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मुहमांगी सोयाबीन MSP का इफेक्ट? कैलक्यूलेशन देख किसानों ने खुद तबाह की फसल

मौसम की दोहरी मार से सोयाबीन की पैदावार प्रभावित हुई है. निराश किसान खेत में खड़ी फसल को नष्ट कर दे रहे हैं.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 46 minutes ago

RATLAM SOYBEAN PRODUCTION AFFECTED
रतलाम में सोयाबीन किसान ने नष्ट कर दी खड़ी फसल (ETV Bharat)

रतलाम: सोयाबीन की फसल पर मौसम की दोहरी मार के बाद बची फसल के उचित दाम न मिलने से किसान परेशान हैं. सोयाबीन किसान अब खेत में खड़ी फसल को ही नष्ट करने पर आ गए हैं. ताजा मामला बड़ावदा क्षेत्र के सामने आया है. यहां एक किसान ने अपनी सोयाबीन की खड़ी फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया. किसान का कहना है कि, फसल से लागत भी मिलने की उम्मीद नहीं है, इसलिए निराश होकर उसने खेत में ही फसल को नष्ट करना उचित समझा.

फसल को खेत में ही नष्ट करने को मजबूर किसान

मध्य प्रदेश के सोयाबीन किसान लगातार अपनी फसल के उचित दाम के लिए आंदोलन कर रहे हैं. किसान सोयाबीन की एमएसपी 6000 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसानों के सामने एक और संकट खड़ा हो गया है. सोयाबीन की फसल में पहले येलो मोजैक वायरस के कारण फसल का उत्पादन प्रभावित हुआ, फिर अतिवृष्टी के कारण पैदावार में काफी कमी आ गई. कई क्षेत्रों में तो सोयाबीन के पौधों पर फलियां ही नहीं बची हैं. अब हताश होकर कई किसान खेत में ही फसल को ट्रैक्टर से नष्ट कर दे रहे हैं.

ट्रैक्टर चलाकर फसल नष्ट करता किसान (ETV Bharat)

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लागत ज्यादा, प्रॉफिट कम का कैलक्यूलेशन

किसानों का कहना है कि, खेती में इतनी लागत लग जाती है, जिससे इस बार लागत निकालना मुश्किल हो गया है. किसान नेता डीपी धाकड़ ने बताया, "प्रति बीघा सोयाबीन की खेती में 10 हजार से 12 हजार रुपये तक का खर्च आता है. इसके बाद 50 किलो से 2 क्विंटल तक प्रति बीघा पैदावार मिल रही है. यदि सरकार 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से एमएसपी दे भी देगी तो भी किसानों को इस बार फायदा नहीं होने वाला है." कई किसान खेत में खड़ी फसल को ही नष्ट कर दे रहे हैं. उनका कहना है इतनी लागत पहले ही लग चुकी है. मौसम की मार से फसल अच्छी नहीं हुई है. अभी इसकी कटाई और हार्वेस्टिंग में भी पैसे लगेंगे और फायदा कुछ नहीं होगा. किसानों ने खराब फसलों का सर्वे कराकर मुआवजे की मांग की है.

रतलाम: सोयाबीन की फसल पर मौसम की दोहरी मार के बाद बची फसल के उचित दाम न मिलने से किसान परेशान हैं. सोयाबीन किसान अब खेत में खड़ी फसल को ही नष्ट करने पर आ गए हैं. ताजा मामला बड़ावदा क्षेत्र के सामने आया है. यहां एक किसान ने अपनी सोयाबीन की खड़ी फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया. किसान का कहना है कि, फसल से लागत भी मिलने की उम्मीद नहीं है, इसलिए निराश होकर उसने खेत में ही फसल को नष्ट करना उचित समझा.

फसल को खेत में ही नष्ट करने को मजबूर किसान

मध्य प्रदेश के सोयाबीन किसान लगातार अपनी फसल के उचित दाम के लिए आंदोलन कर रहे हैं. किसान सोयाबीन की एमएसपी 6000 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसानों के सामने एक और संकट खड़ा हो गया है. सोयाबीन की फसल में पहले येलो मोजैक वायरस के कारण फसल का उत्पादन प्रभावित हुआ, फिर अतिवृष्टी के कारण पैदावार में काफी कमी आ गई. कई क्षेत्रों में तो सोयाबीन के पौधों पर फलियां ही नहीं बची हैं. अब हताश होकर कई किसान खेत में ही फसल को ट्रैक्टर से नष्ट कर दे रहे हैं.

ट्रैक्टर चलाकर फसल नष्ट करता किसान (ETV Bharat)

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लागत ज्यादा, प्रॉफिट कम का कैलक्यूलेशन

किसानों का कहना है कि, खेती में इतनी लागत लग जाती है, जिससे इस बार लागत निकालना मुश्किल हो गया है. किसान नेता डीपी धाकड़ ने बताया, "प्रति बीघा सोयाबीन की खेती में 10 हजार से 12 हजार रुपये तक का खर्च आता है. इसके बाद 50 किलो से 2 क्विंटल तक प्रति बीघा पैदावार मिल रही है. यदि सरकार 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से एमएसपी दे भी देगी तो भी किसानों को इस बार फायदा नहीं होने वाला है." कई किसान खेत में खड़ी फसल को ही नष्ट कर दे रहे हैं. उनका कहना है इतनी लागत पहले ही लग चुकी है. मौसम की मार से फसल अच्छी नहीं हुई है. अभी इसकी कटाई और हार्वेस्टिंग में भी पैसे लगेंगे और फायदा कुछ नहीं होगा. किसानों ने खराब फसलों का सर्वे कराकर मुआवजे की मांग की है.

Last Updated : 46 minutes ago
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