फरीदाबाद: हरियाणा विधानसभा चुनाव में गुरुग्राम जिले के बादशाहपुर सीट से पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह ने जीत दर्ज की. राव नरबीर सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार वर्धन यादव को 60,705 वोटों से हराया. आज नायब सैनी की सरकार में राव नरबीर सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली है. बीजेपी ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. इस रिपोर्ट में विस्तार से राव नरबीर सिंह के बारे में जानते हैं.
पढ़ाई के साथ-साथ राजनीतिक सफर की शुरुआत: राव नरबीर सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1961 को गुरुग्राम जिले में हुआ. उन्होंने दिल्ली स्थित हिंदू कॉलेज से अपनी डिग्री प्राप्त की. पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति और समाज सेवा में जुट गए. राजनीति उनके लिए कोई नई चीज नहीं थी. बल्कि उनका परिवार आजादी से पहले राजनीति में सक्रिय थे राव नरवीर सिंह के पिता स्वर्गीय राव महावीर सिंह तीन बार विधायक रहे. प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे. राव नरवीर सिंह के दादा राव मोहर सिंह आजादी से पहले 1942 और 1946 में विधायक रहे. वह पंजाब विधानसभा से विधायक चुने गए.
1987 में लड़ा था पहला चुनाव: बीजेपी नेता राव नरबीर सिंह ने अपना पहला चुनाव जाटूसाना से 1987 में लोकदल की टिकट पर लड़ा था. हरियाणा में 1987 विधानसभा चुनाव जिसमें चौधरी देवीलाल ने अपनी सरकार बनाई और मात्र 26 साल की उम्र में विधायक बने. राव नरबीर को गृह राज्य मंत्री बनाया. उसे चुनाव की बड़ी बात यह थी कि जहां कम उम्र में राव नरबीर सिंह विधायक और मंत्री बने. वहीं, चुनाव में उन्होंने भाजपा के मौजूदा सांसद, अहिरवाल के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत को हराया था.
जहां लड़े वहीं जीते: जब 1996 में हरियाणा प्रदेश में विकास पार्टी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बंसीलाल बने. उस दौरान राव नरबीर सिंह सोहना से विधायक चुनकर आये और यही वजह है कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई. उन्हें परिवहन, खाद आपूर्ति एवं सहकारिता मंत्री बनाया गया. हालांकि उसके बाद भाजपा की सरकार 2014 में बनी और उस दौरान भाजपा ने उन्हें बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी घोषित किया. फिर से उन्होंने साबित कर दिया विधानसभा कोई भी हो उनकी जीत सुनिश्चित है. फिर से वह बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए.
2019 में कटा टिकट: इसके बाद मनोहर लाल की सरकार में उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी गई. उन्हें लोक निर्माण मंत्री बनाया गया और पूरे 5 साल उन्होंने मंत्री रहते हुए काम किया. लेकिन 2019 विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया. उनकी जगह पर भाजपा ने युवा चेहरा मनीष यादव को टिकट दिया. लेकिन मनीष यादव चुनाव हार गए. टिकट कटने के बावजूद भी लगातार वह जनता के बीच जाते रहे. जनता के सुख-दुख में वह जनता के साथ खड़े रहे और उन्हें भरोसा था कि 2024 विधानसभा चुनाव में पार्टी फिर से उन्हें टिकट देगी. लेकिन बीजेपी ने जैसे ही 2024 विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी पहली लिस्ट जारी की उसमें उनका नाम शामिल नहीं था.
नायब सैनी की सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल: उस दौरान उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. लेकिन जब बीजेपी की दूसरी लिस्ट आई, उसमें उनका नाम शामिल था. फिर वह बीजेपी की टिकट से चुनाव मैदान में कूद गए और उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी को हराया. हालांकि बीजेपी में रहते हुए उन्होंने प्रदेश उपाध्यक्ष समेत कई पदों पर पार्टी के लिए काम किया. पार्टी को मजबूत किया और यही वजह है कि उन्हें नायब सिंह सैनी की सरकार में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.
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