करनालः हरियाणा के अस्पताल भगवान भरोसे चल रहे हैं. करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ने लेबर पेन से तड़प रही 9 माह की गर्भवती महिला को बाहर निकाल दिया जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. महिला अस्पताल के बाहर दर्द से तड़पती रही, लेकिन डॉक्टरों ने उसे दाखिल नहीं किया. महिला की सास के अनुसार इलाज को लेकर डॉक्टर से कहासुनी हुई. पुलिस को बुलाने पर भी पहले डॉक्टरों ने दाखिल करने से इनकार किया. सिविल लाइन पुलिस के हस्तक्षेप के बाद गर्भवती महिला को दाखिल किया गया.
दर्द से कराहती रही थी गर्भवतीः करनाल के जटपुरा गांव की गर्भवती महिला की सास ने बताया कि उनकी बहू को पहले तरावड़ी के अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां से उसे करनाल रेफर किया गया. गर्भवती महिला के पति ने बताया कि यहां लाने के बावजूद सुबह से कोई फाइल नहीं बनाई गई थी और ना ही इलाज शुरू किया गया. पत्नी दर्द से कराह रही थी. बात करने पर डॉक्टरों ने कहा कि चाहे पुलिस बुला लो या कहीं और ले जाओ, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा. जल्दबाज़ी करोगे तो यहां से जा सकते हो, जिसे बोलना हो, बोल दो, जो करना है कर लो.
महिला की सास ने डायल-112 की टीम को बुलायाः मौके पर पहुंचे एएसआई बिजेंद्र सिंह ने बताया कि "गर्भवती को बाहर निकाले जाने की सूचना मिलने पर वे अस्पताल पहुंचे. डॉक्टरों से रिक्वेस्ट की गई, लेकिन उन्होंने बदसलूकी का आरोप लगाते हुए एडमिट करने से इनकार कर दिया. डॉक्टर ने कहा कि चाहे मरीज को कहीं भी ले जाओ, वो भर्ती नहीं करेंगे. काफी समझाने के बाद महिला को आखिरकार भर्ती किया गया. लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिरकार कैसे एक लेबर पेन से तड़प रही महिला को कोई अस्पताल का स्टाफ बाहर निकाल सकता है. हरियाणा सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने की भरसक कोशिश कर रही है, करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन अस्पताल में मौजूद इस तरह के स्टाफ मनमानी कर रहे हैं और मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. क्या ऐसे स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई होती है या नहीं, ये देखने की बात होगी.