उत्तरकाशी: हर्षिल घाटी की राजमा बाजार में पहुंचना शुरू हो गई है. हालांकि इस बार बारिश के चलते फसल को नुकसान से इसकी कीमत हर्षिल घाटी में ही 350 रुपए प्रति किलो है. वहीं, जिला मुख्यालय में यह 360 से 380 रूपए प्रति किलो तक बिक रही है.
हर्षिल घाटी में सेब के साथ मुख्य रूप से राजमा का भी उत्पादन होता है. हर्षिल की राजमा बाजार में इतनी प्रसिद्ध है कि हर्षिल के आसपास के गांवों से लेकर निचला टकनौर क्षेत्र के गांवों की राजमा भी हर्षिल के नाम से ही बिकती है. सीमांत भटवाड़ी विकास खंड के निचला टकनौर क्षेत्र के सालू, स्याबा, बार्सू, भटवाड़ी, रैथल, हुर्री आदि तथा उपला टकनौर क्षेत्र के हर्षिल समेत झाला, जसपुर, पुराली, सुक्की, धराली, मुखबा व बगोरी में भी राजमा का उत्पादन होता है. इस साल राजमा की फसल को जब बारिश की जरूरत थी, तब बारिश नहीं हुई.
लेकिन जब फसल में फलियां तैयार हो गई तो तब अत्यधिक बारिश होने से फसल को नुकसान पहुंचा. क्षेत्र के काश्तकार मोहन सिंह, संजय पंवार, विजय सिंह आदि ने बताया कि करीब 40 प्रतिशत तक फसल को नुकसान पहुंचा. उन्होंने बताया कि इस बार भी हर्षिल, धराली में ही राजमा की फसल 350 रुपए किलो तक बिक रही है. ऐसे में मुख्यालय बाजार में इसका दाम 360 से 380 तक होना स्वभाविक है. शहर के प्रमुख व्यवसायी अंकित उप्पल व पहाड़ी दालों के विक्रेता द्वारिका प्रसाद पांडे व गजेंद्र चौहान ने बताया कि बिक्री के लिए हर्षिल घाटी की राजमा आने लगी है. जिसका मूल्य प्रति किलो 360 से 380 तक है. बताया कि अपने अलग स्वाद और जल्द पकने के गुण के चलते लोग राजमा के बाजार में पहुंचने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.
जनपद में हर्षिल के सेब के साथ राजमा भी प्रसिद्ध है. विभाग की ओर से हर्षिल घाटी में राजमा की फसल को नुकसान का आकलन नहीं कराया गया है. देरी से बारिश के कारण काश्तकारों को नुकसान संभव है.
सचिन कुमार, मुख्य कृषि अधिकारी उत्तरकाशी.
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