रायपुर: सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. आज के दिन भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करने के साथ ही व्रत करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान के जीवन में आ रहे सभी तरह के दुख दर्द दूर हो जाते हैं. साल 2024 में 28 मार्च को संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा.
संकष्टी चतुर्थी का महत्व : महामाया मंदिर रायपुर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश जी को समर्पित है. संकष्टी चतुर्थी का पर्व हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. संकष्टी का मतलब है कि संकट को हरने वाला. भगवान गणेश विघ्नहर्ता कहलाते हैं. सुख, शांति, खुशहाली और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत लोग रखते हैं."
संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त : हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 मार्च 2024 की शाम 6:56 से होगी. इसका समापन 29 मार्च 2024 को रात 8:20 पर हो जाएगा. ऐसे में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 28 मार्च 2024 गुरुवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 10:54 से दोपहर 12:26 तक रहेगा. शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त 5:04 से 6:37 तक है. इस दौरान भक्त भगवान गणेश जी की पूजा कर सकते हैं.
संकष्टी चतुर्थी व्रत की विधि : भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दिन की शुरुआत भगवान गणेश जी के ध्यान से करना चाहिए. स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें. इसके बाद पूजन स्थल की साफ सफाई करें और एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति विराजित करें. गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. देसी घी का दीपक जलाकर गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करें. साथ ही गणेश चालीसा और गणेश जी के मंत्रों का जाप करें. भोग के रूप में भगवान गणेश को मोदक, तिल का लड्डू अर्पित करें. शाम के समय चंद्रमा को अर्ध देकर अपना उपवास तोड़ें.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.