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DTC बस मार्शलों की बहाली पर सियासी बवाल, जानिए क्या है समाधान की संभावनाएं - Delhi bus marshals reinstatement - DELHI BUS MARSHALS REINSTATEMENT

DTC bus marshals: दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से सेवानिवृत डिप्टी कमिश्नर अनिल छिकारा ने बस मार्शलों के मुद्दे पर अपनी राय प्रस्तुत की है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 5, 2024, 2:19 PM IST

Updated : Oct 5, 2024, 3:52 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) की बसों में 10 हजार मार्शलों की बहाली का मुद्दा इन दिनों गरम है. लंबे समय से इस बहाली की मांग को लेकर बस मार्शल प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) इस मुद्दे पर लगातार उपराज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने में जुटी हुई है. यह सियासत केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम परिवहन से जुड़े सुरक्षा और सेवाओं के मुद्दे से भी जुड़ी हुई है.

बस मार्शल की भूमिकाएं और उनकी जरूरत: बस मार्शल की भूमिका यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, बसों के अंदर व्यवस्था बनाए रखने और अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए होती है. हालांकि, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन मार्शलों की नियुक्ति गृह विभाग से होती है, तो ही समस्या का समाधान संभव हो पाएगा.

अनिल छिकारा की चिंताएं: दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से सेवानिवृत डिप्टी कमिश्नर अनिल छिकारा ने इस मामले में अपनी राय प्रस्तुत की है. उनका कहना है कि डीटीसी में रखे गए बस मार्शलों के लिए अलग से बजट नहीं आता है. इनका वेतन 20 से 22 हजार रुपये प्रति माह होता है, जो कि रोड सेफ्टी के बजट से दी जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि पब्लिक वेलफेयर के लिए जो पैसा रखा गया था, वह अब बस मार्शल को वेतन देने में खर्च हो रहा है.

विकल्प और समाधान: अनिल छिकारा के अनुसार, यदि बस मार्शल को सिविल डिफेंस से जोड़ा जाए और उन्हें दिल्ली सरकार के होम डिपार्टमेंट की ओर से प्रॉपर चैनल के तहत नियुक्त किया जाए, तो यह भविष्य में विवादों को रोकने में सहायक हो सकता है. हालांकि, इससे पहले भी दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच समझौता होना चाहिए ताकि स्थिति में सुधार हो सके.

यह भी पढ़ें- दिल्ली में बस मार्शलों की बहाली पर CM आतिशी से मिले बीजेपी विधायक

उन्होंने सुझाव दिया कि बस मार्शल को बस स्टैंड पर तैनात करना अधिक सुविधाजनक हो सकता है. इससे ना केवल बस स्टैंड पर अव्यवस्था कम होगी, बल्कि बसों के अंदर भी यात्रियों के लिए अतिरिक्त जगह उपलब्ध होगी. इसके अलावा, डीटीसी की बसों में पाए जाने वाले पैनिक बटन से भी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, जिससे मार्शलों की जरूरत घट सकती है.

यह भी पढ़ें- सरकार ने नहीं सुनी तो कोर्ट की शरण में पहुंचे डीटीसी के संविदा कर्मचारी, लगाए गंभीर आरोप

डीटीसी बस मार्शल की बहाली का मुद्दा केवल सियासी विवाद नहीं है, बल्कि यह दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की सुरक्षा और सिस्टम के सुधार से जुड़ा हुआ है. समाज के सभी हिस्सों को मिलकर काम करना होगा ताकि इस संवेदनशील मुद्दे का सही समाधान निकाला जा सके. अनिल छिकारा के सुझाव और सरकारी प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता इस बात का संकेत है कि समाधान ढूंढने के लिए कई स्तरों पर उपाय किए जाने की आवश्यकता है. दिल्लीवासियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.

यह भी पढ़ें- LG आवास के बाहर पूर्व बस मार्शलों का प्रदर्शन, मंत्री सौरभ भारद्वाज हिरासत में

नई दिल्ली: दिल्ली में डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) की बसों में 10 हजार मार्शलों की बहाली का मुद्दा इन दिनों गरम है. लंबे समय से इस बहाली की मांग को लेकर बस मार्शल प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) इस मुद्दे पर लगातार उपराज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने में जुटी हुई है. यह सियासत केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम परिवहन से जुड़े सुरक्षा और सेवाओं के मुद्दे से भी जुड़ी हुई है.

बस मार्शल की भूमिकाएं और उनकी जरूरत: बस मार्शल की भूमिका यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, बसों के अंदर व्यवस्था बनाए रखने और अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए होती है. हालांकि, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन मार्शलों की नियुक्ति गृह विभाग से होती है, तो ही समस्या का समाधान संभव हो पाएगा.

अनिल छिकारा की चिंताएं: दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से सेवानिवृत डिप्टी कमिश्नर अनिल छिकारा ने इस मामले में अपनी राय प्रस्तुत की है. उनका कहना है कि डीटीसी में रखे गए बस मार्शलों के लिए अलग से बजट नहीं आता है. इनका वेतन 20 से 22 हजार रुपये प्रति माह होता है, जो कि रोड सेफ्टी के बजट से दी जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि पब्लिक वेलफेयर के लिए जो पैसा रखा गया था, वह अब बस मार्शल को वेतन देने में खर्च हो रहा है.

विकल्प और समाधान: अनिल छिकारा के अनुसार, यदि बस मार्शल को सिविल डिफेंस से जोड़ा जाए और उन्हें दिल्ली सरकार के होम डिपार्टमेंट की ओर से प्रॉपर चैनल के तहत नियुक्त किया जाए, तो यह भविष्य में विवादों को रोकने में सहायक हो सकता है. हालांकि, इससे पहले भी दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच समझौता होना चाहिए ताकि स्थिति में सुधार हो सके.

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उन्होंने सुझाव दिया कि बस मार्शल को बस स्टैंड पर तैनात करना अधिक सुविधाजनक हो सकता है. इससे ना केवल बस स्टैंड पर अव्यवस्था कम होगी, बल्कि बसों के अंदर भी यात्रियों के लिए अतिरिक्त जगह उपलब्ध होगी. इसके अलावा, डीटीसी की बसों में पाए जाने वाले पैनिक बटन से भी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, जिससे मार्शलों की जरूरत घट सकती है.

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डीटीसी बस मार्शल की बहाली का मुद्दा केवल सियासी विवाद नहीं है, बल्कि यह दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की सुरक्षा और सिस्टम के सुधार से जुड़ा हुआ है. समाज के सभी हिस्सों को मिलकर काम करना होगा ताकि इस संवेदनशील मुद्दे का सही समाधान निकाला जा सके. अनिल छिकारा के सुझाव और सरकारी प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता इस बात का संकेत है कि समाधान ढूंढने के लिए कई स्तरों पर उपाय किए जाने की आवश्यकता है. दिल्लीवासियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.

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Last Updated : Oct 5, 2024, 3:52 PM IST
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