ETV Bharat / state

हिंदुस्तान के दिल में 'पीला सोना' कर रहा मालामाल, बुंदेलखंड में किसानों के खेत हुए गुलजार - sagar soybean cultivating in summer

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 18, 2024, 7:33 AM IST

Updated : May 18, 2024, 4:11 PM IST

मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होती है, इसलिए राज्य में इसे पीला सोना कहा जाता है. वैसे तो सोयाबीन को बरसात के मौसम में बोया जाता है. लेकिन बुंदेलखंड में किसान गर्मी में सोयाबीन की बुवाई कर मालामाल हो रहे हैं. इस बार सागर जिले में करीब 500 हेक्टेयर में किसानों ने सोयाबीन की फसल बोयी है, जो पकने की ओर है. किसानों को उम्मीद है कि सोयाबीन से उनको तगड़ा मुनाफा होगा.

SAGAR SOYBEAN CULTIVATING IN SUMMER
बुंदेलखंड में किसानों ने बोया सोयाबीन (Etv Bharat)
बुंदेलखंड में किसान गर्मी में सोयाबीन की बुवाई कर मालामाल हो रहे (ETV BHARAT)

सागर। एक समय था कि बुंदेलखंड की पहचान एक सूखाग्रस्त इलाके के रूप में थी, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बदल रहा है और बुंदेलखंड में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के चलते किसान एक प्रगतिशील किसान के रूप में आगे बढ़ रहा है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण गर्मी के सीजन में देखने मिल रहा है, जब जायद (ग्रीष्मकालीन फसलों) में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर सोयाबीन की बुवाई की गई है. पीले सोना के नाम से खरीफ (वर्षा कालीन फसल) गरमी के मौसम में बोकर किसान मोटी कमाई कर रहा है.

500 हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोयी

सोयाबीन की फसल के लिए सिंचाई की जरूरत होती है. ऐसे में गर्मी के मौसम में सोयाबीन उत्पादन कर बुंदेलखंड का किसान अपनी तरक्की का संदेश दे रहा है. सागर जिले में ही करीब 500 हेक्टेयर में किसानों ने इस बार सोयाबीन की फसल बोयी है. किसानों की माने तो अच्छा बीज होने पर 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है. हालांकि सिंचाई की जरूरत भी 8 से 10 बार पड़ती है और जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं, वह गर्मी में भी सोयाबीन यानी पीला सोना लगाकर मालामाल हो सकते हैं.

sagar cultivation millionaire farmer
बुंदेलखंड के किसान गर्मी में पीले सोने से हो रहे मालामाल (ETV BHARAT)

बुंदेलखंड में लगातार बढ़ रहा है जायद फसलों का रकबा

बुंदेलखंड वैसे भी सिंचाई के मामले में काफी पिछड़ा हुआ इलाका था. लेकिन मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं के चलते बुंदेलखंड का किसान अब समृद्धि की तरफ जा रहा है. एक वक्त था कि गर्मी के मौसम में किसान जायद फसलें लगाने के बारे में सोच ही नहीं सकता था. लेकिन सिंचाई सुविधा बढ़ने के कारण सागर जिले में ही करीब 25 हजार हेक्टेयर में जायद फसले बोयी गयी हैं. खास बात ये है कि मूंग और उड़द के अलावा बुंदेलखंड का किसान अब गर्मी में पीला सोना यानि सोयाबीन भी उगाने लगा है. जबकि सोयाबीन खरीफ सीजन की फसल है, जो बरसात में बोई जाती है. क्योंकि सोयाबीन के लिए बड़े पैमाने पर पानी की जरूरत पड़ती है. हालांकि गर्मी में वही किसान ही सोयाबीन की बौनी कर पाए हैं, जिनके पास सिंचाई के साधन हैं. एक अनुमान के मुताबिक सागर जिले में करीब 500 हेक्टेयर सोयाबीन का रकबा दर्ज किया गया है, जो की पकने की ओर है. जिले की रेहली विकासखंड के पटना, बड़गांव, ढिकुआ, पट्टी बडगाम जैसे गांव में बड़े पैमाने पर किसानों ने सोयाबीन की बोवनी की है.

