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अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग, रायपुर में रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने खोला मोर्चा - RETIRED BRIGADIER PRADEEP YADU

रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर रायपुर में मशाल जलाई है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

RETIRED BRIGADIER PRADEEP YADU
अहीर सैनिकों की शहादत को नमन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 18, 2024, 10:13 PM IST

रायपुर: 18 नवंबर 1962 को 114 अहीर सैनिकों की शहादत हुई थी. इन सैनिकों को मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने रायपुर में याद किया. कैंडल जलाकर वीर सैनिकों की शहादत को नमन किया. इसके साथ ही रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने देश में अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग की. रायपुर के कौशल यादव चौक पर वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई. इस अवसर पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने मशाल जलाकर अहीर रेजीमेंट की मांग को बुलंद किया.

अहीर सैनिकों की हुई थी शहादत: 18 नवंबर1962 में रेजांगला के युद्ध के दौरान शहीद हुए 114 अहीर जवानों को याद किया गया. इस दौरान कैंडल जलाकर लोगों ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी, साथ ही मशाल जलाकर अहीर रेजीमेंट की मांग की. अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने बताया कि 18 नवंबर 1962 एक ऐतिहासिक दिन है. इस दिन शूरवीर ,वीर अहीर , जिन्होंने देश की सीमा की रक्षा की खातिर खतरनाक हालात में चीन के सैनिकों को टक्कर दी. इस दौरान उनसे मुकाबला करते हुए हमारे 114 जवानों ने शहादत दी. उनकी कुर्बानी को हमारा देश सदैव याद रखेगा.

अहीर रेजिमेंट की मांग तेज (ETV BHARAT)

अहीर रेजिमेंट की मांग हम लंबे समय से करते आ रहे हैं लेकिन इस पर अब तक किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है.आजादी के पहले अंग्रेजों ने अहीरों को बागी कौम का दर्जा दिया था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि 1857 का गदर मेरठ की छावनी से शुरू हुआ था. उसके बाद यह धीरे धीरे पूरे देश में फैलता गया. इस विद्रोह के चार मुख्य सूत्रधार थे जिनमें से दो अहीर थे; राव तुलाराम यादव तथा राव कृष्ण गोपाल यादव जिनके चलते यादवों को अंग्रेजों ने बागी कौम घोषित कर दिया. अंग्रेजों ने अनेक जातिगत और क्षेत्रगत रेजिमेंटों का गठन किया पर अहीर रेजिमेंट नहीं बनाई: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु, मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक

"प्रथम विश्व युद्ध में अहीर सैनिकों ने दी शहादत": रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने दावा किया कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में 74,000 भारतीय सैनिकों को शहादत मिली. इन सैनिकों में 7,500 से ज्यादा अहीर थे. उसके बाद साल 1924 में अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा का गठन हुआ. इस सभा ने अहीर रेजीमेंट की स्थापना का जिम्मा उठाया. उसके बाद सेकेंड वर्ल्ड वॉर में 87000 भारतीय सैनिक शहीद हुए. जिसमें 9000 से ज्यादा अहीर थे. इस युद्ध में अंग्रेजों ने 18 भारतीय सैनिकों को तत्कालीन सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया था. जिसमें तीन सैनिक अहीर थे. इन्हें विक्टोरिया क्रॉस तथा जॉर्ज क्रॉस दिया गया था.

"अंग्रेजों ने दोबारा अहीरों को बागी कौम में डाला": इस मुद्दे पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने कई अहम जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 1941-42 में करीब 40,000 भारतीय सैनिकों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद सेना को ज्वाइन किया. इसमें हजारों की संख्या में अहीर सैनिक थे. उसके बाद एक बार फिर अंग्रेजों ने अहीरों को बागी कौम की संज्ञा दे डाली. आजादी के बाद यादव समाज ने लगातार अहीर रेजिमेंट की मांग की. रीजनीति और अलग अलग समीकरणों के बीच इस मांग को बारी बारी से उलझाया गया.

देश में अबीरों कितनी आबादी?: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने बताया कि देश की कुल आबादी में 20 फीसदी से ज्यादा आबादी अहीरों की है. भारतीय सेना में 14 प्रतिशत से ज्यादा सेवारत अहीर सैनिक हैं. अहीरों के पास स्वतंत्रता के पहले तथा उसके बाद के सभी सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ( विक्टोरिया क्रॉस, जॉर्ज क्रॉस, मिलिट्री क्रॉस, परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र) सभी पुरस्कार हैं. देश में मात्र दो महिलाओं को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाज़ा गया है और उनमें से एक अहीर हैं. कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी यादव जो 2001 में संसद पर हुये आतंकवादी हमले में शहीद हुईं थीं.

