड्राई एरिया होने के कारण पानी की किल्लत होने की बात कह रही है.

बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा असर: दरअसल, महासमुंद जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थित है. यहां 417 बच्चे पढ़ते हैं. इनमें 210 आदिवासी बच्चियां और 207 लड़के शामिल हैं. इस विद्यालय में इन छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई के साथ विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. हालांकि यहां के बच्चे कई तरह की समस्याओं से शुरू से ही जूझ रहे हैं. इससे इनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है.

हमें निस्तारी के लिए नहर से पानी लाना पड़ता है. इससे हमारी तबियत पर भी असर पड़ रहा है. उलटी दस्त होता है. पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. हमने इसकी शिकायत प्राचार्या से की है. उन्होंने कहा है कि जल्द ही व्यवस्था हो जाएगी. -स्कूल के बच्चे

स्कूल भवन जर्जर : यहां पीने के पानी की समस्या शुरू से ही बनी हुई है. पिछले चार दिनों से आवासीय विद्यालय का बोर खराब हो जाने के कारण आदिवासी छात्र- छात्राओं को विद्यालय के परिसर से दूर जाकर नहर से पानी लाकर निस्तारी करना पड़ रहा है. इसमें इन बच्चों का आधे से अधिक समय चला जा रहा है. स्कूल का भवन तो जर्जर है ही साथ ही बच्चों का वॉशरूम भी इस्तेमाल करने लायक नहीं है. यहां वॉशरूम में सेप्टिक की गंदगी पसरी हुई है. इससे निकलने वाली दुर्गंध और गंदगी बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. दो वॉशरूम में से एक ही वॉशरूम उपयोग किया जा रहा है. दूसरे वॉशरूम में ताला लगा दिया गया है. यहां की दीवारों से प्लास्टर नीचे गिर रहा है.खिड़की-दरवाजे टूटे हुए हैं.

साल 2017 में यह विद्यालय बना है. तब से यहां मूलभूत समस्याएं बनी रहती है. प्रशासन भी सिर्फ वैकल्पिक व्यवस्था करती है. जिस स्तर की पढ़ाई यहां होनी चाहिए, वह नहीं होती है. यहां तक कि पालकों की बात भी नहीं सुनी जाती. हमारे बच्चों पर खराब पानी का असर होता है. उनकी स्किन भी खराब हो रही है. साथ ही पढ़ाई भी प्रभावित हो रहा है. -बच्चों के पालक

प्राचार्या ने दिया आश्वासन: इस पूरे मामले में विद्यालय की प्राचार्या मन्दाकिनी पंडा कहती हैं कि, "विद्यालय में 7 बोर थे, जिनमें से 5 बंद है और 2 चालू है. लेकिन चालू 2 बोर में से एक बोर का मोटर जल जाने के कारण ये दिक्कतें सामने आ रही है. नया मोटर लग जायेगा तो एक-दो दिन में समस्या दूर हो जाएगी." बता दें कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का भवन 23 जून 2022 को हैण्ड ओवर किया गया. एक साल से अधिक का समय बीतने के बावजूद भी आदिवासी विभाग आज तक इसका समाधान नहीं निकाल पाया, जो विभाग के कार्य प्रणाली पर एक प्रश्न लगाता है.

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महासमुंद: महासमुंद के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के बच्चे इन दिनों पानी की किल्लत झेल रहे हैं. ये बच्चे निस्तारी के लिए भी विद्यालय के बाहर जाकर नहर का पानी ही इस्तेमाल कर रहे हैं. विद्यालय के चार दीवारी से बाहर जाकर नहर से पानी लाकर निस्तारी करने को ये बच्चे मजबूर हैं. आलम यह है कि इन बच्चों का आधा से अधिक समय पानी लाने में ही चला जाता है. स्कूल में सुविधा न होने से बच्चों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. वहीं, विद्यालय की प्राचार्या ड्राई एरिया होने के कारण पानी की किल्लत होने की बात कह रही है.

बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा असर: दरअसल, महासमुंद जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थित है. यहां 417 बच्चे पढ़ते हैं. इनमें 210 आदिवासी बच्चियां और 207 लड़के शामिल हैं. इस विद्यालय में इन छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई के साथ विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. हालांकि यहां के बच्चे कई तरह की समस्याओं से शुरू से ही जूझ रहे हैं. इससे इनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है.

हमें निस्तारी के लिए नहर से पानी लाना पड़ता है. इससे हमारी तबियत पर भी असर पड़ रहा है. उलटी दस्त होता है. पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. हमने इसकी शिकायत प्राचार्या से की है. उन्होंने कहा है कि जल्द ही व्यवस्था हो जाएगी. -स्कूल के बच्चे

स्कूल भवन जर्जर : यहां पीने के पानी की समस्या शुरू से ही बनी हुई है. पिछले चार दिनों से आवासीय विद्यालय का बोर खराब हो जाने के कारण आदिवासी छात्र- छात्राओं को विद्यालय के परिसर से दूर जाकर नहर से पानी लाकर निस्तारी करना पड़ रहा है. इसमें इन बच्चों का आधे से अधिक समय चला जा रहा है. स्कूल का भवन तो जर्जर है ही साथ ही बच्चों का वॉशरूम भी इस्तेमाल करने लायक नहीं है. यहां वॉशरूम में सेप्टिक की गंदगी पसरी हुई है. इससे निकलने वाली दुर्गंध और गंदगी बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. दो वॉशरूम में से एक ही वॉशरूम उपयोग किया जा रहा है. दूसरे वॉशरूम में ताला लगा दिया गया है. यहां की दीवारों से प्लास्टर नीचे गिर रहा है.खिड़की-दरवाजे टूटे हुए हैं.

साल 2017 में यह विद्यालय बना है. तब से यहां मूलभूत समस्याएं बनी रहती है. प्रशासन भी सिर्फ वैकल्पिक व्यवस्था करती है. जिस स्तर की पढ़ाई यहां होनी चाहिए, वह नहीं होती है. यहां तक कि पालकों की बात भी नहीं सुनी जाती. हमारे बच्चों पर खराब पानी का असर होता है. उनकी स्किन भी खराब हो रही है. साथ ही पढ़ाई भी प्रभावित हो रहा है. -बच्चों के पालक

प्राचार्या ने दिया आश्वासन: इस पूरे मामले में विद्यालय की प्राचार्या मन्दाकिनी पंडा कहती हैं कि, "विद्यालय में 7 बोर थे, जिनमें से 5 बंद है और 2 चालू है. लेकिन चालू 2 बोर में से एक बोर का मोटर जल जाने के कारण ये दिक्कतें सामने आ रही है. नया मोटर लग जायेगा तो एक-दो दिन में समस्या दूर हो जाएगी." बता दें कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का भवन 23 जून 2022 को हैण्ड ओवर किया गया. एक साल से अधिक का समय बीतने के बावजूद भी आदिवासी विभाग आज तक इसका समाधान नहीं निकाल पाया, जो विभाग के कार्य प्रणाली पर एक प्रश्न लगाता है.

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Last Updated : Jan 29, 2024, 6:12 PM IST
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