sagar cultivation millionaire farmer
लगातार बढ़ रहा है सोयाबीन का रकबा (ETV BHARAT)

बीज भी गुणवत्ता का होना जरूरी है

बुंदेलखंड की बात करें तो पिछले दो-तीन साल से जायद फसलों में किसानों ने सोयाबीन की खेती शुरू की थी. लेकिन गर्मी में लगाए जाने वाले अच्छे बीज न मिलने के कारण किसानों को अच्छा उत्पादन नहीं मिल रहा था. धीरे-धीरे ग्रीष्मकालीन सोयाबीन के अच्छे बीज किसानों को मिले और किसानों ने अब गर्मी में सोयाबीन का रकबा बढ़ा दिया है. बुंदेलखंड के किसानों का कहना है कि ''पिछले साल कुछ किसानों ने ब्लैक गोल्ड किस्म का बीज सोयाबीन का लगाया था, जो गिरी हालत में एक एकड़ में 8 से 10 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन दे रहा है.'' किसानों का कहना है कि ''सोयाबीन के दूसरे बीज उच्च तापमान नहीं सह पाते हैं, लेकिन ब्लैक गोल्ड उच्च तापमान आसानी से सह लेता है. हालांकि 8 से 10 बार सिंचाई की भी जरूरत पड़ती है. इस बार ज्यादातर किसानों ने इसी बीच की बोवनी की है.''

sagar cultivation millionaire farmer
गर्मी के मौसम में किसान कर रहे सोयाबीन की खेती (ETV BHARAT)

क्या कहना है किसानों का

जिले के रहली विकासखंड के पटना गांव में सोयाबीन की गर्मी में खेती करने वाले किसान अमित पटेल बताते हैं कि ''सोयाबीन की ब्लैक गोल्ड किस्म की फसल उच्च तापमान भी सह लेती है, इसलिए इसको गर्मी में बोया जा सकता है. सिंचाई की जरूरत पड़ती है, क्योंकि सोयाबीन खरीफ की फसल है और बरसात में लगाए जाने के कारण पर्याप्त पानी भी मिल जाता है. लेकिन गर्मी में बिना सिंचाई के नहीं लगाया जा सकता है. पिछली बार किसानों ने दूसरे बीज लगाए थे, जिनका औसत उत्पादन काफी कम था. जिन किसानों ने ब्लैक गोल्ड लगाया था, उन्होंने 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ सोयाबीन का उत्पादन दिया है. आमतौर पर फरवरी में किसान सोयाबीन की बुवाई करते हैं और हर 10 से 15 दिन में सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इस तरह फसल के पकने तक 8 से 10 बार सिंचाई करनी होती है एक एकड़ में 35 किलो बीज की बोवनी की जाती है, जो 8 से 10 क्विंटल तक उत्पादन देती है.''

Also Read:

किसानों के लिए गुड न्यूज! गर्मी में सोयाबीन खेती का सफल प्रयोग, सिंचाई के जरिए अच्छा उत्पादन ले सकेंगे अन्नदाता

खरबूजा की खेती से किसान मालामाल, 11वीं क्लास तक पढ़ा युवा हर तीन माह में कमा रहा लाखों रुपये - Muskmelon Millionaire Farmer

Mallika Alphonso Mango: अल्फांसो, दशहरी को टक्कर दे रही आम प्रेमियों की 'मल्लिका', स्वाद कर रहा मालामाल

क्या कहते हैं जानकार

कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि ''सागर जिले में देखा गया है कि जायद की फसलों का रकबा लगातार बढ़ रहा है. इस साल लगभग 25 हजार हेक्टेयर में जायद फसलें लगाई गई हैं. पिछले साल तक मूंग और उड़द का रकवा ज्यादा होता था, लेकिन इस बार लोगों ने सोयाबीन भी बड़े पैमाने पर लगाया है. पिछले साल करीब 250 हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल लगाई गई थी. इस साल ये रकबा दोगुना हो गया है और 450 हेक्टेयर के ऊपर किसानों ने सोयाबीन की बुवाई की है. जिन किसानों के पास सिंचाई की साधन है, ड्रिप, स्प्रिंकलर, माइक्रो स्प्रिंकलर जैसी सुविधाएं हैं, वे किसान आसानी से गर्मी में सोयाबीन लगा सकते हैं. खरीफ के मुकाबले उत्पादन थोड़ा काम रहता है. लेकिन सिंचाई सुविधाएं बेहतर होने पर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.''

