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राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दवा कंपनियों के एजेंटों के प्रवेश पर रोक, जानें अस्पताल ने क्यों लिया ऐसा फैसला - RML Hospital prohibit agents entry

RML Hospital prohibit agents entry: दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के वॉर्ड, ओपीडी और इमरजेंसी में दवा कंपनियों और डायग्नोस्टिक सेंटर के एजेंटों के प्रवेश को पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. जानिए अस्पताल प्रशासन को क्यों देना पड़ा ऐसा आदेश ?

आरएमएल में दवा कंपनियों और डायग्नोस्टिक सेंटर के एजेंटों का प्रवेश वर्जित
आरएमएल में दवा कंपनियों और डायग्नोस्टिक सेंटर के एजेंटों का प्रवेश वर्जित (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 13, 2024, 5:27 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के वॉर्ड, ओपीडी और इमरजेंसी में दवा कंपनियों और डायग्नोस्टिक सेंटर के एजेंटों के प्रवेश को पूरी तरह बैन कर दिया गया है. आरएमएल अस्पताल प्रशासन द्वारा एजेंटों के अस्पताल में प्रवेश पर विधिवत आदेश जारी करके रोक लगाई गई है. साथ ही आदेश में सख्ती के साथ यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर किसी डॉक्टर या स्टाफ को एजेंट के साथ देखा गया या अपने वार्ड में एजेंट को घुसने दिया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

अस्पताल प्रशासन ने अपने आदेश में कहा है कि परिसर में एजेंट की मौजूदगी से अस्पताल की छवि खराब होती है. ऐसा माना जाता है कि एजेंट डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ को कमीशन देकर मरीजों को अपने यहां से दवाइयां खरीदने और जांच कराने के लिए बोलते हैं. बता दें आरएमएल केंद्र सरकार द्वारा संचालित बड़ा अस्पताल है. यहां इलाज के लिए देश भर से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इसलिए अस्पताल में इलाज के लिए काफी भीड़-भाड़ और मारामारी होती है.

ओपीडी, दाखिला, ऑपरेशन, लैब जांच और दवाई लेने आदि सहित कई स्तर पर वेटिंग होती है. इन वेटिंग का हवाला देकर और जल्दी काम कराने की बात कहकर प्राइवेट एजेंट मरीजों को ठगने की कोशिश करते हैं. उन्हें जल्द जांच के नाम पर प्राइवेट लैब आने का लालच देते हैं. आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने अपने आदेश में इस स्थिति का हवाला देते हुए लिखा है कि प्रशासन के ध्यान में यह बात आई है कि अस्पताल के परिसर में डायग्नोस्टिक सर्विस और दवा कंपनियों के एजेंट घूमते रहते हैं. इससे अस्पताल की छवि खराब हो रही है.

ये भी पढें : दिल्ली के इस बड़े अस्पताल में अगले साल से शुरू होगी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की इमरजेंसी, 500 बेड का ब्लॉक हो रहा तैयार

प्रशासन ने आगे यह भी लिखा है कि अस्पताल में आधुनिक लैब सर्विसेज और डायग्नोस्टिक सर्विसेज उपलब्ध हैं. अस्पताल के सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वे अपने रेजिडेंट डॉक्टरों, टेक्निकल स्टॉफ, नर्सों और फैकल्टी को यह निर्देश दें कि वे वॉर्ड, ओपीडी और इमरजेंसी ब्लॉक में ऐसे व्यक्तियों को न आने दें, जिनके आने से अस्पताल की छवि खराब हो.
ये भी पढें : दिल्ली के RML अस्पताल में ट्रांसजेंडर्स के लिए शुरू हुई ओपीडी सेवा

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के वॉर्ड, ओपीडी और इमरजेंसी में दवा कंपनियों और डायग्नोस्टिक सेंटर के एजेंटों के प्रवेश को पूरी तरह बैन कर दिया गया है. आरएमएल अस्पताल प्रशासन द्वारा एजेंटों के अस्पताल में प्रवेश पर विधिवत आदेश जारी करके रोक लगाई गई है. साथ ही आदेश में सख्ती के साथ यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर किसी डॉक्टर या स्टाफ को एजेंट के साथ देखा गया या अपने वार्ड में एजेंट को घुसने दिया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

अस्पताल प्रशासन ने अपने आदेश में कहा है कि परिसर में एजेंट की मौजूदगी से अस्पताल की छवि खराब होती है. ऐसा माना जाता है कि एजेंट डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ को कमीशन देकर मरीजों को अपने यहां से दवाइयां खरीदने और जांच कराने के लिए बोलते हैं. बता दें आरएमएल केंद्र सरकार द्वारा संचालित बड़ा अस्पताल है. यहां इलाज के लिए देश भर से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इसलिए अस्पताल में इलाज के लिए काफी भीड़-भाड़ और मारामारी होती है.

ओपीडी, दाखिला, ऑपरेशन, लैब जांच और दवाई लेने आदि सहित कई स्तर पर वेटिंग होती है. इन वेटिंग का हवाला देकर और जल्दी काम कराने की बात कहकर प्राइवेट एजेंट मरीजों को ठगने की कोशिश करते हैं. उन्हें जल्द जांच के नाम पर प्राइवेट लैब आने का लालच देते हैं. आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने अपने आदेश में इस स्थिति का हवाला देते हुए लिखा है कि प्रशासन के ध्यान में यह बात आई है कि अस्पताल के परिसर में डायग्नोस्टिक सर्विस और दवा कंपनियों के एजेंट घूमते रहते हैं. इससे अस्पताल की छवि खराब हो रही है.

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प्रशासन ने आगे यह भी लिखा है कि अस्पताल में आधुनिक लैब सर्विसेज और डायग्नोस्टिक सर्विसेज उपलब्ध हैं. अस्पताल के सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वे अपने रेजिडेंट डॉक्टरों, टेक्निकल स्टॉफ, नर्सों और फैकल्टी को यह निर्देश दें कि वे वॉर्ड, ओपीडी और इमरजेंसी ब्लॉक में ऐसे व्यक्तियों को न आने दें, जिनके आने से अस्पताल की छवि खराब हो.
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