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18 साल से लंबित जमीन का पट्टा सात दिन में देने के आदेश -हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने 18 साल से जमीन का पट्टा जारी नहीं करने के मामले को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने 7 दिन में पट्टा जारी करने के आदेश दिए हैं.

HIGH COURT ORDERS,  RELEASE THE LAND LEASE
राजस्थान हाईकोर्ट. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 14, 2024, 10:07 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 18 साल पहले नीलामी में खरीदी गई जमीन का नगर निगम की ओर से पट्टा जारी नहीं करने को गंभीरता से लिया है. इसके साथ ही अदालत ने नगर निगम को कहा है कि वह सात दिन में जमीन का पट्टा जारी करे. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने स्वायत्त शासन निदेशक को 21 मई को व्यक्तिगत या वीसी से पेश होकर शपथ पत्र के जरिए पट्टा जारी नहीं करने का कारण बताने को कहा है. जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश मनोज अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत में पेश दस्तावेजों से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को अब तक पट्टा जारी नहीं किया गया है और याचिकाकर्ता पर अविश्वास करने का भी कोई कारण नहीं है. याचिका में अधिवक्ता दिनेश यादव ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने शास्त्री नगर स्थित आरपीए रोड पर वर्ष 2006 में नगर निगम की खुली नीलामी में करीब 140 वर्ग मीटर का भूखंड खरीदा था. जिसकी संपूर्ण राशि उसी वर्ष जमा करा दी गई थी.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने कहा- प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने की आड़ में अयोग्य को नहीं दी जा सकती नियुक्ति - Rajasthan High Court

इसके बावजूद भी अब तक इस जमीन का पट्टा नहीं दिया गया, जबकि बीते 18 सालों में वह नगर निगम के संबंधित अधिकारियों को कई बार पट्टा जारी करने की गुहार कर चुका है. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी जानकारी दी गई कि याचिका पर सुनवाई करते हुए गत सुनवाई को नगर निगम ग्रेटर को नोटिस भी जारी किए थे और संबंधित अधिकारी पर नोटिस भी तामील हो गए थे, लेकिन उनकी और से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह में पट्टा जारी नहीं करने पर डीएलबी निदेशक को पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 18 साल पहले नीलामी में खरीदी गई जमीन का नगर निगम की ओर से पट्टा जारी नहीं करने को गंभीरता से लिया है. इसके साथ ही अदालत ने नगर निगम को कहा है कि वह सात दिन में जमीन का पट्टा जारी करे. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने स्वायत्त शासन निदेशक को 21 मई को व्यक्तिगत या वीसी से पेश होकर शपथ पत्र के जरिए पट्टा जारी नहीं करने का कारण बताने को कहा है. जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश मनोज अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत में पेश दस्तावेजों से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को अब तक पट्टा जारी नहीं किया गया है और याचिकाकर्ता पर अविश्वास करने का भी कोई कारण नहीं है. याचिका में अधिवक्ता दिनेश यादव ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने शास्त्री नगर स्थित आरपीए रोड पर वर्ष 2006 में नगर निगम की खुली नीलामी में करीब 140 वर्ग मीटर का भूखंड खरीदा था. जिसकी संपूर्ण राशि उसी वर्ष जमा करा दी गई थी.

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इसके बावजूद भी अब तक इस जमीन का पट्टा नहीं दिया गया, जबकि बीते 18 सालों में वह नगर निगम के संबंधित अधिकारियों को कई बार पट्टा जारी करने की गुहार कर चुका है. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी जानकारी दी गई कि याचिका पर सुनवाई करते हुए गत सुनवाई को नगर निगम ग्रेटर को नोटिस भी जारी किए थे और संबंधित अधिकारी पर नोटिस भी तामील हो गए थे, लेकिन उनकी और से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह में पट्टा जारी नहीं करने पर डीएलबी निदेशक को पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.

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