नई दिल्लीः दिल्ली में उर्दू अकादमी द्वारा 22 फरवरी से शुरू हो रहे उर्दू फेस्टिवल के तीसरे दिन उर्दू रामायण पर आधारित रामलीला का आयोजन होने जा रहा है. ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है कि 24 फरवरी को आयोजित होने जा रही रामलीला जिस उर्दू रामायण पर आधारित होगी वह वर्ष 1916 में प्रकाशित की गई थी. यह उर्दू रामायण इस समय मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में रखी है.
उर्दू हेरिटेज फेस्टिवल में होने वाली रामलीला को लेकर उर्दू अकादमी के अनुसार, इस बार के उर्दू फेस्टिवल में उर्दू रामायण पर आधारित रामलीला मुख्य आकर्षण होगी. इससे पहले उर्दू रामायण से संबंधित कोई कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित नहीं हुआ है. पहली बार इस तरह का कोई आयोडन होने जा रहा है. इसलिए हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग इस रामलीला को देखने आएं.
तुलसीदास के रामायण के आधार पर ही किया गया है अनुवाद
उर्दू रामायण का अनुवाद गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरित मानस के आधार पर ही किया गया है. जानकारों की मानें तो आजादी से पूर्व जब पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का हिस्सा होते थे तब 1916 में लाहौर में उर्दू रामायण प्रकाशित हुई थी. महात्मा शिवव्रत लाल द्वारा इस रामायण का उर्दू में अनुवाद किया गया था. इसमें रामायण से जुड़ी हुई सभी चौपाइयां उर्दू में दी गई हैं.
डिजिटल प्लेफॉर्म पर लांच करने पर चल रहा कामचौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन अब इस 108 साल पुरानी उर्दू रामायण को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लांच करने की तैयारी कर रहा है. पुस्तकालय की ओर से इसे डिजिटल प्लेफॉर्म पर अपलोड करने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इससे उर्दू भाषा में पढ़ने वाले छात्र उर्दू में इस रामायण का अध्ययन कर सकेंगे. यह रामायण उन्हीं छात्रों को अध्ययन के लिए दी जाती है जो पुस्तकालय में बैठकर इसके बारे में जानना चाहते हैं. रामायण देने के बाद पुस्तकालय का कोई न कोई पदाधिकारी उसके साथ में मौजूद रहता है.
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