ETV Bharat / state

'घुमंतू जातियों के घरौंदों को उखाड़कर फेंक दिया जाता है, ऐसी कार्रवाई शास्त्री नगर या रामगंज में करके दिखाएं'- निंबाराम - उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी

घुमंतू जाति उत्थान न्यास की ओर से रविवार को घुमंतू महोत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने संबोधन में घुमंतू जातियों के लिए शिक्षा और रोजगार को लेकर बात कही.

घुमंतू महोत्सव
घुमंतू महोत्सव
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 25, 2024, 7:37 PM IST

Updated : Feb 25, 2024, 8:13 PM IST

घुमंतू महोत्सव

जयपुर. 'घुमंतू जाति के लोग शहरी क्षेत्र में कहीं बसते हैं तो उनके घरौंदों को कब्जा बताते हुए उखाड़ फेंक दिया जाता है. ऐसी कार्रवाई शास्त्री नगर या रामगंज में करके दिखाएं.' ये कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम का. रविवार को घुमंतू जाति उत्थान न्यास की ओर से आयोजित घुमंतू महोत्सव में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने ये बात कही. साथ ही कहा कि बिना पहचान पत्र घुमंतू जातियों को चिकित्सा शिक्षा और सरकार की दूसरी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पाता. इस दौरान मौजूद रहीं प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने घुमंतू जातियों के रोजगार को लेकर सरकार के साथ-साथ समाज को साथ आने का आह्वान किया.

स्थाई ठिकाना तभी होगा जब रोजगार होगा : घुमंतू जाति उत्थान न्यास की ओर से घुमंतू जातियों की बस्तियों और छात्रावासों में किए गए कार्यों को समाज के सामने दिखाने के उद्देश्य से रविवार को घुमंतू महोत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम ने कहा कि बिना पहचान पत्र घुमंतू जातियों को सरकार की ओर से मिलने वाली चिकित्सा, शिक्षा और दूसरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता, इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि इनका पहचान पत्र बने. उन्होंने कहा कि राजस्थान में घुमंतू समाज की करीब 33 जातियां हैं, जिनमें अधिकतर एससी और ओबीसी हैं. ये घुमंतू इसलिए हैं क्योंकि घूमते रहते हैं और घूमते इसलिए है क्योंकि इनका कोई ठिकाना नहीं है. स्थाई ठिकाना तभी होगा जब रोजगार होगा.

पढ़ें. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर बोले- दिव्यांग को भगवान मानकर करें सेवा, इन्हें सहानुभूति नहीं, सहारे की जरूरत

खरौंदों को उखाड़ कर फेंक दिया जाता है : उन्होंने कहा कि घुमंतू जातियों को लेकर जो कानून बने हुए थे, उसमें उन्हें जन्मजात अपराधी घोषित किया हुआ था. यदि किसी के घर में कोई बच्चा जन्म ले रहा है तो उन्हें पुलिस प्रशासन को सूचित करना होता था. कहीं भी कोई लूटपाट या अनैतिक घटना होती थी, तो शक के आधार पर इन्हीं पर कार्रवाई की जाती थी. ये दौर 1871 से 1952 तक चला. आज भी ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा हो रहा है. इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ये कहीं बसते हैं तो इनके खरौंदों को उखाड़ कर फेंक दिया जाता है और कहा जाता है कि ये तो कब्जा है. ऐसी कार्रवाई कोई शास्त्री नगर या रामगंज में करके दिखाएं.