आज अहीर अन्य जातिगत तथा क्षेत्रगत रेजिमेंटों में सेवारत हैं. उसके बावजूद अहीर रेजिमेंट नहीं है. जो अहीर का अधिकार है. ये अहीरों के मान-सम्मान का मुद्दा है. चंद राजनेता अहीर रेजिमेंट को जातिवाद को बढ़ावा देने की बात कहते हैं, जो सरासर झूठ है. अहीर रेजिमेंट में अन्य जातियों के युवा भी सेवारत होंगे जैसे आज अहीर सैनिक, अन्य रेजिमेंट में सेवारत हैं.: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु, मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक

हमने केंद्र सरकार के मंत्री राजनाथ सिंह से बात की उन्होंने अहीर रेजिमेंट बनाने से साफ मना कर कर दिया. इसके बावजूद विपक्ष की जितनी पार्टी है उन्होंने सभी ने इसका समर्थन किया है, कि जब केंद्र में सरकार बदलेगी, तो अहीर रेजिमेंट बनेगी. यह मेरी व्यक्तिगत मांग नहीं है, पूरे देश के यादव समाज के मान सम्मान का मुद्दा है. उन विधवाओं का मुद्दा है जिन्होंने अपने पति की शहादत दी है , उन मां-बाप का मुद्दा जिन्होंने अपने बेटे को देश के लिए न्योछावर किया है. उन बच्चों का मुद्दा है जिन्होंने अपने पापा को खोया है . यह हमारे मान सम्मान का मुद्दा है: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु, मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक

कैसे समाज अहीर रेजिमेंट की मांग करेगा?: कैसे अहीर रेजिमेंट की मांग की जाएगी इस सवाल के जवाब में रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने कहा कि आप मेरिट में आइये. कुछ नेता कहते हैं कि अहीर रेजिमेंट बनने से जातिवाद होगा, यह झूठ है. आज 15 परसेंट अहीर सैनिक भारतीय सेवा में दूसरी रेजिमेंट में है. जब अहीर रेजिमेंट बन जाएगी , तो दूसरी कौम के युवा भी हमारी रेजिमेंट में काम करेंगे हैं. जैसे आज अहीर सैनिक दूसरी रेजिमेंट में काम कर रहे हैं.

प्रदीप यदु ने कहा कि हम इस मांग को धीरे धीरे जहां पहुंचाना है वहां पहुंचाएंगे. जब तक केंद्र में सरकार का परिवर्तन नहीं होगा तब तक अहीर रेजिमेंट नहीं बनेगा. इसके बावजूद भी हम इस मुहिम को मंजिल तक पहुंचाने में लगे हैं.

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रायपुर: 18 नवंबर 1962 को 114 अहीर सैनिकों की शहादत हुई थी. इन सैनिकों को मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने रायपुर में याद किया. कैंडल जलाकर वीर सैनिकों की शहादत को नमन किया. इसके साथ ही रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने देश में अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग की. रायपुर के कौशल यादव चौक पर वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई. इस अवसर पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने मशाल जलाकर अहीर रेजीमेंट की मांग को बुलंद किया.

अहीर सैनिकों की हुई थी शहादत: 18 नवंबर1962 में रेजांगला के युद्ध के दौरान शहीद हुए 114 अहीर जवानों को याद किया गया. इस दौरान कैंडल जलाकर लोगों ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी, साथ ही मशाल जलाकर अहीर रेजीमेंट की मांग की. अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने बताया कि 18 नवंबर 1962 एक ऐतिहासिक दिन है. इस दिन शूरवीर ,वीर अहीर , जिन्होंने देश की सीमा की रक्षा की खातिर खतरनाक हालात में चीन के सैनिकों को टक्कर दी. इस दौरान उनसे मुकाबला करते हुए हमारे 114 जवानों ने शहादत दी. उनकी कुर्बानी को हमारा देश सदैव याद रखेगा.

अहीर रेजिमेंट की मांग तेज (ETV BHARAT)

अहीर रेजिमेंट की मांग हम लंबे समय से करते आ रहे हैं लेकिन इस पर अब तक किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है.आजादी के पहले अंग्रेजों ने अहीरों को बागी कौम का दर्जा दिया था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि 1857 का गदर मेरठ की छावनी से शुरू हुआ था. उसके बाद यह धीरे धीरे पूरे देश में फैलता गया. इस विद्रोह के चार मुख्य सूत्रधार थे जिनमें से दो अहीर थे; राव तुलाराम यादव तथा राव कृष्ण गोपाल यादव जिनके चलते यादवों को अंग्रेजों ने बागी कौम घोषित कर दिया. अंग्रेजों ने अनेक जातिगत और क्षेत्रगत रेजिमेंटों का गठन किया पर अहीर रेजिमेंट नहीं बनाई: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु, मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक

