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गोपाल भार्गव ने अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल? कांग्रेस ने समर्थन कर मौके को भुनाया

मासूम बच्चियों से दुराचार होने पर गोपाल भार्गव ने उठाए सवाल, कहा- क्या हम रावण दहन के अधिकारी?

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

GOPAL BHARGAV ON WOMEN SAFETY
गोपाल भार्गव और शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

सागर: पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया में एक लंबा पोस्ट लिखते हुए बच्चियों के साथ हो रही दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस पोस्ट के साथ पूछा कि क्या हम इन परिस्थितियों में रावण दहन के अधिकारी हैं?. उनकी इस पोस्ट को लेकर तरह-तरह के कयासों और अटकलें का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस ने तो मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था से जोड़कर गोपाल भार्गव की फेसबुक पोस्ट का समर्थन तक कर दिया है, लेकिन गोपाल भार्गव ने साफ कहा है कि 'मेरी पोस्ट किसी तरह से राजनीतिक नहीं है, जिसको जो समझना हो वह समझे. मैं अंतर आत्मा से समझौता करके कभी राजनीति नहीं करता हूं, ना कभी मैंने की है."

नवरात्रि और मासूम बच्चियों से दुराचार

पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक गोपाल भार्गव ने फेसबुक पर लिखा, " नवरात्रि का पर्व चल रहा है. हम एक तरफ दुर्गा पूजन और कन्या पूजन कर रहे हैं और दूसरी तरफ अखबारों में 3 साल और 5 साल की अबोध बालिकाओं के साथ दुष्कर्म और हत्या जैसी खबरें पढ़ने को मिल रही हैं. जिस तरह से कड़े कानून इन घटनाओं के खिलाफ बनाए जा रहे हैं, उसके बावजूद भी इस तरह की वारदातें हैं और बढ़ रही हैं. ये पोस्ट किसी राजनीतिक वजह से नहीं, बल्कि सामाजिक परिस्थितियों के कारण की है. क्या हमें अधिकार है कि हम रावण का दहन करें? आज जो बच्चियों के साथ हो रहा है. महिलाओं के साथ भी गलत हो रहा है. आजकल ऐसा क्यों हो रहा है? पिछले कुछ सालों से हम देख रहे हैं कि ऐसी घटनाओं को लेकर जितने कड़े कानून बनाए जा रहे हैं. ऐसी घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, ये बड़ी अजीब बात है. अब फांसी की सजा भी दी जा रही है तो भी ये घटनाएं रुक नहीं रही है.

फेसबुक पोस्ट को लेकर जवाब देते हुए गोपाल भार्गव (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें:

नवरात्रि का सियासी पारा, NSUI बनेगी महिलाओं की 'परछाई', गोपाल भार्गव ने पूछा ये सवाल

क्या किनारे कर दिए गए बुंदेलखंड के ये दिग्गज, बहुत कुछ बयां करती गोपाल भार्गव की ये पोस्ट

मैं अंतरात्मा से समझौता नहीं करता

गोपाल भार्गव ने आगे लिखा कि ''हमें इस बात पर विशेष चिंतन और मनन करना होगा. जहां तक मेरी पोस्ट का सवाल है तो "जा की रही भावना जैसी" जिसको जिस प्रकार से अर्थ लगाना है, वह लगाए. लेकिन मेरे मन के भाव थे. मैं अपने मन के भाव कभी नहीं छिपाता हूं, किसी को जो समझना हो समझे. मैंने अंतरात्मा से समझौता करके कभी राजनीति नहीं की.''

दुराचार करने वाले रावण से भी बड़े

फेसबुक पोस्ट को राजनीति से जोड़े जाने के सवाल पर गोपाल भार्गव कहते हैं, "जो भी व्यक्ति इसको राजनीति से जोड़ता है, मैं समझता हूं कि ना तो वह राजनीतिक, ना ही विचारक है, ना ही समाज सुधारक और ना ही नारी वर्ग का शुभचिंतक है. नवरात्रि का पर्व चल रहा है. घर-घर कन्या पूजन किया जाता है. यह कन्या पूजन वाला देश है, उसमें ऐसी घटनाएं हो रही हैं तो हमें समाज की समीक्षा करनी होगी. मैं धर्मगुरुओं से कहूंगा कि कानून से ज्यादा कुछ नहीं हो पाएगा. धर्मगुरु लोगों को बताएं कि यह बहुत बड़ा पाप है. कुछ सालों से दिमाग फटा जा रहा है कि दो-तीन साल की बच्चियों से दुराचार करने वाले तो रावण से भी बड़े हैं.''