समाज को भी भागीदारी निभानी होगी : इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि सरकार और समाज को घुमंतू जाति के उत्थान और इसे आगे बढ़ाने के लिए साथ आना होगा. इसमें ठोस कदम उठाते हुए सबसे पहले इन जाति के लोगों तक शिक्षा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे. पहले प्राथमिकता पर इन घुमंतू जाति के परिवारों के आधार कार्ड, राशन कार्ड या अन्य पहचान पत्र तैयार करने का कार्य किया जा रहा है. इसके बाद इन्हें मुख्य धारा से जोड़ते हुए शिक्षा के जरिए अच्छे संस्कार देते हुए रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जल्द कोई योजना भी लाई जाएगी. इस प्रयास में समाज को भी अपनी भागीदारी निभानी होगी. इस दौरान उन्होंने कहा कि घुमंतू जातियां जो पारंपरिक कार्य करती आ रहीं हैं, उन्हें लोग भूलते जा रहे हैं. उसकी जगह प्लास्टिक उत्पादों को काम में ले रहे हैं, जिससे पर्यावरण को भी हानि हो रही है. यदि घुमंतू जातियों को आगे बढ़ाना है तो उनके उत्पादों को भी आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.

पढ़ें. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मेंटली रिटायर्ड व्यक्ति से की पूर्ववर्ती सरकार की तुलना, जानिए पूरी घटना

मुख्य धारा में लाने का काम किया जा रहा : कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सालासर धाम के पं. विष्णु पुजारी ने बताया कि घुमंतू जातियों को समाज के पिछड़ेपन से बाहर निकाल कर मुख्य धारा में लाने का काम किया जा रहा है. आज के इस युग में राम राज्य के स्थापना की बात की जा रही है, तो इन्हें भी सरकार से मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिलें. इसके लिए सबसे पहले इनके आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी, चिकित्सा, शिक्षा, भोजन और सबसे महत्वपूर्ण रोजगार उपलब्ध होना चाहिए, ताकि ये स्वावलंबी बन सकें.

इस दौरान घुमंतू समाज के लिए सहयोग करने वाले भामाशाहों को सम्मानित भी किया गया. साथ ही छात्रावास और संस्कार केंद्रों में दिए जाने वाली शिक्षा को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदर्शित भी किया गया. घुमंतू महोत्सव को लेकर जयपुर महानगर के घुमंतू कार्य संयोजक राकेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने घुमंतू जाति उत्थान न्यास गतिविधि की शुरुआत की. इन जातियों के बच्चों को बाल संस्कार केंद्र, स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा शिविर और आरोग्य पेटी, धर्म संस्कृति से जोड़ते हुए घुमंतू पुजारी और राजस्थान में 13 छात्रावास संचालित कर रखे हैं. यहां चरित्र निर्माण और शिक्षा संस्कार का काम किया जा रहा है.

घुमंतू महोत्सव

जयपुर. 'घुमंतू जाति के लोग शहरी क्षेत्र में कहीं बसते हैं तो उनके घरौंदों को कब्जा बताते हुए उखाड़ फेंक दिया जाता है. ऐसी कार्रवाई शास्त्री नगर या रामगंज में करके दिखाएं.' ये कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम का. रविवार को घुमंतू जाति उत्थान न्यास की ओर से आयोजित घुमंतू महोत्सव में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने ये बात कही. साथ ही कहा कि बिना पहचान पत्र घुमंतू जातियों को चिकित्सा शिक्षा और सरकार की दूसरी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पाता. इस दौरान मौजूद रहीं प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने घुमंतू जातियों के रोजगार को लेकर सरकार के साथ-साथ समाज को साथ आने का आह्वान किया.

स्थाई ठिकाना तभी होगा जब रोजगार होगा : घुमंतू जाति उत्थान न्यास की ओर से घुमंतू जातियों की बस्तियों और छात्रावासों में किए गए कार्यों को समाज के सामने दिखाने के उद्देश्य से रविवार को घुमंतू महोत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम ने कहा कि बिना पहचान पत्र घुमंतू जातियों को सरकार की ओर से मिलने वाली चिकित्सा, शिक्षा और दूसरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता, इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि इनका पहचान पत्र बने. उन्होंने कहा कि राजस्थान में घुमंतू समाज की करीब 33 जातियां हैं, जिनमें अधिकतर एससी और ओबीसी हैं. ये घुमंतू इसलिए हैं क्योंकि घूमते रहते हैं और घूमते इसलिए है क्योंकि इनका कोई ठिकाना नहीं है. स्थाई ठिकाना तभी होगा जब रोजगार होगा.

