रतलाम: कुबेर के खजाने के लिए प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर में बीती रात पुजारी के मुद्दे को लेकर विवाद गहरा गया था. विवाद इतना बढ़ गया था कि प्रशासन को मंदिर में ताला लगाना पड़ गया. जिससे लोगों के जहन में सवाल उठने लगा था कि, इस बार कुबेर का खजाना सजेगा कि नहीं. हालांकि प्रशासन ने सुबह विवाद का समाधान निकालते हुए मंदिर का ताला खुलवा दिया. मंदिर में दूसरे पुजारी की नियुक्ती कर दी गई है.
सूतक में पूजा कराने पर अड़ा था पुजारी
दरअसल, महालक्ष्मी मंदिर के पंडित संजय पुजारी ने परिवार में सूतक के बावजूद पूजा और प्रबंधन कराने में अड़ गए थे. श्रीमाली ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने मंदिर के पुजारी के मंदिर में आने जाने को लेकर आपत्ति जताई थी. समाज के सचिव कुलदीप त्रिवेदी का कहना था कि, महालक्ष्मी हमारी कुलदेवी हैं. साथ ही मंदिर में हमारी सती माता का भी स्थान है. पुजारी के बड़े भाई का निधन हुआ है. सूतक होने के कारण वह मंदिर में पूजा पाठ कर रहे हैं. रविवार रात भी लोग इसी बात को लेकर मंदिर पहुंचे थे. प्रशासन ने विवाद बढ़ता देख मंदिर में ताला लगा दिया था. हालांकि प्रशासन ने ताला सुबह 07 बजे खोल दिया. इसके बाद श्रीमाली समाज के लोगों ने मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करवाया.
माता के चरणों में चढ़ाया जाता है खजाना
रतलाम के माणक चौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर का प्रबंधन रतलाम के कलेक्टर करते हैं. वहीं, पूजा और व्यवस्था का काम संजय पुजारी और उनका परिवार करता है. यहां हर साल धनतेरस के अवसर पर मंदिर में माता लक्ष्मी के दरबार में सोने, चांदी, हीरे, मोती और नोटों की गड्डियों से कुबेर का खजाना सजाया जाता है. मान्यता है कि यहां 5 दिन तक अपनी धन-दौलत माता के चरणों में अर्पित करने से उसे दौलत में बरकत प्राप्त होती है. दीपावली के बाद इसे वापस श्रद्धालुओं को लौटा दिया जाता है.
इसे भी पढे़ं: रतलाम के मंदिर में हीरे जवाहरात से होता है मां लक्ष्मी का श्रृंगार, प्रसाद में मिलते हैं नोट संजोया जा रहा चंबल का इतिहास, चमक उठेगा शिव मंदिर, वजूद में आएगा प्राचीन किला |
गंगाजल से शुद्धिकरण कराया गया
इस मामले पर रतलाम शहर एसडीएम अनिल भाना ने बताया कि, "सुरक्षा व्यवस्था के बीच आज सुबह जन मानस की मंशा अनुसार गंगाजल से शुद्धिकरण कार्य करवाया गया. इसके बाद मंदिर की पूजा अर्चना व व्यवस्था का कार्य दूसरे पुजारी को नियुक्त कर सुपुर्द किया गया है. मंदिर में सजावट के लिए आने वाले नगद और आभूषण के हिसाब और सजावट के काम में पुजारी का सहयोग पटवारी करेंगे. वहीं, आम श्रद्धालु पहले की तरह ही दर्शन और अन्य परंपरा का निर्वहन कर सकेंगे."