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हथकरघा दिवस 2024, जांजगीर में बुनकरों के बनाए पोशाकों से स्टूडेंट्स का रैंप वॉक, लोगों का जीता दिल - National Handloom Day

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 7, 2024, 9:32 PM IST

Updated : Aug 8, 2024, 9:13 AM IST

जांजगीर चाम्पा जिले में छत्तीसगढ़ का एक मात्र भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान संचालित हैं. इस संस्थान में आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में कॉलेज के छात्र-छात्राओं और बुनकर महिलाओं ने अपने हाथों से बनाए साड़ी, जैकेट और अन्य कपड़ों का प्रदर्शन किया. इस दौरान कॉलेज के स्टूडेंट्स ने रैंप वॉक कर हैंडलूम के कपड़ों का प्रदर्शन किया.

NATIONAL HANDLOOM DAY
हथकरघा दिवस 2024 (ETV BHARAT)

जांजगीर चांपा : कोसा, कांसा और कंचन के नाम से मशहूर जांजगीर चाम्पा में संचालित भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान में हथकरघा दिवस मनाया गया. इस दौरान कॉलेज के छात्र-छात्राओं और बुनकर महिलाओं के बनाए गए साड़ी, जैकेट और अन्य कपड़ों की प्रदर्शनी लगाई गई.

हथकरघा दिवस 2024 (ETV BHARAT)

हथकरघा दिवस पर हैंडलूम के कपड़ों का प्रदर्शन : हाथकरघा दिवस के अवसर पर भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान में खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बुनकर महिलाओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया. संस्थान के छात्र छात्राओं ने अपने और बुनकरों के बनाए साड़ी, कुर्ता-पैजामा और पारम्परिक वस्त्रों को पहन कर मॉडलिंग की. अपनी मेहनत से बने कपड़ों की प्रदर्शनी देख बुनकर बेहद खुश हुए.

"हमारे हाथों से बने परिधानों के इस तरह प्रदर्शन को देख हम सभी बहुत खुश हैं. ऐसे आयोजनों से हाथकरघा में बने कपड़ों के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ने की उम्मीद है." - विनय देवांगन, स्थानीय बुनकर

हैंडलूम और पॉवर लूम की दे रहे ट्रेनिंग : छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं को हथकरघा की पढ़ाई कराने के लिए जांजगीर में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किया गया. इस संस्थान में न केवल जांजगीर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण दिया जाता है. इस संस्था में हैंडलूम और पॉवर लूम की शिक्षा भी दी जा रही है.

"बुनकरों के बनाए कोसा और हैंडलूम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं. शासन ने स्थानीय बुनकरों के पारम्परिक ताना बाना को आधुनिक उपकरणों से सजाया है. यहां हैंडलूम और पॉवर लूम की शिक्षा दी जाती है. युवा पीढ़ी यहां आकर टेक्सटाइल की शिक्षा लेकर खुश हैं." - डी डी धाकते, प्राचार्य, भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान

बुनकरों की माली हालत में आ रहा सुधार : हथकरघा के कपड़ों को बनाने की प्रक्रिया जटिल है. लकड़ी के ताना बाना में धागों को पिरोकर हाथ और पैर को एक लय में चला कर धागों से कपड़ा बनाया जाता है. कभी रेशम या कोकून के रेशों से महिलाएं सूत बनाया करती थीं. लेकिन आधुनिक उपकरणों के आने से थाई प्रथा बंद हुई और हैंडलूम के कपड़ों की चमक पावर लूम में बने कपड़ों की जैसे होने लगी. इससे बुनकरों की माली हालत में सुधार आने लगा है.

छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं को हथकरघा की पढ़ाई कराने के लिए जांजगीर में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किया गया है. इस संस्थान में न केवल जांजगीर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जो उनके करियर के लिए शानदार साबित हो रहा है.

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हथकरघा दिवस 2024 (ETV BHARAT)

हथकरघा दिवस पर हैंडलूम के कपड़ों का प्रदर्शन : हाथकरघा दिवस के अवसर पर भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान में खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बुनकर महिलाओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया. संस्थान के छात्र छात्राओं ने अपने और बुनकरों के बनाए साड़ी, कुर्ता-पैजामा और पारम्परिक वस्त्रों को पहन कर मॉडलिंग की. अपनी मेहनत से बने कपड़ों की प्रदर्शनी देख बुनकर बेहद खुश हुए.

"हमारे हाथों से बने परिधानों के इस तरह प्रदर्शन को देख हम सभी बहुत खुश हैं. ऐसे आयोजनों से हाथकरघा में बने कपड़ों के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ने की उम्मीद है." - विनय देवांगन, स्थानीय बुनकर

हैंडलूम और पॉवर लूम की दे रहे ट्रेनिंग : छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं को हथकरघा की पढ़ाई कराने के लिए जांजगीर में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किया गया. इस संस्थान में न केवल जांजगीर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण दिया जाता है. इस संस्था में हैंडलूम और पॉवर लूम की शिक्षा भी दी जा रही है.

"बुनकरों के बनाए कोसा और हैंडलूम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं. शासन ने स्थानीय बुनकरों के पारम्परिक ताना बाना को आधुनिक उपकरणों से सजाया है. यहां हैंडलूम और पॉवर लूम की शिक्षा दी जाती है. युवा पीढ़ी यहां आकर टेक्सटाइल की शिक्षा लेकर खुश हैं." - डी डी धाकते, प्राचार्य, भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान

बुनकरों की माली हालत में आ रहा सुधार : हथकरघा के कपड़ों को बनाने की प्रक्रिया जटिल है. लकड़ी के ताना बाना में धागों को पिरोकर हाथ और पैर को एक लय में चला कर धागों से कपड़ा बनाया जाता है. कभी रेशम या कोकून के रेशों से महिलाएं सूत बनाया करती थीं. लेकिन आधुनिक उपकरणों के आने से थाई प्रथा बंद हुई और हैंडलूम के कपड़ों की चमक पावर लूम में बने कपड़ों की जैसे होने लगी. इससे बुनकरों की माली हालत में सुधार आने लगा है.

छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं को हथकरघा की पढ़ाई कराने के लिए जांजगीर में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किया गया है. इस संस्थान में न केवल जांजगीर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जो उनके करियर के लिए शानदार साबित हो रहा है.

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Last Updated : Aug 8, 2024, 9:13 AM IST
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