रीवा(राकेश सोनी): ठंड का सीजन आते ही बाजारों में जगह-जगह आपको कई ऐसी दुकान और ठेले दिखाई देंगे, जो अमरूदों से सजे होंगे. यह एक ऐसा फल है जिसे देखते ही किसी के भी मुंह में पानी आ जाए. बूढ़ा हो या जवान हर कोई इस फल का दीवाना है. आज हम बात करने जा रहे है रीवा के फल अनुसंधान केंद्र में उत्पादित किए जा रहे अमरूदों के 80 वैरायटियों में से एक "धारीदार अमरूद" है, जिसके टेस्ट की बात ही अलग है.
इस अमरूद की खासियत है कि इसकी मिठास का हर कोई कायल है. इसके साथ ही इसके अंदर के बीज भी अन्य अमरूद की तुलना में काफी मुलायम हैं. इसकी सबसे बड़ी पहचान है कि इसके बाहरी भाग में 6 धारियां होती हैं. जिसके कारण इस फल को धारीदार अमरूद कहा जाता है.
रीवा के खास अमरूद की प्रजाति
रीवा का कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र वैसे आमों के बागीचे के नाम से जाना जाता है. यहां आम्ररपाली, सुंदरजा, दशहरी, लंगड़ा, मल्लिका, बेंगलुरु, चौसा, बॉम्बे ग्रीन जैसे कई किस्म के आमों की वैरायटी उपलब्ध है. लेकिन इस अनुसंधान केंद्र में एक बाग ऐसा भी है, जहां पर अमरूद की 80 से ज्यादा वैरायटियों पर वैज्ञानिकों द्वारा शोध किया जा रहा है. इनमें से एक अमरूद बेहद खास है जिसका नाम धारीदार है.
छत्तीसगढ़ और यूपी में खास डिमांड
रीवा के फल अनुसंधान केंद्र में विकसित हो रहे धारीदार अमरूद की मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में काफी डिमांड है. इसकी मिठास अन्य अमरूदों से अलग होती है. इसकी मिठास के चलते लोग इसके दीवाने हैं. जानकार बताते हैं कि "धारीदार अमरूद का वजन लगभग 200 से 350 ग्राम तक होता है." बता दें कि ठेकेदार किसान आनुसंधान केन्द्र आकर इसकी बोली लगाते हैं. इसके बाद बाजार में ले जाकर 40 से 50 रुपए प्रति किलों में बेचते हैं.
बेहद स्वादिष्ट होता हैं धारीदार अमरूद
कृषि वैज्ञानिक टीके सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि "धारीदार अमरूद रीवा के फल अनुसंधान केंद्र में ही विकसित हुआ है. मध्य प्रदेश बीज उप समिति से इस फल को प्रमाणित भी किया गया है. विंध्य के सतना, अमरपाटन, रायपुर कर्चुलियान में इस अमरूद की अच्छी खासी पैदावार होती है. इस फल के बीज को साल 2000 में पुराने बागों से लिया गया था. इसकी खास बात है कि इसके बीज काफी मुलायम होते हैं."
अनुसंधान केन्द्र में 80 से ज्यादा किस्म के अमरूद
कृषि विज्ञानिक ने बताया कि "रीवा के फल अनुसंधान केन्द्र में 80 से ज्यादा अमरूद की प्रजातियों पर रिसर्च की जा रही है. इनमें देश की जानी मानी प्रजाति जैसे इलाहाबादी सफेदा, धारीदार, चित्तीदार, रीवा 72, सरदार, श्वेता और ललित है. हमारे अनुसंधान केन्द्र में धारीदार के अलावा ऐश्वर्या वैरायटी, ब्लैक जाम है. जिसमें आयरन की मात्रा भरपूर है, जिसके चलते ब्लैक जाम की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है."
7 साल का एक पेड़ प्रतिवर्ष देता है 1 क्विंटल अमरूद
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि "अगर धारीदार अमरूद की बात करें, तो यह यह अमरूद बेहद खास है. इसका स्वाद अन्य अमरूद की तुलना में अलग है. धारीदार अमरूद का एक पेड़ अगर 7 साल का है तो प्रत्येक सीजन में तकरीबन 1 क्विंटल फल आते है. फ्लॉवरिंग से फ्लूटिंग तक इस फल को तैयार होने में तकरीबन 125 दिन का समय लगता है. इसके फल अप्रैल तक चलते हैं, जिसके चलते किसानों को इससे काफी मुनाफा भी होता है."
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धारीदार अमरूद में पाया जाता है 11.05 डिग्री ब्रिक्स TSS
धारीदार अमरूद के फल का TSS यानी की मीठापन 11.05 डिग्री ब्रिक्स होता है. जिसके चलते यह अमरूद सबसे ज्यादा मीठा माना जाता है. वर्तमान में ठंड का सीजन है और इन दिनों धारीदार अमरूद सहित अन्य अमरूदों की काफी डिमांड है. सर्दियों में लोग अमरूद खाना काफी पसंद करते हैं. रीवा के फल अनुसंधान केन्द्र में लगभग 17 एकड़ भूमि में अमरूद का उत्पादन किया जा रहा है. जिसमें 1300 पुराने पौधे हैं, जबकि 740 नए पौधे लगाए गए हैं. हाल में एक साल के लिए 1300 पौधों का ऑक्सन किया गया था. जिससे लगभग 6 लाख 51 हजार रुपये अनुसंधान केन्द्र को प्राप्त हुए थे.