पढ़ें. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर बोले- दिव्यांग को भगवान मानकर करें सेवा, इन्हें सहानुभूति नहीं, सहारे की जरूरत

खरौंदों को उखाड़ कर फेंक दिया जाता है : उन्होंने कहा कि घुमंतू जातियों को लेकर जो कानून बने हुए थे, उसमें उन्हें जन्मजात अपराधी घोषित किया हुआ था. यदि किसी के घर में कोई बच्चा जन्म ले रहा है तो उन्हें पुलिस प्रशासन को सूचित करना होता था. कहीं भी कोई लूटपाट या अनैतिक घटना होती थी, तो शक के आधार पर इन्हीं पर कार्रवाई की जाती थी. ये दौर 1871 से 1952 तक चला. आज भी ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा हो रहा है. इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ये कहीं बसते हैं तो इनके खरौंदों को उखाड़ कर फेंक दिया जाता है और कहा जाता है कि ये तो कब्जा है. ऐसी कार्रवाई कोई शास्त्री नगर या रामगंज में करके दिखाएं.

समाज को भी भागीदारी निभानी होगी : इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि सरकार और समाज को घुमंतू जाति के उत्थान और इसे आगे बढ़ाने के लिए साथ आना होगा. इसमें ठोस कदम उठाते हुए सबसे पहले इन जाति के लोगों तक शिक्षा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे. पहले प्राथमिकता पर इन घुमंतू जाति के परिवारों के आधार कार्ड, राशन कार्ड या अन्य पहचान पत्र तैयार करने का कार्य किया जा रहा है. इसके बाद इन्हें मुख्य धारा से जोड़ते हुए शिक्षा के जरिए अच्छे संस्कार देते हुए रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जल्द कोई योजना भी लाई जाएगी. इस प्रयास में समाज को भी अपनी भागीदारी निभानी होगी. इस दौरान उन्होंने कहा कि घुमंतू जातियां जो पारंपरिक कार्य करती आ रहीं हैं, उन्हें लोग भूलते जा रहे हैं. उसकी जगह प्लास्टिक उत्पादों को काम में ले रहे हैं, जिससे पर्यावरण को भी हानि हो रही है. यदि घुमंतू जातियों को आगे बढ़ाना है तो उनके उत्पादों को भी आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.

पढ़ें. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मेंटली रिटायर्ड व्यक्ति से की पूर्ववर्ती सरकार की तुलना, जानिए पूरी घटना

मुख्य धारा में लाने का काम किया जा रहा : कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सालासर धाम के पं. विष्णु पुजारी ने बताया कि घुमंतू जातियों को समाज के पिछड़ेपन से बाहर निकाल कर मुख्य धारा में लाने का काम किया जा रहा है. आज के इस युग में राम राज्य के स्थापना की बात की जा रही है, तो इन्हें भी सरकार से मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिलें. इसके लिए सबसे पहले इनके आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी, चिकित्सा, शिक्षा, भोजन और सबसे महत्वपूर्ण रोजगार उपलब्ध होना चाहिए, ताकि ये स्वावलंबी बन सकें.

इस दौरान घुमंतू समाज के लिए सहयोग करने वाले भामाशाहों को सम्मानित भी किया गया. साथ ही छात्रावास और संस्कार केंद्रों में दिए जाने वाली शिक्षा को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदर्शित भी किया गया. घुमंतू महोत्सव को लेकर जयपुर महानगर के घुमंतू कार्य संयोजक राकेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने घुमंतू जाति उत्थान न्यास गतिविधि की शुरुआत की. इन जातियों के बच्चों को बाल संस्कार केंद्र, स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा शिविर और आरोग्य पेटी, धर्म संस्कृति से जोड़ते हुए घुमंतू पुजारी और राजस्थान में 13 छात्रावास संचालित कर रखे हैं. यहां चरित्र निर्माण और शिक्षा संस्कार का काम किया जा रहा है.

Last Updated : Feb 25, 2024, 8:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.