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बालम ककड़ी के निराले शौकीन, सब लुटा देंगे पर दुकानदार को लाइन लगा मुंह मांगी कीमत दे आयेंगे - Balam Kakdi Demand

आमतौर पर लोग ककड़ी को जानते होंगे और खाते होंगे, लेकिन आपने कभी बालम ककड़ी के बारे में सुना है. इस समय मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में इस बालम ककड़ी की जमकर डिमांड है. बालम ककड़ी दिखने में सब्जी लौकी की तरह लगती है.

BALAM KAKDI DEMAND
मुंह मांगी कीमत देते हैं बालम ककड़ी के शौकीन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 27, 2024, 8:25 PM IST

Updated : Sep 27, 2024, 9:24 PM IST

रतलाम: जिले के सैलाना क्षेत्र में उगने वाली बालम ककड़ी की बहार आ चुकी है. अपने खास मीठे स्वाद और हरे नारंगी रंग के लिए मशहूर बालम ककड़ी खाने के शौकीन लोग बड़ी संख्या में इसे खरीद रहे हैं. इस ककड़ी का सीजन 15 से 25 दिनों का होता है. जिसकी मांग रतलाम ही नहीं बल्कि इंदौर, भोपाल, मुंबई और दिल्ली तक होती है. स्वाद में यह ककड़ी मीठी लगती है. यह ककड़ी लौकी की तरह दिखाई देती है, लेकिन जब इसे काटा जाता है तो अंदर से यह हरी और केसरिया रंग की दिखाई देती है.

कई बार इसके स्वाद से अनजान लोग इसे लौकी ही समझ जाते हैं, लेकिन सीखने के बाद वह इसके स्वाद के दीवाने हो जाते हैं. केवल बारिश के मौसम में मिलने वाली यह खास ककड़ी 100 से 150 रुपए किलो तक बिकती है. जिससे यहां के आदिवासी किसानो के लिए यह फसल अच्छा मुनाफा और कैश क्रॉप साबित हो रही है.

बाजार में बालम ककड़ी की डिमांड (ETV Bharat)

जानते है क्यों पड़ा बालम ककड़ी नाम

मालवा क्षेत्र के सैलाना क्षेत्र में ही मिलने वाली यह ककड़ी बेल वर्गीय फसलों की श्रेणी में आती है. वैसे तो धार, झाबुआ और राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के गोकुंदा, भीम एवं देवगढ़ में भी इसकी खेती होती है, लेकिन सैलाना के बाली गांव की मिट्टी का जादू ही कुछ ऐसा है की यहां की बालम ककड़ी का स्वाद ही सर्वश्रेष्ठ है. बाली गांव के नाम पर ही इस कड़ी का नाम बालम पड़ा है. जिनकी डिमांड बड़े शहरों के साथ ही कुवैत और यूएई में भी है.

Balam Kakdi Demand
बालम ककड़ी खरीदते लोग (ETV Bharat)

बालम ककड़ी का कब रहता है सीजन

इसे खरीदने दुकानों पर पहुंचने वाले खरीददार विनय जैन और अमित मेंडे बताते हैं कि 'उन्हें पूरे वर्ष भर इसके खास स्वाद का लुफ्त उठाने का इंतजार रहता है. अलग-अलग शहरों में रहने वाले उनके रिश्तेदार भी इसकी डिमांड उनसे करते हैं. खास बात यह है इस ककड़ी को सलाद के तौर पर नहीं खाया जाता है, बल्कि नाश्ते और फलाहार की तरह इसका उपयोग किया जाता है. बाली गांव के किसान सुनील बताते हैं कि 15 से लेकर 1 महीने का इसका सीजन होता है. जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है. इसका खास स्वाद और हर और केसरिया रंग लोगों को आकर्षित करता है.

Balam Cucumber
बालम ककड़ी (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

आने वाली है सैलाना की बालम ककड़ी, स्वाद ऐसा कि बड़े शहरों में भी है जमकर डिमांड

किचन गार्डन में करें FD वाली खेती, होगी पैसों की बारिश, खाने में लजीज स्वाद और बढ़ेगा बैंक बैलेंस

बालम ककड़ी की बढ़ती डिमांड

बहरहाल आदिवासी किसान इसकी खेती पूर्ण रूप से जैविक तरीके से करते हैं. बारिश के मौसम में आदिवासी किसानों के लिए यह कैश क्रॉप की तरह है. बालम ककड़ी की बढ़ती डिमांड से आदिवासी किसानों की आय में धीरे-धीरे वृद्धि भी हो रही है. इस बार बालम ककड़ी की बहार आने के बाद इसके दाम डेढ़ सौ रुपए किलो तक मिल रहे हैं. जिससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा मिल रहा है.

