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केशव प्रसाद मौर्य पर अखिलेश यादव बोले- 69000 शिक्षक भर्ती में दर्द देने वाले, दवा देने का दावा न करें - Akhilesh Yadav on Keshav Maurya - AKHILESH YADAV ON KESHAV MAURYA

69000 शिक्षक भर्ती को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर रविवार को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर सियासी हमला बोला. उन्होंने कहा कि दर्द देने वाले दवा देने का दावा न करें.

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अखिलेश यादव ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर सियासी हमला बोला. (Photo Credit- ETV Bharat UP)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 4:03 PM IST

लखनऊ: आरक्षण, 69000 शिक्षक भर्ती और सरकारी अधिकारियों पर निजी क्षेत्र के जरिए भर्ती को आरक्षण विरोधी ठहराते हुए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हमला बोला है. सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर रविवार के दिन अखिलेश यादव ने पोस्ट करके सरकार को आरक्षण विरोधी बताया. साथ ही उन्होंने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर हमला बोला.

अखिलेश यादव ने कहा है कि एक ओर तो सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती में युवाओं के साथ धोखा किया. वहीं दूसरी ओर कृपा पात्र उप मुख्यमंत्री इस मामले में राजनीतिक गोटियां खेल रहे हैं. साथ ही निजी क्षेत्र से सरकारी अधिकारियों की भर्ती को लेकर भी अखिलेश ने भाजपा पर हमला बोला. उन्होंने कहा है कि यह PDA के खिलाफ एक षड्यंत्र है.

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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Photo Credit- ETV Bharat UP)

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश के एक 'कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी' का बयान भी साजfशाना है. पहले तो आरक्षण की हक़मारी में ख़ुद भी सरकार के साथ संलिप्त रहे और जब युवाओं ने उन्हीं के ख़िलाफ़ लड़कर, लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ़ पाया, तो अपने को हमदर्द साबित करने के लिए आगे आकर खड़े हो गये.

दरअसल ये 'कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी' शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ नहीं हैं, वो तो ऐसा करके भाजपा के अंदर अपनी राजनीतिक गोटी खेल रहे हैं. वो इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से जिनके ऊपर उंगली उठा रहे हैं, वो 'माननीय' भी अंदरूनी राजनीति के इस खेल को समझ रहे हैं. शिक्षा और युवाओं को भाजपा अपनी आपसी लड़ाई और नकारात्मक राजनीति से दूर ही रखे क्योंकि भाजपा की ऐसी ही सत्ता लोलुप सियासत से यूपी कई साल पीछे चला गया है.

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भाजपा की सियासत से यूपी कई साल पीछे चला गया: अखिलेश यादव (Photo Credit- ETV Bharat UP)

उच्च पदों पर निजी क्षेत्र से भर्ती करने को लेकर उन्होंने लिखा है कि भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है. ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा. आम लोग बाबू और चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे.

दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है. अब जब भाजपा ये जान गई है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के ख़िलाफ़ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है.

भाजपा सरकार इसे तत्काल वापस ले, क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है. भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है. सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते. ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा. देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों.

सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है. ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है.

ये भी पढ़ें- मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर मायावती ने खेला बड़ा सियासी दांव, उपचुनाव में राम गोपाल कोरी को प्रत्याशी बनाया - BSP Candidate for Milkipur Seat

लखनऊ: आरक्षण, 69000 शिक्षक भर्ती और सरकारी अधिकारियों पर निजी क्षेत्र के जरिए भर्ती को आरक्षण विरोधी ठहराते हुए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हमला बोला है. सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर रविवार के दिन अखिलेश यादव ने पोस्ट करके सरकार को आरक्षण विरोधी बताया. साथ ही उन्होंने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर हमला बोला.

अखिलेश यादव ने कहा है कि एक ओर तो सरकार ने 69000 शिक्षक भर्ती में युवाओं के साथ धोखा किया. वहीं दूसरी ओर कृपा पात्र उप मुख्यमंत्री इस मामले में राजनीतिक गोटियां खेल रहे हैं. साथ ही निजी क्षेत्र से सरकारी अधिकारियों की भर्ती को लेकर भी अखिलेश ने भाजपा पर हमला बोला. उन्होंने कहा है कि यह PDA के खिलाफ एक षड्यंत्र है.

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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Photo Credit- ETV Bharat UP)

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश के एक 'कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी' का बयान भी साजfशाना है. पहले तो आरक्षण की हक़मारी में ख़ुद भी सरकार के साथ संलिप्त रहे और जब युवाओं ने उन्हीं के ख़िलाफ़ लड़कर, लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ़ पाया, तो अपने को हमदर्द साबित करने के लिए आगे आकर खड़े हो गये.

दरअसल ये 'कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी' शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ नहीं हैं, वो तो ऐसा करके भाजपा के अंदर अपनी राजनीतिक गोटी खेल रहे हैं. वो इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से जिनके ऊपर उंगली उठा रहे हैं, वो 'माननीय' भी अंदरूनी राजनीति के इस खेल को समझ रहे हैं. शिक्षा और युवाओं को भाजपा अपनी आपसी लड़ाई और नकारात्मक राजनीति से दूर ही रखे क्योंकि भाजपा की ऐसी ही सत्ता लोलुप सियासत से यूपी कई साल पीछे चला गया है.

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भाजपा की सियासत से यूपी कई साल पीछे चला गया: अखिलेश यादव (Photo Credit- ETV Bharat UP)

उच्च पदों पर निजी क्षेत्र से भर्ती करने को लेकर उन्होंने लिखा है कि भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है. ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा. आम लोग बाबू और चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे.

दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है. अब जब भाजपा ये जान गई है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के ख़िलाफ़ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है.

भाजपा सरकार इसे तत्काल वापस ले, क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है. भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है. सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते. ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा. देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों.

सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है. ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है.

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