सागर: अफ्रीका से लाए गए चीते कूनो नेशनल पार्क में धीरे-धीरे रम रहे हैं और उनकी आबादी भी बढ़ रही है. मध्य प्रदेश वन विभाग ने पहले से ही तैयारी करके रखी है कि अफ्रीकन चीतों की मध्यप्रदेश में जन्म लेने वाली नयी पीढ़ी को कूनो की जगह दूसरे नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व और अभयारण्य में बसाया जाएगा. इसी कड़ी में मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को बसाने की तैयारी शुरू हो गयी है. इसी सिलसिले में कान्हा नेशनल पार्क से 18 नर और 10 मादा चीतल लाए गए और उन्हें गांधीसागर अभयारण्य के बाड़े वाले इलाके में छोड़ा गया. इसका सीधा मतलब है कि चीतों के यहां आने के पहले उनकी खुराक में कोई कमी नहीं रहे, इस पर काम शुरू हो गया है.
कूनो के अलावा इन जगहों पर बसाए जा सकते हैं चीते
जहां तक अफ्रीकन चीतों की बात करें, तो उनके नामीबियां से यहां लाए जाने के पहले कूनो नेशनल पार्क, गांधी सागर अभयारण्य मंदसौर और नौरादेही अभयारण्य में बसाए जाने को लेकर सर्वे किया गया था. विशेषज्ञों के दलों ने इन तीनों जगहों पर अफ्रीकन चीते बसाए जाने की संभावना पर विचार किया था. मंदसौर का गांधी सागर अभ्यारण्य और सागर का नौरादेही अभयारण्य (टाइगर रिजर्व) भी चीतों को बसाने के लिए उपयुक्त पाया गया था. लेकिन अफ्रीका से आने वाले चीतों को सबसे पहले कूनो नेशनल पार्क में बसाने का फैसला किया गया.
गांधी सागर अभयारण्य में तैयारियां तेज
वनविभाग के सूत्रों की माने तो कूनो के अलावा मंदसौर का गांधी सागर अभयारण्य और नौरादेही टाइगर रिजर्व में भी चीते बसाए जा सकते हैं. लेकिन तय ये किया गया है कि अफ्रीकन चीतों से जो चीते कूनो में जन्म लेंगे, उनको नयी जगह बसाया जाएगा. क्योंकि यहां जन्म लेने वाले चीते यहां की आवोहवा में आसानी से एडजस्ट कर लेगें. इसलिए चीतों को अलग-अलग बसाने की तैयारी पहले से ही की जा रही है. इस कडी में सबसे पहले मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में तैयारियां तेज कर दी गयी हैं.
Also Read: चीतों का नया घर बसाने की तैयारी शुरु, खुराक में मिलेंगे 500 से ज्यादा स्पॉटेड डियर कूनो के बाद मंदसौर में गूंजेगी चीतों की दहाड़, गांधी सागर अभ्यारण्य में विदेशी चीते लाने की तैयारी |
सबसे पहले भोजन की व्यवस्था
माना जा रहा है कि चीतों को बसाने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. मंदसौर गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को बसाने की कड़ी में 18 नर और 10 मादा कुल 28 चीतल छोडे गए हैं. यहां अपनी आबादी बढ़ाने के साथ-साथ भविष्य में चीतों के भोजन बनेंगे. जानकारी के मुताबिक, गांधीसागर अभयारण्य में 1250 चीतल छोड़े जाने की योजना है. जिनमें से अब तक 434 चीतल छोडे़ जा चुके हैं. जिनमें 120 नर और 314 मादा है. इस तरह से चीतों को छोडे़ जाने के पहले 1250 चीतलों को मंदसौर में पहले बसाया जाएगा.
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट ने चीतों की सुरक्षा पर उठाए सवाल
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं कि, ''खुले जंगल के लिए चीता प्रोजेक्ट तैयार किया गया था. कूनो में जब उनको खुला में नहीं रखा गया तो मंदसौर में खुले में रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं. जिन देशों से चीते लाने अनुबंध हुआ है, वह व्यवस्थाओं पर खुश नहीं हैं. कुल मिलाकर चीता प्रोजेक्ट बद इंतजामी की भेंट चढ़ गया है और हकीकत जनता के सामने ना आए, इसके लिए तरह-तरह की बातें की जा रही हैं. जबकि बद इंतजामी के चलते जिन देशों से चीता लाने एग्रीमेंट हुआ है, उन्होंने हाथ पीछे खींच लिए हैं.''
वन मंत्री रामनिवास रावत ने कहा अभी तो यह शुरुआत है
मध्य प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत का कहना है कि, "चीतों को बसाए जाने को लेकर एक विस्तृत योजना पर काम चल रहा है, जो जल्द ही सबके सामने होगी. कूनो में चीतों की आबादी बढ़ रही है और वनविभाग भविष्य की कार्ययोजना की तैयारी में लगा है.''