राजगढ़। मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में अफसरशाही कुछ इस कदर हावी है की, नए साल के शुरुवाती माह की 30 तारीख यानी की मंगलवार को दूसरी मर्तबा एक और अन्य पीड़ित परिवार सड़क पर उतरा और 35 किलोमीटर के सफर को पैदल ही नाप दिया. कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपनी पीड़ा कलेक्टर को सुनाई. तब कहीं जाकर कलेक्टर ने पीड़ित परिवार को 2 फरवरी का समय जमीन का सीमांकन करने के लिए दिया. जबकि इसके पूर्व में राजगढ़ का एक अन्य परिवार बीते साल में थाली बजाकर पैदल न्याय यात्रा के लिए निकाल चुका है.
जमीन पर दबंगों का कब्जा
दरअसल मंगलवार को लगभग 35 किलोमीटर की पैदल न्याय यात्रा कर एक परिवार कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई में पहुंचा. शिकायती आवेदन देते हुए कहा कि, ''मैं बद्रीलाल जाटव, निवासी ग्राम नापल्याखेड़ी तहसील ब्यावरा जिला राजगढ़, मेरी जमीन गांव में स्थित है. जिसके सीमांकन के लिए विगत 8 माह से परेशान हूं. शासन प्रशासन द्वारा आज दिनांक तक किसी भी प्रकार से कोई कार्यवाही नहीं की है. पटवारी व सरपंच द्वारा गांव वालों से मिलीभगत कर उच्च अधिकारियों को गलत जानकारी दी जा रही है. मेरी जमीन का सीमांकन व गांव के कुछ दंबगों से कब्जा मुक्त करवाकर मेरे सुपुर्द किये जाने की कृपा करें. अन्यथा में सापरिवार, यहां शांति पूर्वक अनशन पर बैठा रहूंगा.
35 किलोमीटर की पैदल न्याय यात्रा
दरअसल पूरा मामला राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील के अंतर्गत आने वाले नापल्याखेडी गांव का है. गांव में बद्रीलाल पिता अमर सिंह का परिवार रहता है. जिनकी गांव में स्थित पट्टे की भूमि के सीमांकन के लिए पीड़ित परिवार विगत 8 माह से दफ्तरों के चक्कर कटा रहा था. शिकायत के बाद भी किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. ऐसे में परिवार ने पैदल न्याय यात्रा करने का मन बनाया और अपने परिवार के 5 पुरुष और एक महिला के साथ सड़क पर निकल पड़े. सोमवार से पैदल न्याय यात्रा की शुरुवात की और लगभग 35 किलोमीटर का सफर तय करते हुए मंगलवार को वे कलेक्ट्रेट भी पहुंच गए. उस दौरान उनके हाथ में एक बैनर भी था जिसमें लिखा था.
- न्याय यात्रा
- आमरण अनशन
- दबंगों के अवैध कब्जे से जमीन मुक्त करवाने के लिये
- 8 माह से अधिकारियों के चक्कर काट रहे, लेकिन नहीं मिल पाया न्याय
- पटवारी शिवप्रसाद सेन द्वारा दबंगों से मिलीभगत करके उच्च अधिकारियों को दी जा रही जमीन की गलत जानकारी.
- दबंगों द्वारा लगातार परिवार को प्रताड़ित किया जाता है
- गरीब इंसान कहा जाए न्याय के लिये?
- परिवार अनशन करने को मजबूर उसका जिम्मेदार कौन?
8 माह से हो रहे परेशान
पीड़ित परिवार के सदस्यों ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि, ''हमारी जमीन के सीमांकन के लिए हमारे गांव नापल्याखेड़ी से न्याय यात्रा लेकर आए हैं. हमारा परिवार 8 माह से परेशान है अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कलेक्टर के पास भी कई बार अपील दे चुके हैं. हम तहसीलदार के पास जाते हैं तो वो हमारी जमीन का गलत पट्टा बताते हैं. वे कहते हैं कि उस समय तुम्हें गलत जमीन दे दी गई थी. मैं हमारे क्षेत्र के स्थानीय विधायक वा मंत्री के पास भी गया था तो उन्होंने मुझसे कहा कि, तुम उनसे ले देकर बात कर लो. इस मामले में शासन प्रशासन ने हमारी बिलकुल भी नहीं सुनी है.''
सीमांकन के लिए दो फरवरी का आश्वासन
पीड़ितों ने बताया कि ''हम लोग सोमवार सुबह से अपने गांव से पैदल चले हैं. हमारी पट्टे की भूमि पर गुर्जर समुदाय के दबंग लोगों के द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया गया है. कलेक्टर से मुलाकात को लेकर पीड़ित परिवार के सदस्य का कहना था की हमारी अभी मुलाकात हुई है और हमे सीमांकन के लिए दो फरवरी का आश्वासन दिया गया है. ऐसे आश्वासन वे कई बार दे चुके हैं लेकिन हमारी जमीन का सीमांकन नहीं हुआ है.
कलेक्टर बोले-वापस दिलाया जाएगा कब्जा
उक्त मामले में राजगढ़ कलेक्टर हर्ष दीक्षित का कहना है कि, ''उक्त भूमि का सीमांकन पहले भी हो चुका था, लेकिन पहले स्थिति स्पष्ट नहीं थी और दोनों ही पक्षों की तरफ से पुनः सीमांकन की डिमांड आई थी. कुछ दिनों पहले इन लोगों के द्वारा भी अवगत कराया गया था जब इन्हें आश्वस्त किया गया था की, 26 जनवरी के बाद इनकी जमीन का सीमांकन करा दिया जाएगा. जैसी भी स्थिति होगी, यदि इनकी जमीन पर किसी का कब्जा होगा तो इनको वापस दिला दिया जायेगा और मौके पर जो भी स्थिति बनेगी उसके हिसाब से कार्यवाई की जायेगी.''