नई दिल्ली/नोएडा: साइबर जालसाजों ने पार्सल में ड्रग्स होने की बात कहकर भारतीय रेलवे के रिटायर्ड जीएम से 52.50 लाख रुपये की ठगी कर ली. 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर जालसाजों ने तीन बार में रिटायर्ड जीएम से खाते में रकम ट्रांसफर कराई. ठगी की जानकारी के बाद पीड़ित ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने में की है. पुलिस ने अज्ञात जालसाजों के खिलाफ आईटी एक्ट और धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
आंतकी गतिविधियों में फंसाने की बात कहकर डराया: पुलिस को दी शिकायत में सेक्टर-76 स्थित आम्रपाली सिलिकॉन सोसाइटी निवासी प्रमोद कुमार ने बताया कि 9 मई को उनके मोबाइल पर एक रिकार्डेड मैसेज आया, जिसमें बताया कि शिकायतकर्ता ने एक पार्सल भेजा है, जो अभी तक डिलीवर नहीं हुआ है. ज्यादा जानकारी के लिए शिकायतकर्ता को मोबाइल पर एक दबाने के लिए बोला गया. ऐसा करने पर कॉल एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर हो गई. उसने कहा कि प्रमोद की ओर से जो पार्सल भेजा गया है, उसे ताइवान कस्टम विभाग ने सीज कर दिया है. उसमें कई आपत्तिजनक सामग्री है.
शिकायतकर्ता ने जब कॉलर से कहा कि उसने ताइवान के लिए कोई पार्सल भेजा ही नहीं है, तो ठगों ने शिकायतकर्ता से उसका आधार और मोबाइल नंबर पूछा. क्रॉस चेक कर ठग ने बताया कि जो पार्सल भेजा गया है, उसमें आधार कार्ड और मोबाइल नंबर शिकायतकर्ता का ही इस्तेमाल किया गया है. पार्सल में सौ ग्राम ड्रग्स, चार किलो कपड़े, चार पासपोर्ट और तीन क्रेडिट कार्ड होने की जानकारी दी गई. इसके बाद मामले की शिकायत करने के लिए कॉलर ने एक नंबर दिया, जो मुंबई क्राइम ब्रांच का बताया गया.
संबंधित नंबर पर जब प्रमोद ने कॉल की तो फोन उठाने वाले व्यक्ति ने मामले से संबंधित सारी जानकारी नोट की और कॉल कुछ समय तक होल्ड करने के लिए कहा. इसके बाद उसने शिकायतकर्ता के मोबाइल पर मुंबई पुलिस का एक आईकार्ड भेजा जो नरेश गुप्ता बनर्जी के नाम से था. इतना सब होने के बाद ठगों ने प्रमोद से कहा कि उसके केवाईसी की डिटेल विभिन्न शहरों के अलग-अलग बैंकों में खाेले गए खाते में इस्तेमाल की गई है. इन खातों का सीधा लिंक मनी लॉड्रिंग केस से है.
दाउद और नवाज मलिक गिरोह से बताया गया संंबंध: बताया गया कि शिकायतकर्ता के बैंक संबंधी डिटेल का प्रयोग जिस मनी लॉड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया है, उसका संबंध दाउद और नवाज मलिक के गिरोह से है. बताया गया कि नवाज मलिक बीते 18 माह से जेल में है. शिकायतकर्ता से जालसाज ने कहा कि अगर उसने इस मामले में सहयोग नहीं किया तो वह बड़ी परेशानी में पड़ने वाला है. इसके बाद शिकायतकर्ता को वीडियो कॉल पर आने के लिए विवश कर दिया गया. वीडियो कॉल में शिकायतकर्ता की फोटो तो साफ दिख रही थी, पर दूसरी तरफ से सिर्फ मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच का लोगो दिख रहा था. इसके बाद ठगों ने तीन बैंक के अकांउट नंबर क्रॉस चेक करने के लिए शिकायतकर्ता को दिए. शिकायतकर्ता ने कहा कि तीनों ही अकाउंट नंबर से उसका कोई वास्ता नहीं है.
24 घंटे तक रखा निगरानी में: इसके बाद शिकायतकर्ता के मूल खाते संबंधी जानकारी ठगों ने ली और मोबाइल पर सीबीआई का एक लेटर भेजा. इसमें लिखा गया है कि इस मामले से संंबंधित जानकारी अगर उसने किसी को दी तो जेल जाने से कोई रोक नहीं पाएगा. इसके बाद शिकायतकर्ता को करीब 24 घंटे में यह कहकर ठगों ने निगरानी में रखा कि इस मामले में वह और उनके करीबी खतरे में पड़ने वाले हैं. आतंकी गतिविधियों और मनी लॉड्रिंग केस से बाहर निकालने में मदद करने की बात कहकर ठगों ने शिकायतकर्ता से बैंक अकाउंट और एफडी सहित अन्य जानकारी ले ली. इन 24 घंटे में पीड़ित को सोने तक का समय नहीं दिया गया.
ऐसे ट्रांसफर कराई गई रकम: ठगों के कहने के मुताबिक, पीड़ित ने अपनी सारी जमा पूंजी और एफडी की रकम उस अकाउंट में ट्रांसफर कर दी, जो ठगों ने उपलब्ध कराया था. पीड़ित ने पहली बार में 22 लाख 50 हजार, दूसरी बार में 26 लाख 50 हजार और तीसरी बार में तीन लाख 50 हजार रुपये की रकम ट्रांसफर की. जब शिकायतकर्ता पर और पैसे ट्रांसफर करने को कहा तो उसे ठगी की आशंका हुई. इसके बाद पीड़ित ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने में की. थाना प्रभारी ने बताया कि प्राथमिक जांच में जो सुराग मिला है, उससे यही प्रतीत हो रहा है कि नाइजीरियन गिरोह के ठगों ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. पुलिस उन खातों की जांच कर रही है, जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है.
ऐसे बचे ठगी से:
- अगर आपने पार्सल में कुछ आपत्तिजनक सामान नहीं भेजा है दो डरे नहीं
- किसी भी अनजान नंबर से आई कॉल पर किसी प्रकार के झांसे में न आएं
- कोई अगर पुलिसकर्मी बनकर पैसे ट्रांसफर करने को कहे तो नजदीकी थाने में सूचना दें
- कॉल करने वाला अगर कस्टम का अधिकारी बताए तो संबंधित विभाग को सूचना दें
- किसी भी झांसे में आकर पैसे ट्रांसफर न करें. न ही बैंक संबंधी जानकारी दें
- अनजान व्यक्ति अगर कोई लिंक या एप डाउनलोड करने को कहे तो तुरंत मना कर दें.
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट: कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई शब्द एक्जिस्ट नहीं करता. यह एक फ्रॉड करने का तरीका है, जो साइबर ठग अपनाते हैं. इसका सीधा मतलब होता है, ब्लैकमेलिंग से, यानी इसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है. डिजिटल अरेस्ट में कोई आपको वीडियो कॉलिंग के जरिए घर में बंधक बना लेता है. वह आप पर हर वक्त नजर रख रहा होता है. डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बताकर आपको वीडियो कॉल करते हैं. वह आपको कहते हैं कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ है.