"प्रथम विश्व युद्ध में अहीर सैनिकों ने दी शहादत": रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने दावा किया कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में 74,000 भारतीय सैनिकों को शहादत मिली. इन सैनिकों में 7,500 से ज्यादा अहीर थे. उसके बाद साल 1924 में अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा का गठन हुआ. इस सभा ने अहीर रेजीमेंट की स्थापना का जिम्मा उठाया. उसके बाद सेकेंड वर्ल्ड वॉर में 87000 भारतीय सैनिक शहीद हुए. जिसमें 9000 से ज्यादा अहीर थे. इस युद्ध में अंग्रेजों ने 18 भारतीय सैनिकों को तत्कालीन सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया था. जिसमें तीन सैनिक अहीर थे. इन्हें विक्टोरिया क्रॉस तथा जॉर्ज क्रॉस दिया गया था.

"अंग्रेजों ने दोबारा अहीरों को बागी कौम में डाला": इस मुद्दे पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने कई अहम जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 1941-42 में करीब 40,000 भारतीय सैनिकों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद सेना को ज्वाइन किया. इसमें हजारों की संख्या में अहीर सैनिक थे. उसके बाद एक बार फिर अंग्रेजों ने अहीरों को बागी कौम की संज्ञा दे डाली. आजादी के बाद यादव समाज ने लगातार अहीर रेजिमेंट की मांग की. रीजनीति और अलग अलग समीकरणों के बीच इस मांग को बारी बारी से उलझाया गया.

देश में अबीरों कितनी आबादी?: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने बताया कि देश की कुल आबादी में 20 फीसदी से ज्यादा आबादी अहीरों की है. भारतीय सेना में 14 प्रतिशत से ज्यादा सेवारत अहीर सैनिक हैं. अहीरों के पास स्वतंत्रता के पहले तथा उसके बाद के सभी सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ( विक्टोरिया क्रॉस, जॉर्ज क्रॉस, मिलिट्री क्रॉस, परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र) सभी पुरस्कार हैं. देश में मात्र दो महिलाओं को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाज़ा गया है और उनमें से एक अहीर हैं. कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी यादव जो 2001 में संसद पर हुये आतंकवादी हमले में शहीद हुईं थीं.

आज अहीर अन्य जातिगत तथा क्षेत्रगत रेजिमेंटों में सेवारत हैं. उसके बावजूद अहीर रेजिमेंट नहीं है. जो अहीर का अधिकार है. ये अहीरों के मान-सम्मान का मुद्दा है. चंद राजनेता अहीर रेजिमेंट को जातिवाद को बढ़ावा देने की बात कहते हैं, जो सरासर झूठ है. अहीर रेजिमेंट में अन्य जातियों के युवा भी सेवारत होंगे जैसे आज अहीर सैनिक, अन्य रेजिमेंट में सेवारत हैं.: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु, मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक

हमने केंद्र सरकार के मंत्री राजनाथ सिंह से बात की उन्होंने अहीर रेजिमेंट बनाने से साफ मना कर कर दिया. इसके बावजूद विपक्ष की जितनी पार्टी है उन्होंने सभी ने इसका समर्थन किया है, कि जब केंद्र में सरकार बदलेगी, तो अहीर रेजिमेंट बनेगी. यह मेरी व्यक्तिगत मांग नहीं है, पूरे देश के यादव समाज के मान सम्मान का मुद्दा है. उन विधवाओं का मुद्दा है जिन्होंने अपने पति की शहादत दी है , उन मां-बाप का मुद्दा जिन्होंने अपने बेटे को देश के लिए न्योछावर किया है. उन बच्चों का मुद्दा है जिन्होंने अपने पापा को खोया है . यह हमारे मान सम्मान का मुद्दा है: रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु, मिशन अहीर रेजिमेंट के राष्ट्रीय संयोजक

कैसे समाज अहीर रेजिमेंट की मांग करेगा?: कैसे अहीर रेजिमेंट की मांग की जाएगी इस सवाल के जवाब में रिटायर्ड ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने कहा कि आप मेरिट में आइये. कुछ नेता कहते हैं कि अहीर रेजिमेंट बनने से जातिवाद होगा, यह झूठ है. आज 15 परसेंट अहीर सैनिक भारतीय सेवा में दूसरी रेजिमेंट में है. जब अहीर रेजिमेंट बन जाएगी , तो दूसरी कौम के युवा भी हमारी रेजिमेंट में काम करेंगे हैं. जैसे आज अहीर सैनिक दूसरी रेजिमेंट में काम कर रहे हैं.

प्रदीप यदु ने कहा कि हम इस मांग को धीरे धीरे जहां पहुंचाना है वहां पहुंचाएंगे. जब तक केंद्र में सरकार का परिवर्तन नहीं होगा तब तक अहीर रेजिमेंट नहीं बनेगा. इसके बावजूद भी हम इस मुहिम को मंजिल तक पहुंचाने में लगे हैं.

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