शिमला: लंबित पड़े डीए और एरियर को लेकर इन दिनों हिमाचल में कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बीते कल बुधवार को सचिवालय के कर्मियों ने छोटा शिमला में सचिवालय के बाहर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. इसके अलावा सीएम और मंत्रियों के ऑफिसों, विधायकों और मंत्रियों के आवासों पर फिजूलखर्ची को लेकर जमकर निशाना साधा.
इस मामले को लेकर गुरुवार को कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने सरकारी कर्मियों को दो टूक जवाब दिया है. मंत्री ने कहा "हमारे पास सीमित विकल्प हैं. कर्मचारियों को वर्तमान में जो लाभ मिल रहे हैं अगर वह चाहते हैं कि उन्हें यह लाभ मिलते रहें तो उन्हें सरकार के साथ खड़ा होना पड़ेगा. अन्यथा इनमें भी आने वाले समय कटौती हो सकती है. हर चीज पैसे से जुड़ी हुई है. नोट छापने की आजादी हमारे पास नहीं है जितना पैसा हमारे पास आएगा हम उतना ही पैसा खर्च कर सकते हैं. सरकार संसाधनों को बढ़ाने की ओर ध्यान दे रही है."
कर्मचारी नेता ना दें अनाप-शनाप बयान
कैबिनेट मंत्री ने कर्मचारी नेताओं को लेकर बयान देते हुए कहा "कर्मचारी नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए उल्टे-सीधे बयान ना दें. जो जिम्मेवारी सरकार की है वही जिम्मेवारी कर्मचारियों की भी है. प्रदेश कर्मचारियों का भी है इसलिए प्रदेश के लिए उनकी भी जिम्मेवारी बनती है जिसे उन्हें निभाना चाहिए. हमारी जिम्मेवारी उन परिवारों के प्रति भी है जिन परिवारों के घरों से कोई सरकारी नौकरी नहीं करता उन्हें ना तो कोई डीए मिलता है और ना ही अन्य लाभ. ऐसे में हमें उनके प्रति भी अपनी वचनबद्धता निभानी है. सरकार एक वर्ग के लिए काम नहीं करती. सरकार पूरे समाज के लिए काम करती है."
बता दें कि बीत कल हिमाचल प्रदेश सचिवालय परिसंघ ने जनरल हाउस कर पेंडिंग डीए और लंबित पड़े छठे वेतनमान को लेकर सरकार को अल्टीमेटम दिया है. अगर सरकार उनके साथ बातचीत नहीं करती तो तो सचिवालय के सभी कर्मचारी मास केज्यूल लीव पर चले जाएंगे जिससे मंत्रियों और मुख्यमंत्री को सचिवालय में पानी पिलाने वाला भी कोई भी कर्मचारी नहीं मिलेगा. सचिवालय में सारी सेवाएं ठप कर दी जाएंगी. कर्मचारी प्रदेश सरकार से अपना हक मांग रहे हैं कोई खैरात नहीं मांग रहे.
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