मुरादाबाद: जिले के एक राम भक्त पिछले 32 सालों से भगवान राम की भक्ति में लीन होकर अपने हाथ से श्री रामचरितमानस लिख रहे हैं. अब तक वह 9 बार श्री रामचरितमानस अपने हाथों से लिख चुके हैं. सबसे पहले उन्होंने 1991 में श्री रामचरितमानस लिखना शुरू किया था. जब देश में राम मंदिर के लिए रथ यात्रा शुरू हुई थी, तब उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक राम मंदिर नहीं बन जाता तब तक वह श्री रामचरितमानस लिखते रहेंगे. अब राम मंदिर बनने की मनोकामना पूरी हो गई है तो वह सबसे पहले लिखी गई श्री रामचरितमानस भगवान राम के चरणों में समर्पित करना चाहते हैं.
22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बेसब्री से इंतजार है. उसको लेकर शहर, गांव-गांव में जगह-जगह तैयारियां की जा रही हैं. कुछ ऐसे भी राम भक्त हैं, जो सन 1990 से राम मंदिर बनने के लिए प्रण लिए हुए थे. ऐसे ही मुरादाबाद के एक राम भक्त अतुल कुमार है. जिन्होंने प्रण लिया था कि जब तक राम मंदिर नहीं बन जाएगा, तब तक वह अपने हाथों से श्री रामचरितमानस लिखते रहेंगे. पिछले 32 सालों से भगवान राम की भक्ति में लीन होकर वह अपने हाथों से श्री रामचरितमानस लिख रहे हैं. अब तक अतुल कुमार 9 बार श्री रामचरितमानस अपने हाथों से लिख चुके हैं. जब देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर रथ यात्रा शुरू हुई थी. तब पहली बार उन्होंने सन 1991 में श्री रामचरितमानस लिखना शुरू किया था. तभी से अतुल ने यह प्रण लिया था कि जब तक राम मंदिर नहीं बन जाता, तब तक वह श्री रामचरितमानस लिखते रहेंगे.
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पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर राम भक्त ने इच्छा जाहिर की: राम भक्त अतुल कुमार ने यह भी बताया कि सन 1991 में जो प्रण लिया था, वह इच्छा आज पूरी हो रही है. राम मंदिर का निर्माण हो गया है और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है. तो अब मैं चाहता हूं कि मेरे द्वारा लिखी सबसे पहली श्री रामचरितमानस भगवान राम के चरणों में समर्पित की जाए. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है. वह श्री रामचरितमानस को लेकर अयोध्या जाएंगे और इसे वहां के म्यूजियम में रख कर आएंगे. इससे पहले भी 1992 में वह अयोध्या गए थे और भगवान राम की मूर्ति पर चांदी की छतरी चढ़ा कर आए थे. जो 28 सालों तक भगवान नाम के मंदिर में उनकी मूर्ति पर लगी रही. अब अतुल कुमार अपने हाथ से लिखी श्री रामचरितमानस को भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन भेंट करना चाहते हैं. इस श्री रामचरितमानस में इन्होंने 1990 से अब तक के राम मंदिर आंदोलन के घटनाक्रमों के चित्र भी लगाए है. हर घटना को उसके कर्मानुसार तस्वीर को भी लगाया है.
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