सागर: पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया में एक लंबा पोस्ट लिखते हुए बच्चियों के साथ हो रही दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस पोस्ट के साथ पूछा कि क्या हम इन परिस्थितियों में रावण दहन के अधिकारी हैं?. उनकी इस पोस्ट को लेकर तरह-तरह के कयासों और अटकलें का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस ने तो मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था से जोड़कर गोपाल भार्गव की फेसबुक पोस्ट का समर्थन तक कर दिया है, लेकिन गोपाल भार्गव ने साफ कहा है कि 'मेरी पोस्ट किसी तरह से राजनीतिक नहीं है, जिसको जो समझना हो वह समझे. मैं अंतर आत्मा से समझौता करके कभी राजनीति नहीं करता हूं, ना कभी मैंने की है."

नवरात्रि और मासूम बच्चियों से दुराचार

पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक गोपाल भार्गव ने फेसबुक पर लिखा, " नवरात्रि का पर्व चल रहा है. हम एक तरफ दुर्गा पूजन और कन्या पूजन कर रहे हैं और दूसरी तरफ अखबारों में 3 साल और 5 साल की अबोध बालिकाओं के साथ दुष्कर्म और हत्या जैसी खबरें पढ़ने को मिल रही हैं. जिस तरह से कड़े कानून इन घटनाओं के खिलाफ बनाए जा रहे हैं, उसके बावजूद भी इस तरह की वारदातें हैं और बढ़ रही हैं. ये पोस्ट किसी राजनीतिक वजह से नहीं, बल्कि सामाजिक परिस्थितियों के कारण की है. क्या हमें अधिकार है कि हम रावण का दहन करें? आज जो बच्चियों के साथ हो रहा है. महिलाओं के साथ भी गलत हो रहा है. आजकल ऐसा क्यों हो रहा है? पिछले कुछ सालों से हम देख रहे हैं कि ऐसी घटनाओं को लेकर जितने कड़े कानून बनाए जा रहे हैं. ऐसी घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, ये बड़ी अजीब बात है. अब फांसी की सजा भी दी जा रही है तो भी ये घटनाएं रुक नहीं रही है.

फेसबुक पोस्ट को लेकर जवाब देते हुए गोपाल भार्गव (ETV Bharat)

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मैं अंतरात्मा से समझौता नहीं करता

गोपाल भार्गव ने आगे लिखा कि ''हमें इस बात पर विशेष चिंतन और मनन करना होगा. जहां तक मेरी पोस्ट का सवाल है तो "जा की रही भावना जैसी" जिसको जिस प्रकार से अर्थ लगाना है, वह लगाए. लेकिन मेरे मन के भाव थे. मैं अपने मन के भाव कभी नहीं छिपाता हूं, किसी को जो समझना हो समझे. मैंने अंतरात्मा से समझौता करके कभी राजनीति नहीं की.''

दुराचार करने वाले रावण से भी बड़े

फेसबुक पोस्ट को राजनीति से जोड़े जाने के सवाल पर गोपाल भार्गव कहते हैं, "जो भी व्यक्ति इसको राजनीति से जोड़ता है, मैं समझता हूं कि ना तो वह राजनीतिक, ना ही विचारक है, ना ही समाज सुधारक और ना ही नारी वर्ग का शुभचिंतक है. नवरात्रि का पर्व चल रहा है. घर-घर कन्या पूजन किया जाता है. यह कन्या पूजन वाला देश है, उसमें ऐसी घटनाएं हो रही हैं तो हमें समाज की समीक्षा करनी होगी. मैं धर्मगुरुओं से कहूंगा कि कानून से ज्यादा कुछ नहीं हो पाएगा. धर्मगुरु लोगों को बताएं कि यह बहुत बड़ा पाप है. कुछ सालों से दिमाग फटा जा रहा है कि दो-तीन साल की बच्चियों से दुराचार करने वाले तो रावण से भी बड़े हैं.''

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