रतलाम: जिले के सैलाना क्षेत्र में उगने वाली बालम ककड़ी की बहार आ चुकी है. अपने खास मीठे स्वाद और हरे नारंगी रंग के लिए मशहूर बालम ककड़ी खाने के शौकीन लोग बड़ी संख्या में इसे खरीद रहे हैं. इस ककड़ी का सीजन 15 से 25 दिनों का होता है. जिसकी मांग रतलाम ही नहीं बल्कि इंदौर, भोपाल, मुंबई और दिल्ली तक होती है. स्वाद में यह ककड़ी मीठी लगती है. यह ककड़ी लौकी की तरह दिखाई देती है, लेकिन जब इसे काटा जाता है तो अंदर से यह हरी और केसरिया रंग की दिखाई देती है.

कई बार इसके स्वाद से अनजान लोग इसे लौकी ही समझ जाते हैं, लेकिन सीखने के बाद वह इसके स्वाद के दीवाने हो जाते हैं. केवल बारिश के मौसम में मिलने वाली यह खास ककड़ी 100 से 150 रुपए किलो तक बिकती है. जिससे यहां के आदिवासी किसानो के लिए यह फसल अच्छा मुनाफा और कैश क्रॉप साबित हो रही है.

बाजार में बालम ककड़ी की डिमांड (ETV Bharat)

जानते है क्यों पड़ा बालम ककड़ी नाम

मालवा क्षेत्र के सैलाना क्षेत्र में ही मिलने वाली यह ककड़ी बेल वर्गीय फसलों की श्रेणी में आती है. वैसे तो धार, झाबुआ और राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के गोकुंदा, भीम एवं देवगढ़ में भी इसकी खेती होती है, लेकिन सैलाना के बाली गांव की मिट्टी का जादू ही कुछ ऐसा है की यहां की बालम ककड़ी का स्वाद ही सर्वश्रेष्ठ है. बाली गांव के नाम पर ही इस कड़ी का नाम बालम पड़ा है. जिनकी डिमांड बड़े शहरों के साथ ही कुवैत और यूएई में भी है.

Balam Kakdi Demand
बालम ककड़ी खरीदते लोग (ETV Bharat)

बालम ककड़ी का कब रहता है सीजन

इसे खरीदने दुकानों पर पहुंचने वाले खरीददार विनय जैन और अमित मेंडे बताते हैं कि 'उन्हें पूरे वर्ष भर इसके खास स्वाद का लुफ्त उठाने का इंतजार रहता है. अलग-अलग शहरों में रहने वाले उनके रिश्तेदार भी इसकी डिमांड उनसे करते हैं. खास बात यह है इस ककड़ी को सलाद के तौर पर नहीं खाया जाता है, बल्कि नाश्ते और फलाहार की तरह इसका उपयोग किया जाता है. बाली गांव के किसान सुनील बताते हैं कि 15 से लेकर 1 महीने का इसका सीजन होता है. जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है. इसका खास स्वाद और हर और केसरिया रंग लोगों को आकर्षित करता है.

Balam Cucumber
बालम ककड़ी (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

आने वाली है सैलाना की बालम ककड़ी, स्वाद ऐसा कि बड़े शहरों में भी है जमकर डिमांड

किचन गार्डन में करें FD वाली खेती, होगी पैसों की बारिश, खाने में लजीज स्वाद और बढ़ेगा बैंक बैलेंस

बालम ककड़ी की बढ़ती डिमांड

बहरहाल आदिवासी किसान इसकी खेती पूर्ण रूप से जैविक तरीके से करते हैं. बारिश के मौसम में आदिवासी किसानों के लिए यह कैश क्रॉप की तरह है. बालम ककड़ी की बढ़ती डिमांड से आदिवासी किसानों की आय में धीरे-धीरे वृद्धि भी हो रही है. इस बार बालम ककड़ी की बहार आने के बाद इसके दाम डेढ़ सौ रुपए किलो तक मिल रहे हैं. जिससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा मिल रहा है.

Last Updated : Sep 27, 2024, 9:24 PM IST
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