बुंदेलखंड में किसान गर्मी में सोयाबीन की बुवाई कर मालामाल हो रहे (ETV BHARAT)

सागर। एक समय था कि बुंदेलखंड की पहचान एक सूखाग्रस्त इलाके के रूप में थी, लेकिन धीरे-धीरे वक्त बदल रहा है और बुंदेलखंड में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के चलते किसान एक प्रगतिशील किसान के रूप में आगे बढ़ रहा है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण गर्मी के सीजन में देखने मिल रहा है, जब जायद (ग्रीष्मकालीन फसलों) में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर सोयाबीन की बुवाई की गई है. पीले सोना के नाम से खरीफ (वर्षा कालीन फसल) गरमी के मौसम में बोकर किसान मोटी कमाई कर रहा है.

500 हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोयी

सोयाबीन की फसल के लिए सिंचाई की जरूरत होती है. ऐसे में गर्मी के मौसम में सोयाबीन उत्पादन कर बुंदेलखंड का किसान अपनी तरक्की का संदेश दे रहा है. सागर जिले में ही करीब 500 हेक्टेयर में किसानों ने इस बार सोयाबीन की फसल बोयी है. किसानों की माने तो अच्छा बीज होने पर 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है. हालांकि सिंचाई की जरूरत भी 8 से 10 बार पड़ती है और जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं, वह गर्मी में भी सोयाबीन यानी पीला सोना लगाकर मालामाल हो सकते हैं.

sagar cultivation millionaire farmer
बुंदेलखंड के किसान गर्मी में पीले सोने से हो रहे मालामाल (ETV BHARAT)

बुंदेलखंड में लगातार बढ़ रहा है जायद फसलों का रकबा

बुंदेलखंड वैसे भी सिंचाई के मामले में काफी पिछड़ा हुआ इलाका था. लेकिन मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं के चलते बुंदेलखंड का किसान अब समृद्धि की तरफ जा रहा है. एक वक्त था कि गर्मी के मौसम में किसान जायद फसलें लगाने के बारे में सोच ही नहीं सकता था. लेकिन सिंचाई सुविधा बढ़ने के कारण सागर जिले में ही करीब 25 हजार हेक्टेयर में जायद फसले बोयी गयी हैं. खास बात ये है कि मूंग और उड़द के अलावा बुंदेलखंड का किसान अब गर्मी में पीला सोना यानि सोयाबीन भी उगाने लगा है. जबकि सोयाबीन खरीफ सीजन की फसल है, जो बरसात में बोई जाती है. क्योंकि सोयाबीन के लिए बड़े पैमाने पर पानी की जरूरत पड़ती है. हालांकि गर्मी में वही किसान ही सोयाबीन की बौनी कर पाए हैं, जिनके पास सिंचाई के साधन हैं. एक अनुमान के मुताबिक सागर जिले में करीब 500 हेक्टेयर सोयाबीन का रकबा दर्ज किया गया है, जो की पकने की ओर है. जिले की रेहली विकासखंड के पटना, बड़गांव, ढिकुआ, पट्टी बडगाम जैसे गांव में बड़े पैमाने पर किसानों ने सोयाबीन की बोवनी की है.

sagar cultivation millionaire farmer
लगातार बढ़ रहा है सोयाबीन का रकबा (ETV BHARAT)

