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हरियाणा के राखीगढ़ी में मिले 10 हजार साल पुरानी नदी के अवशेष, कार्बन डेटिंग में हुआ खुलासा - 10 हजार साल पुरानी नदी के अवशेष

हिसार के हड़प्पा कालीन सभ्यता स्थल नारनौंद और राखीगढ़ी में 10 हजार साल पुरानी एक नदी के अवशेष पाए गए हैं.

RAKHIGARHI OF HISAR
10 हजार साल पुरानी नदी के अवशेष (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 2, 2024, 4:33 PM IST

Updated : Dec 2, 2024, 4:53 PM IST

हिसार: हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर आइकॉनिक साइट राखीगढ़ी में टीला नंबर सात पर दस हजार वर्ष पुरानी नदी के अवशेष पाए गए हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली के अपर महानिदेशक डॉक्टर संजय मंजुल ने बताया कि अवशेषों की कार्बन डेटिंग में सामने आया है कि 5 हजार वर्ष पहले यह नदी सूख गई थी. इस पर बड़े पैमाने पर काम करके पता लगाया जा रहा है कि नदी सूखने के बाद पानी का संरक्षण किस तरह किया जाता था और फसले कैसे पकाई जाती थी. इसके लिए गहरा मंथन किया जा रहा है. इस नदी का प्रयोग बड़े पैमाने पर व्यापार करने के लिए भी किया जाता था.

कार्बन डेटिंग में हुआ खुलासा : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली और जुलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मिलकर ये अवशेष ढूंढे हैं. दोनों टीम ने संयुक्त तरीके से चार अलग-अलग जगहों से करीब 8 मीटर गहराई में सैंपल लिए थे. इस सूखी नदी के बालू के सैंपल लेकर फरीदाबाद की एक लैब में भिजवाए गए, और यहां उसकी कार्बन डेटिंग करवाई गई तो पता चला कि 10 हजार वर्ष पहले यहां नदी थी और इस नदी में पानी भी था. इस नदी का प्रयोग व्यापार करने के लिए भी किया जाता था. नदी में सामानों को एक किनारे से दूसरे किनारे नाव के जरिए भेजा भी जाता था.

पानी के टैंक भी मिले : उन्होंने बताया कि जब यह नदी सूख रही थी तो उस समय लोगों ने पानी का प्रबंध कैसे किया होगा, इस पर पुरातत्व विभाग की तरफ से खोज की जा रही है. इस बीच करीब साढ़े पांच हजार वर्ष पहले इस नदी का पानी सूख गया था. खुदाई के दौरान यह भी सामने आया कि पानी संरक्षण करने के लिए उस समय लोगों ने टैंक बनाए हुए थे और बड़े बर्तनों में भी पानी को स्टोर किया जाता था.

इसे भी पढ़ें : हरियाणा: राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान मिला 7000 साल पुराना हड़प्पा कालीन शहर, कंकाल और गहने भी मिले

हिसार: हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर आइकॉनिक साइट राखीगढ़ी में टीला नंबर सात पर दस हजार वर्ष पुरानी नदी के अवशेष पाए गए हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली के अपर महानिदेशक डॉक्टर संजय मंजुल ने बताया कि अवशेषों की कार्बन डेटिंग में सामने आया है कि 5 हजार वर्ष पहले यह नदी सूख गई थी. इस पर बड़े पैमाने पर काम करके पता लगाया जा रहा है कि नदी सूखने के बाद पानी का संरक्षण किस तरह किया जाता था और फसले कैसे पकाई जाती थी. इसके लिए गहरा मंथन किया जा रहा है. इस नदी का प्रयोग बड़े पैमाने पर व्यापार करने के लिए भी किया जाता था.

कार्बन डेटिंग में हुआ खुलासा : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली और जुलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मिलकर ये अवशेष ढूंढे हैं. दोनों टीम ने संयुक्त तरीके से चार अलग-अलग जगहों से करीब 8 मीटर गहराई में सैंपल लिए थे. इस सूखी नदी के बालू के सैंपल लेकर फरीदाबाद की एक लैब में भिजवाए गए, और यहां उसकी कार्बन डेटिंग करवाई गई तो पता चला कि 10 हजार वर्ष पहले यहां नदी थी और इस नदी में पानी भी था. इस नदी का प्रयोग व्यापार करने के लिए भी किया जाता था. नदी में सामानों को एक किनारे से दूसरे किनारे नाव के जरिए भेजा भी जाता था.

पानी के टैंक भी मिले : उन्होंने बताया कि जब यह नदी सूख रही थी तो उस समय लोगों ने पानी का प्रबंध कैसे किया होगा, इस पर पुरातत्व विभाग की तरफ से खोज की जा रही है. इस बीच करीब साढ़े पांच हजार वर्ष पहले इस नदी का पानी सूख गया था. खुदाई के दौरान यह भी सामने आया कि पानी संरक्षण करने के लिए उस समय लोगों ने टैंक बनाए हुए थे और बड़े बर्तनों में भी पानी को स्टोर किया जाता था.

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Last Updated : Dec 2, 2024, 4:53 PM IST
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