बीज भी गुणवत्ता का होना जरूरी है

बुंदेलखंड की बात करें तो पिछले दो-तीन साल से जायद फसलों में किसानों ने सोयाबीन की खेती शुरू की थी. लेकिन गर्मी में लगाए जाने वाले अच्छे बीज न मिलने के कारण किसानों को अच्छा उत्पादन नहीं मिल रहा था. धीरे-धीरे ग्रीष्मकालीन सोयाबीन के अच्छे बीज किसानों को मिले और किसानों ने अब गर्मी में सोयाबीन का रकबा बढ़ा दिया है. बुंदेलखंड के किसानों का कहना है कि ''पिछले साल कुछ किसानों ने ब्लैक गोल्ड किस्म का बीज सोयाबीन का लगाया था, जो गिरी हालत में एक एकड़ में 8 से 10 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन दे रहा है.'' किसानों का कहना है कि ''सोयाबीन के दूसरे बीज उच्च तापमान नहीं सह पाते हैं, लेकिन ब्लैक गोल्ड उच्च तापमान आसानी से सह लेता है. हालांकि 8 से 10 बार सिंचाई की भी जरूरत पड़ती है. इस बार ज्यादातर किसानों ने इसी बीच की बोवनी की है.''

sagar cultivation millionaire farmer
गर्मी के मौसम में किसान कर रहे सोयाबीन की खेती (ETV BHARAT)

क्या कहना है किसानों का

जिले के रहली विकासखंड के पटना गांव में सोयाबीन की गर्मी में खेती करने वाले किसान अमित पटेल बताते हैं कि ''सोयाबीन की ब्लैक गोल्ड किस्म की फसल उच्च तापमान भी सह लेती है, इसलिए इसको गर्मी में बोया जा सकता है. सिंचाई की जरूरत पड़ती है, क्योंकि सोयाबीन खरीफ की फसल है और बरसात में लगाए जाने के कारण पर्याप्त पानी भी मिल जाता है. लेकिन गर्मी में बिना सिंचाई के नहीं लगाया जा सकता है. पिछली बार किसानों ने दूसरे बीज लगाए थे, जिनका औसत उत्पादन काफी कम था. जिन किसानों ने ब्लैक गोल्ड लगाया था, उन्होंने 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ सोयाबीन का उत्पादन दिया है. आमतौर पर फरवरी में किसान सोयाबीन की बुवाई करते हैं और हर 10 से 15 दिन में सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इस तरह फसल के पकने तक 8 से 10 बार सिंचाई करनी होती है एक एकड़ में 35 किलो बीज की बोवनी की जाती है, जो 8 से 10 क्विंटल तक उत्पादन देती है.''

Also Read:

किसानों के लिए गुड न्यूज! गर्मी में सोयाबीन खेती का सफल प्रयोग, सिंचाई के जरिए अच्छा उत्पादन ले सकेंगे अन्नदाता

खरबूजा की खेती से किसान मालामाल, 11वीं क्लास तक पढ़ा युवा हर तीन माह में कमा रहा लाखों रुपये - Muskmelon Millionaire Farmer

Mallika Alphonso Mango: अल्फांसो, दशहरी को टक्कर दे रही आम प्रेमियों की 'मल्लिका', स्वाद कर रहा मालामाल

क्या कहते हैं जानकार

कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि ''सागर जिले में देखा गया है कि जायद की फसलों का रकबा लगातार बढ़ रहा है. इस साल लगभग 25 हजार हेक्टेयर में जायद फसलें लगाई गई हैं. पिछले साल तक मूंग और उड़द का रकवा ज्यादा होता था, लेकिन इस बार लोगों ने सोयाबीन भी बड़े पैमाने पर लगाया है. पिछले साल करीब 250 हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल लगाई गई थी. इस साल ये रकबा दोगुना हो गया है और 450 हेक्टेयर के ऊपर किसानों ने सोयाबीन की बुवाई की है. जिन किसानों के पास सिंचाई की साधन है, ड्रिप, स्प्रिंकलर, माइक्रो स्प्रिंकलर जैसी सुविधाएं हैं, वे किसान आसानी से गर्मी में सोयाबीन लगा सकते हैं. खरीफ के मुकाबले उत्पादन थोड़ा काम रहता है. लेकिन सिंचाई सुविधाएं बेहतर होने पर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.''

Last Updated : May 18, 2024, 4:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.